गिरफ्तार जिला पार्षदों की रिहाई के लिए आक्रोशपूर्ण विरोध




एमएसयू के सदस्यों ने किया प्रदर्शन

आंदोलन जारी रखने की चेतावनी

संजय मिश्र,दरभंगा

साल 2024 और 2025 के चुनावों में अब ज्यादा देर नहीं. दरभंगा की सियासत में शह मात का खेल शुरू है. तमाम रंगत के दलों में इसकी खदबदाहट है. नई एंट्री हुई है एमएसयू (मिथिला स्टूडेंट यूनियन) की राजनीतिक इकाई मिथिलावादी पार्टी की. इससे संबद्ध दो जिला पार्षदों को गिरफ्तार कर लिया गया है. उनकी रिहाई की मांग लिए एमएसयू ने गुरुवार को आक्रोश मार्च निकाला. घोषणा के अनुरूप जिला परिषद् कार्यालय के सामने उनने उत्तेजित होकर प्रदर्शन किया. इससे पहले 21 सितंबर 2023 को मिथिला स्टूडेंट यूनियन के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार के नेतृत्व में और नीरज क्रांतिकारी , अनीश चौधरी, हर्ष मिश्रा, कृष्णमोहन , रोहित मिश्रा , पांडव , गौतम झा की अगुवाई में सैकड़ों लोग मार्च में शामिल हुए. जिनमें कार्यकर्ताओं के अलावा क्षेत्र के आम – आवाम ने भी शिरकत की. लहेरियासराय पोलो मैदान से ये जत्था हजमा चौराहा , लहेरियासराय टावर होते हूए जिप कार्यालय पहुंचा. जिप कार्यालय के मुख्य द्वार पर प्रशाशन से हल्की नोक झोंक के बाद जत्था को रोक दिया गया. प्रतिनियुक्त मजिस्ट्रेट द्वारा वार्ता का सकारात्मक प्रयास को देखते हुए , सभी लोग वापस पोलो मैदान पहुंचे जहाँ यात्रा सभा मे तब्दील हो गई.

सभा को संबोधित करते हुए अविनाश भारद्वाज ने स्पष्ट रूप से प्रशासन पर आरोप लगाया कि जिप अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के इशारे पर एमएसयू से ताल्लुक रखने वाले जिला पार्षद सागर नवदिया एवं अमित कुमार ठाकुर को झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भेजने की साजिश की गई है.उन्होंने कहा कि इस अलोकतांत्रिक एवं असंवैधानिक प्रतिरोधात्मक करवाई को लेकर लोगों में सत्ता और प्रशासन के खिलाफ अत्यंत रोष है. उन्होंने चेताया कि प्रशासन दोनों गिरफ्तार पार्षदों को रिहा नहीं करती है तो यह आंदोलन चरणबद्ध तरीक़े से सड़क से संसद तक चलेगी. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना गुनाह है? क्या असंवैधानिक कार्य करने वाले जिप अध्यक्ष – उपाध्यक्ष के खिलाफ आवाज उठाना गुनाह है ? क्या जिप सदस्य के बीच समानुपातिक राशि बंटवारे की मांग करना गुनाह है ? इन कार्यकलाप के चलने की जिम्मेदारी के छींटे कहीं न कहीं मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी डीडीसी पर पड़ते हैं.

जेल भेजने का दुःसाहस के खिलाफ जनता प्रतिरोध करेगी. गिरफ्तारी के संदेश हैं कि जिला परिषद् में कोई पार्षद भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज न उठाए, योजनाओं के राशि का सामान बंटवारे की बात न करे साथ ही कथित 40℅ कमिशनखोरी को रोकने की बात न करे?इस आक्रोश मार्च में गोपाल चौधरी , विद्या भूषण राय , संतोष साहू, अमन सक्सेना, दीपक झा, ख़लीउल्लाह, झमेला राम, रोहित मिश्रा, अभिषेक झा, सौरभ, अमित मिश्रा, शिवेंद्र वत्स, सुमन यादव, कन्हैया मिश्रा, सद्दाम खान, सब्बू खान, गुलफाम, अविनाश सत्यपति भी मौजूद रहे.

दिलचस्प है कि अविनाश भारद्वाज दरभंगा लोक सभा क्षेत्र से चुनाव लडने वाले हैं. मिथिलावादी पार्टी ने इसकी घोषणा कर दी है.सत्तारूढ़ जेडीयू में दरभंगा लोक सभा सीट को लेकर दो नेताओं के बीच जंग जैसी स्थिति पहले ही उजागर हो चुकी है. आरजेडी नेता भी इस सीट पर आंख गड़ाए है. उधर डीएमसीएच परिसर में चल रहे एम्स निर्माण कार्य को रूकवाने वाले राज्य के सत्तारूढ़ नेता इस बात से सहमे हैं कि कहीं ये चुनावी मुद्दा न बन जाए. जैसे ही मिथिलावादी पार्टी ने डीएमसीएच के मेडिकल मैदान में आमरण अनशन शुरू किया, राज्य का सत्तारूढ़ खेमा के कान खड़े हुए. बीजेपी नेताओं के भी कान खड़े हुए. गृह मंत्री अमित शाह ने झंझारपुर रैली में एम्स के मुद्दे पर राज्य सरकार पर निशाना साधा. इधर अनशन स्थल पर जब तक मिथिलावादी नेता केंद्र की मोदी सरकार को खरी खोटी सुनाते रहे तब तक एमएसयू जिला पार्षदों की गिरफ्तारी नहीं हुई. लेकिन आमरण स्थल पर एक नेता ने जैसे ही डॉक्टर लॉबी और सीएम नीतीश के खिलाफ बोला, कुछ ही घंटों बाद प्रशासन ने दोनों पार्षदों को गिरफ्तार कर लिया. दो पार्षदों की गिरफ्तारी के लिए करीब दो दर्जन पुलिस का बंदोबस्त भी नगर में चर्चा का केंद्र बन गया.

आपको बता दें कि जिप अध्यक्ष का रिश्ता आरजेडी से है जबकि उपाध्यक्ष का संबंध जेडीयू से है. बताया जाता है कि जिप की कार्यवाही में दोनो अक्सर एकमत रहीं रहती लेकिन एमएसयू पार्षदों पर कार्रवाई के मुद्दे पर वे हमजोली बन गईं. अविनाश भारद्वाज ने सवाल उठाया है कि एमएसयू पार्षदों की गिरफ्तारी तो कर ली गई लेकिन एफआईआर में नामित अन्य लोगों की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई? आपको बता दें कि जिप की सामान्य बैठक में विभिन्न मुद्दों को लेकर एमएसयू सहित कई पार्षदों ने जोरदार हंगामा किया था. जिस कारण सदन की कार्यवाही बाधित हुई. हंगामा करने वालों पर एफआईआर की गई है.

अमूमन बीजेपी, आरजेडी और जेडीयू के नेता सुसुप्त रहते. राजनीतिक विरोध के नाम पर बहुत हुआ तो प्रेस मीट कर लेने को वे काफी मानते. लेकिन एमएसयू की प्रदर्शन शैली आक्रामक है. कुछ कुछ धुर वामपंथी जैसी.. अआप जैसी.. कुछ समय पहले तक की माले जैसी या फिर इनके मिले जुले स्वरूप अख्तियार किए हुए. एमएसयू के अनशन टूटने के बाद एम्स के मुद्दे पर माले ने मोर्चा संभाला. ऐसा लगता है दरभंगा एम्स के मुद्दे पर दरभंगा माले ने राज्य सरकार में काबिज गठबंधन की तरफ से जबाव देने की जिम्मेदारी ओढ़ ली है.

केंद्र सरकार के वैचारिक परिवार की तरह माले भी कई हाथों का इस्तेमाल करती है. नागरिक मंच उनमें से एक है. दरभंगा में माले से संबद्ध एक डॉक्टर नेता इस मंच में काफी सक्रिय रहते हैं. एमएसयू अनशन के दौरान डॉक्टर लॉबी की चर्चा हुई तो खलबली मचनी ही थी. ये साहब सक्रिय हो गए. कुछ भी हो, मिथिलावादी पार्टी चर्चा के केंद्र में आ ही गई.

By pnc

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