भागदौड़ की जिंदगी में बच्चों को कैसे संभाले और मानसिकता कैसे समझे




शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी महत्वपूर्ण योगदान

मानसिक क्षमता, विचारशक्ति, और सामाजिक संबंध सकारात्मक होनी चाहिए

वेलनेस काउंसिलिंग सेंटर ,पटना की मनोचिकित्सक डॉ.सरिता से रवीन्द्र भारती की बातचीत

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक तनाव, चिंता, और डिप्रेशन की समस्याएं आम हो गई हैं। मानव जीवन में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। मानसिक और भावनात्मक परिस्थिति को समझने के लिए किसी व्यक्ति की मानसिक क्षमता, विचारशक्ति, और सामाजिक संबंध सकारात्मक होनी चाहिए।

यदि किसी को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या होती है, तो उनमें इसके लक्षण पहले ही दिखाई देना शुरू हो जाते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण कुछ इस तरह के हो सकते हैं:

  • दैनिक कार्य को ठीक से न कर पाना
  • खाने या सोने की आदतों में बदलाव
  • लो एनर्जी का एहसास होना
  • असहाय या निराश महसूस करना
  • कन्फ्यूज्ड होना और चीजों को भूलना
  • बात-बात पे गुस्सा आना
  • परेशान, चिंतित या डरा हुआ महसूस करना
  • मूड स्विंग्स के कारण रिश्तों में दरार पड़ना
  • दिमाग में बार-बार उन यादों का आना, जिन्हें भूलना चाह रहे हैं
  • खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाने की सोचना

बच्चों की मानसिकता को समझने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव इस तरह है:

सुनना : अपने बच्चों की बातें ध्यान से सुनें और उनके विचारों और भावनाओं को महत्वपूर्ण मानें।ताकि  वे अपनीचिंताओं और समस्याओं को आपके साथ साझा करने के लिए आप पर भरोसा करें सके.

  • समय देना: बच्चों के साथ समय बिताना और उनके साथ क्वालिटी समय गुजारना महत्वपूर्ण है. इससे वे आपको अपनी बातें बता सकते हैं और आप उन्हें समझ सकते हैं.
  • नियमों का पालन कराना: उनके नियमों और मर्जी के खिलाफ आवाज़ उठाने के बीच संतुलन बनाने के लिए सही दिशा में मदद करें.
  • आपसी संवाद को बढ़ावा देना: उनके सवालों का उत्तर देने के साथ-साथ अपने बच्चों के साथ खुलकर बात करें. इससे उनकी भावनाओं/मानसिक्ता को समझने में मदद मिलेगी और बच्चो साथ बेहतर संबंध बनेंगे.
  • प्रेरणा देना: अपने बच्चों को सकारात्मक प्रेरणा देने के लिए प्रयास करें। उन्हें उनकी क्षमताओं और दरियादिली के लिए सराहना दें.
  • स्वास्थ्य पर ध्यान देना: उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें. अगर आपका बच्चा मानसिक समस्याओं से जूझ रहा है, तो उन्हें एक मनोचिकित्स्क/मनोविज्ञानिक से मिलने की सलाह दें.
  • उनके दोस्त बने:  बच्चों की आयु के हिसाब से उनकी मानसिकता को समझने का प्रयास करें. वे आधुनिक जगत के साथ बदलते रहते हैं, इसलिए आप भी उनके हिसाब से अपने आप में थोड़ी बढ़लाव लाये.

अगर आपके बच्चे किसी मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको एक मनोचिकित्स्क/मनोविज्ञानिक से सलाह लेनी चाहिए ताकि आपके बच्चे मानसिक रूप से स्वस्थ रहे.

By pnc

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