मकान के जरिये माँ के दर्द को दर्शकों तक पहुंचाने की शानदार कोशिश

प्रेमनाथ खन्ना स्मृति आदि शक्ति सम्मान समारोह के दूसरे दिन किलकारी के बच्चों ने रंगारंग प्रस्तुति

पटना, 29 जुलाई. प्रेमनाथ खन्ना स्मृति आदि शक्ति सम्मान समारोह के दूसरे दिन शुक्रवार को किलकारी के बच्चों ने कई रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए. इस अवसर पर गजल संध्या और मकान नाटक का मंचन भी किया गया. किलकारी के बाल कलाकारों कविता पाठ, कजरी, भजन और नृत्य की प्रस्तुति दी. कविता पाठ में आकृति राज, आदित्य राज, गणपति हिमांशु, सत्यम,सुप्रिया ने काव्य पाठ किया. कजरी एवं भजन में दिव्या श्री, एंजल वर्मा, तनीषा,अर्पिता, आर्या,वर्षा,साक्षी सहित कई सभी बच्चों ने अपनी मन मिह लिया.




इसके बाद बच्चों ने गणेश कवुथूवम, कत्थक तराना, कजरी लोक नृत्य, भो शंभू भरतनाट्यम शैली में कर सभी दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया. इसमें कृति, नेहा,अंजली, नंदनी,मो. आरिफ़,अमरेश, तेजस्वी,आरती सहित कई बाल कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी.

इस अवसर पर चर्चित लेखिका ममता मेहरोत्रा की काव्य संग्रह बिखरे पुष्प का विमोचन किया गया. कार्यक्रम दूरदर्शन केंद्र पटना के कार्यक्रम प्रमुख डा. राजकुमार नाहर, उद्योग विभाग के निदेशक दिलीप कुमार भी उपास्थित थे. सामायिक परिवेश की ओर से गजल संध्या का भी आयोजन किया गया. इसमें समीर परिमल, कासिम खुरशीद ने गजल पाठ किया. कार्यक्रम का संचालन श्वेता गजल ने किया.

इसके बाद आदि शक्ति सम्मान समारोह के तहत ममता मेहरोत्रा लिखित अखिलेश्वर प्रसाद सिन्हा नाट्य रूपांतरित एवं सुमन कुमार परिकल्पित एवं निर्देशित मकान नाटक का मंचन किया गया. कलाकारों में कौशिक कुमार(शंकर साहू), शशांक कुमार (उमेश-छोटा भाई), चंद्रावती कुमारी(छोटी बहु), स्वाति जायसवाल(बड़ी बहु), अर्चना एंजल(विभा-माँ), मिथिलेश कुमार सिन्हा (दूधवाला/मजदूर), हरि कृष्ण सिंह(सेठ), मांशीष बच्चन(हाकिम), आदर्श प्रियदर्शी (चपरासी), अरविन्द कुमार(मजदूर/व्यक्ति), अराध्या सिन्हा एवं रिया जायसवाल(बेटी), रणविजय सिंह(मौलवी साहब/ मजदूर)ने अपने अभिनय से काफी प्रभावित किया.

पार्श्व से मंच व्यवस्था- सुनील कुमार, मंच सज्जा- रोज़ सिंह, रूप सज्जा-अंजू कुमारी, संगीत निर्देशन-राहुल राज, ध्वनि नियंत्रण-उपेन्द्र कुमार,प्रकाश संचालन-राज कुमार शर्मा,वस्त्र विन्यास-रीना कुमारी, प्रस्तुति सहयोग- रणविजय सिंह, शैलेन्द्र कुमार, सौरभ सिंह, प्रस्तुति संयोजन रोहित कुमार और मार्गदर्शन-गणेश प्रसाद सिन्हा,डा.किशोर सिन्हा,नीलेश्वर मिश्रा, कन्हैया प्रासाद ने किया.

मकान एक माँ के दर्द की है कहानी

कला जागरण की प्रस्तुति उस माँ के दर्द को व्यक्त करती है जिसके सुन्दर मकान का स्वप्न पूरा होकर भी अधूरा रह जाता है. हर इंसान का ख़्वाब होता है कि उसका अपना मकान हो. यही विभा भी चाहती थी. इस काम में उसके दोनों दुलारे बेटों और मकान बनाने में काम करने वाले मजदूरों ने भी खूब साथ दिया. एक सुन्दर मकान विभा विला बन कर तौयार हो जाता है. दोनों बेटे और बहुएं साथ रहने लगती हैं किन्तु जल्द हीं दो औरतों का झगड़ा दो भाईओं के बीच मन मुटाव का कारण बन जाता है. एक दूसरे पर बेईमानी के आरोप लगते हैं. घर के बीच दीवार खीचकर बटवारे की नहीं तो हिस्सा बेचकर पैसे वापस करने को कहा जाता है. मामला कचहरी में जाता है. मकान की नीलामी होती है और उसमे स्वप्निल मयखाना खुल जाता है. माँ का सपना चकनाचूर हो जाता है.

PNCB

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