60 हजार की आबादी होगी बाढ़ की चपेट में
लोक कलाकार भिखारी ठाकुर का गाँव हो सकता है समाप्त
तीन पंचायत के 14 गाँव बाढ़ से प्रभावित होंगे
60 हजार लोग होंगे प्रभावित
पीलर नम्बर 20 के पास से ये बाँध अगर बनेगा तो कोई नुकसान
इन गाँव के लोगों का विरोध शुरू
कहीं ख़ुशी तो कही दुःख
पटना नाउ की एक्स्क्लुसिव रिपोर्ट -ओ पी पांडेय
सुरतपुर बिंदगांवां. आरा से छपरा जाने का नाम सुनते ही दिमाग में पूर्वी की आवाज और भिखारी ठाकुर का नाम घूमने लगता है और उनका गाँव कुतुबपुर देखने की इच्छा जग जाती है.आरा मुख्यालय से 14 किलोमीटर की दूरी पर है कोईलवर और कोइलवर से 11 किलोमीटर है बबुरा घाट. बबुरा घाट से आगे बढ़ते ही नवनिर्मित पूल के नीचे से कच्ची सड़क एक सुखी नदी के बीचों बीच जाती है जिसे लोग भागड़ कहते हैं. दरअसल ये गंगा नदी से निकली से निकली पानी का निचले भाग में बहने वाली छोटी गंगा है. यहां से जब लगभग 3 किलोमीटर आगे बढ़ते हैं तो पूल से सटे एक कंस्ट्रक्शन का ऑफिस दिखता है जिसपर लिखा हुआ है बिहार राज्य पूल निर्माण निगम. कुछ छोटे बच्चे खेलते और एक विशाल जन समुदाय दिखता है. रोड के किनारे और पूल के ऊपर अपने उपमुख्यमंत्री को देखने के लिए. बच्चों से पूछने पर वे बताते हैं कि ये सुरतपुर बिंदगांवां है और एक कोने पर और गांव दिखाते है. वहीँ कुछ लोग भी दीखते हैं जो सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय ग्रामीण दीखते हैं. पटना नाउ ने जब इनलोगों को ऐसे उत्साह से खड़े देखा तो जानने की कोशिश कि क्या चल रहा है कि इनके मन में. पूल बनने की ख़ुशी कितनी है इनके अंदर. लेकिन जब लोगों से बातचीत किया तो दिल दहला देने वाले आश्चर्यजनक तथ्य से सामना हुआ. पेश है ग्रामीणों की उस दर्द का बयान पटना नाउ की सुरतपुर बिंदगांवा से लाइव एक्स्क्लुसिव रिपोर्ट में –
आरा-छपरा पूल के लिए सबसे पहले आवाज उठाने वाले कुतुबपुर के ग्रामीण लल्लन राय इस भीड़ में मिले. जब उनसे पूछा गया कि अब कैसा लग रहा है, आपके द्वारा उठायी गयी आवाज अब कुछ महीनो में पूरी हो जाएगी.उन्होंने मुस्कुरा कर जवाब दिया, कि बहुत ख़ुशी है कि इस अब यह पूल जल्द ही चालु हो जाएगा. इससे दियारा क्षेत्र का चहुमुखी विकास होगा. आवागमन, शिक्षा, व्यापार सब का विकास होगा. आपसी दूरियां कम होंगी लेकिन ये पूल हमारे लिए दुर्भाग्य का सबब भी बनेगा, क्योंकि इस पूल के पास बनने वाले बाँध से तीन पंचायत के 14 गाँव बाढ़ से प्रभावित होंगे.
वहीँ सूरतपुर के ग्रामीण विनय कुमार राय भी कुछ कहने को आतुर दिखे. पूछने पर उन्होंने बताया कि देखिये पूल बन गया है अब चालु भी हो जाएगा जाहिर सी बात है कि आवागमन सुदृढ़ होगा, बाजार नजदीक हो जाएगा. लेकिन जो पीलर नम्बर 01 के पास से बाँध बन रहा है वो हम सब के लिए घातक है. बाढ़ में इधर के सारे गाँव डुब जाएंगे .
जब तीसरे आदमी से हमने कुछ जानना चाहा तो पता चला कि को बलवनटोला के मुखिया पति राजकुमार राय हैं. उन्होंने भी ख़ुशी के साथ वहीं बाढ़ से गाँव डूबने की ही पीड़ा कही. बाढ़ की विभीषिका सोचकर ही रोंगटे खड़े हो रहे थे.
हमने अगले ग्रामीण उमेश राय जो महाजी बड़हरा के निवासी थे जब उनकी राय ली तो पूल निर्माण से होने वाले फायदों को गिना दिया लेकिन उनकी भी चिंता वही तीन पंचायत के कई गाँवो के जलमग्न होने की. हमने फिर ये जानने की कोशिश की, कि क्या उपाय है इसका? सारे ग्रामीणों का एक ही स्वर था पीलर नम्बर 20 के पास से ये बाँध अगर बनेगा तो कोई नुकसान नहीं होगा.
इस बात की पड़ताल और चर्चा सब्बलपुर के सरपंच सुरेश कुमार पांडेय, ग्रमीण रवींद्र राय, और राजनंदन से भी हुई जिन्होंने पूल बनने के बाद पीने के पानी और बिजली संकट से निजात मिलने की बात की लेकिन बाढ़ की त्रासदी इन्हें अभी से ही दिख रही है. कारण भी साफ़ है गंगा के किनारे ये ग्रामीण कई पीढ़ियों से हर साल गंगा की लीला को झेल रहे हैं.
3 पंचायत की लगभग 60 हजार की आबादी पर मंडराता रहेगा बाढ़ का खतरा
पूल बनने से जहाँ एक ओर आरा और छपरा के लोगों में ख़ुशी है कि क्षेत्र का विकास होगा, बिजली पानी और शिक्षा इस पूल से होकर कई जगहों का सफर करेगी. साथ ही इस बाढ़ग्रस्त इलाके में सम्पर्क का साधन सुदृढ़ होगा, वही लोगों में इस बात का डर है कि पूल बनने के बाद इसके पिलर नम्बर 1 से जो एक बाँध का निर्माण होगा वो इस क्षेत्र के तीन पंचायत के गांवों को प्रभावित करेगा. बड़हरा महानी, कोटवापट्टी रामापुर और रायपुर बिंदगांवां तीन ऐसे पंचायत हैं जिसके 14 गॉंव की लगभग 60,000 की आबादी को इस बांध के बनने के बाद बाढ़ में घिरने का डर सता रहा है.
संकट में ये हैं 3 पंचायत के 14 गाँव
बड़हरा माहाजी पंचायत
दारोगा राय टोला, सिडियरी महाल, बिन्दटोली, माहाजी
कोटवा पट्टीरामपुर पंचायत
चकिया उत्तरी, चकिया दक्षिण टोला, कुतुबपुर, दयालचक, सब्बलपुर, सुरतपुर
रायपुर बिंदगांवां पंचायत
बिंदगांवां, दक्षिण टोला, बलवन टोली पूर्वी, बलवन टोली पच्छिम
कहीं खो न जाए लोक नाटककार भिखारी ठाकुर का गाँव कुतुबपुर
राजकीय स्मारक घोषित किया गया है उनके मकान को
3 पंचायत के इन 14 गाँवो में लोक कलाकार, भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर का गाँव कुतुबपुर भी है. कुतुबपुर को शायद ही ऐसा ब्यक्ति होगा जो नहीं जानता होगा. कुतुबपुर और छपरा का नाम आते ही एक ही नाम याद है और वो हैं भिखारी ठाकुर. अगर ऐसा हुआ और सही में कहीं गंगा ने इन गाँवो को अपनी आगोश में ले लिया तो कुतुबपुर सिर्फ कहानी बनकर लोगों के लिए रह जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि अगर पिलर नम्बर 20 से ये बांध बनाया जायेगा तो ये सारे पंचायत के गाँव सुरक्षित रहेंगे.
पूल निर्माण पर एक नजर
सोमदत्त बिल्डर्स एवं एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जॉइंट वेंन्चर) 2010 से कर रही है कार्य
पूल की कुल लंबाई चार किलोमीटर
2010 में नीतीश कुमार द्वारा शिलान्यास, 676 करोड़ का बजट
2014 तक पूरा करने का था लक्ष्य लेकिन 2014 तक सिर्फ 60 प्रतिशत काम ही पूरा हो सका
पुनः निर्माण की तेजी के लिए नए बजट में 500 करोड़ का हुआ बजट
लेकिन 2014 से अबतक काम सिर्फ 30 प्रतिशत ही हुआ काम
यानि पूल का अबतक 90 प्रतिशत काम पूरा
53 पीलरों में 46 पीलर रखे जा चूके है
7 पीलरों को रखने का काम बाकी है
50 प्रतिशत काम सड़क का काम हो चुका है
नक्सली लेवी के लिए भी हमला कर चुके हैं
डोरीगंज आरा-छपरा पुल पर नक्सली हमला मामले में बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुल के पास बम रखने के आरोप में अबतक 6 नक्सली गिरफ्तार किये गए हैं.गिरफ्तार नक्सलियों में एक महिला एरिया कमांडर भी शामिल है जिसपर 10 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. इनमे दो लोगों प्रधुम्न पूरी और सुदर्शन राम को गोपालगंज से जबकि शहीद अंसारी और अन्य को छपरा से पकड़ा गया है.ज्ञात हो कि पिछले दिनों आरा और छपरा के बीच बन रहे पुल पर उन्होंने हमला किया था और लेवी के लिए पोस्टर चिपकाये थे. जिसके बाद मजदूरों में दहशत का माहौल बन गया था. 150 से ऊपर मजदूरों ने काम करना बंद कर दिया था.
पूल निर्माण के बाद होने वाले फायदे
आरा छपरा की दुरी 100 किलोमीटर कम हो जायेगी
400 मीटर की छोटी गंगा को अब नाव से पार करना नहीं पड़ेगा
भोजपुरिया इलाकों की बढ़ेगी समृधि
भोजपूर,छपरा,यूपी,झारखण्ड,नेपाल और गंगा पार के कई इलाकों सीधे जुड़ेंगे
सस्ता होगा परिवहन खर्च
ऐतिहासिक,धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन स्थलों का होगा विकास
बिजली और पीने के पानी जैसे जरुरी चीजें कई गाँव तक पहुंचेंगे
व्यापार को मिलेगा बल
गांधी सेतु का विकल्प
पुल का ऐतिहासिक, सामरिक व सांस्कृतिक महत्व होगा. समय आने पर पटना गांधी सेतु का विकल्. सिर्फ उत्तर व दक्षिण बिहार की दूरी ही कम नहीं होगी, अपितु नेपाल, झारखंड व यूपी की दूरी भी चंद घंटों में पूरी हो जाएगी . पर्यटन व रोजगार की नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे.
बिहार सरकार की 676 करोड़ की महत्वाकांक्षी आरा-छपरा गंगा पुल निर्माण योजना अपनी निर्धारित समय अवधि में पूरी नहीं हो सकी.बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास जून 2010 में किया था. प्राक्कलन के अनुसार इस पुल निर्माण योजना चार वर्षों में पूरी कर लेनी थी. बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने जुलाई 2014 तक पुल के लोकार्पण की घोषणा की थी. लेकिन, 6 वर्ष बाद भी सरकारी वादा पूरा नहीं हो सका. अभी भी 40 प्रतिशत काम बाकी है.
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अचानक याद आई और चल पड़े आरा छपरा पुल के निर्माण कार्य को देखने ,बोट पर बैठे अधिकारियों ने आव भगत की और उन्होंने निर्माण काल में तेजी लाने का निर्देश जारी कर दिया.लेकिन उन गाँव के लोगों से कुछ बात नहीं की जिन पर पर इस पुल के बनने के बाद बान्ध के निर्माण के कारण जितने गाँव तबाह होंगे उनका पुरसाहाल भी नही लिया .आए और चले गए हाँ थोड़ी तफरी जरुर हो गई .