अरबी-फ़ारसी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में याद किए गए “मंटो”




जब-जब पत्रकारिता और साहित्य में सरोकार और सच को हाशिये पर रखा जाएगा तब-तब मंटो एक सवाल बनकर खड़े सामने आ जाएंगे-डॉक्टर मुकेश कुमार

सच बर्दाश्त करने का हौसला सबमें नहीं होता- डॉक्टर रंजीत कुमार

111 वीं जयन्ती पर हुआ कार्यक्रम

मंटो ने अपने लेख और कहानियों के माध्यम से समाज के जिस सच को उजागर किया है वह आज भी प्रासंगिक है. जब-जब पत्रकारिता और साहित्य में सरोकार और सच को हाशिये पर रखा जाएगा तब-तब मंटो एक सवाल बनकर खड़े सामने आ जाएंगे. यह बात पत्रकारिता विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉक्टर मुकेश कुमार ने कही. मौलाना मजहरुल हक़ अरबी- फ़ारसी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता और जनसंचार विभाग में सआदत हसन मंटो को उनके जन्मदिन पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था.

वक्यताओं ने कहा कि य ह भी सच्चाई है कि मंटो और पाबंदियों का चोली-दमन का साथ रहा है. हर बार उन पर अश्लील होने का इल्ज़ाम लगता रहा है और पाबंदियां लगाई जाती हैं. ‘ठंडा ग़ोश्त’, ‘काली सलवार’ और ‘बू’ नाम की कहानियों पर पाबंदिया लगाई गई. उनकी कहानियों को पाबंदियों ने और भी मक़बूल किया. मंटो को बतौर कहानीकार पाबंदियों का फ़ायदा हुआ. मंटो की कहानियों पर पांच बार पाबंदी लगी पर उन्हें कभी दोषी क़रार नहीं दिया गया.

इस मौके पर विभाग के शिक्षक डॉक्टर रंजीत कुमार ने मंटो को याद करते हुए कहा कि जो दुनिया हमने बनाई है वह कितनी क्रूर और वीभत्स है. जिसे हम समाज कहते हैं, वह कितना असभ्य, भद्दा और बीमार है. मंटो ने सच लिखा और सच बर्दाश्त करने का हौसला सबमें नहीं होता इसलिए मंटो पर कई मुदकमे चले.”मंटो का लेखन संवेदनाओं को जगाता नहीं, झकझकोरता है, रोमांचित नहीं करता, परेशान करता है और कई सवाल बवंडर की तरह सवालों के गुबार छोड़ जाता है”. डॉक्टर निखिल आनंद ने लेखक को याद करते हुए कहा.इस अवसर पर फ़ारसी विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉक्टर जमशेद आलम ने मंटो की कहानी “टोबा टेक सिंह” का वाचन किया. विभाग में मंटो के जीवन पर आधारित वृत्तचित भी दिखाया गया.

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By pnc

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