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पटना।। हाल ही में शिक्षा विभाग ने विभिन्न जिलों से मिली रिक्तियों की संख्या जब जारी की तो ना सिर्फ बिहार के लाखों शिक्षक बल्कि बहाली का इंतजार कर रहे शिक्षक अभ्यर्थी भी भौचक रह गए. कई साल से इस बात की चर्चा जोर शोर से हो रही थी कि सातवें चरण में कम से कम सवा दो लाख पदों पर बहाली होगी. हाल में शिक्षा मंत्री ने भी इसे लेकर बयान दिया था लेकिन जब एक्चुअल वैकेंसी सामने आई तो यह घटकर 178967 रह गई. अब सवाल यह उठ रहा है कि जब सरकार ने सवा दो लाख से ज्यादा पदों पर बहाली की बात की थी तो यह संख्या घट कैसे गई. पटना नाउ ने इस बात की तहकीकात की तो जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक शिक्षा विभाग ने हजारों की संख्या में ऐसे पदों को सातवें चरण में शामिल नहीं किया है जो प्रमोशन के जरिए भरे जाने हैं. उदाहरण के तौर पर पिछले कई वर्षों से काम कर रहे प्राथमिक शिक्षकों का प्रमोशन मध्य विद्यालय शिक्षक के रूप में नहीं हुआ है. ऐसे में मध्य विद्यालय शिक्षकों की वैकेंसी कम हो गई. क्योंकि 50 फ़ीसदी पद प्रमोशन से भरे जाने हैं. इसके अलावा बिहार में SSA और GOB के अलग-अलग पदवर्ग होने की वजह से भी तकनीकी वजह से बड़ी संख्या में पद घोषित नहीं हो सके हैं.
कितने पदों पर फिलहाल बहाली की है संभावना
सरकार की योजना के अनुसार बिहार लोक सेवा आयोग से लिखित परीक्षा के आधार पर 1,78,967 स्कूली शिक्षकों की नियुक्ति होगी. इनमें 88,967 प्रारंभिक शिक्षक जबकि 33,000 माध्यमिक शिक्षक एवं 57, 000 उच्च माध्यमिक शिक्षक होंगे. नियुक्त होने वाले 88, 967 प्रारंभिक शिक्षकों में पहली से 5वीं कक्षा के 87 हजार 222 शिक्षक एवं 6ठी से 8वीं कक्षा के 1,745 शिक्षक होंगे. छठी से आठवीं कक्षा में रिक्तियों की संख्या कम होने की बड़ी वजह प्रमोशन के जरिए भरे जाने वाले पद हैं.
आपको बता दें कि शिक्षकों की नियुक्ति अब ‘बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानान्तरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवा शर्त) नियमावली, 2023’ के तहत होगी. शिक्षा विभाग को सभी जिलों से प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों की रिक्तियां मिल गयी हैं. रिक्तियों को समेकित करने के बाद पदों की स्वीकृति की अनुशंसा मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली प्रशासी पदवर्ग समिति को भेज दी गयी है. मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली प्रशासी पदवर्ग समिति की स्वीकृति के बाद उस पर कैबिनेट की मुहर लगेगी और उसके बाद रोस्टर क्लियरेंस के लिए पद जिलों को भेजे जायेंगे, इसलिए कि नियुक्त होने वाले शिक्षक जिला संवर्ग के होंगे.
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक मई महीने की पहली कैबिनेट में 178967 पदसृजन पर मुहर लग सकती है जिसके बाद मई महीने में ही बिहार लोक सेवा आयोग बहाली का विज्ञापन जारी करेगा. अब तक की सरकार की योजना के मुताबिक एक ही परीक्षा के जरिए पहले से काम कर रहे नियोजित शिक्षकों और नए बहाल होने वाले शिक्षकों को राज्यकर्मी बनने का मौका मिलेगा.
शिक्षक संघों का विरोध जारी
एक तरफ सरकार की पूरी तैयारी जोर शोर से चल रही है. परीक्षा पैटर्न और नए बहाल होने वाले शिक्षकों के वेतनमान को लेकर भी तैयारी हो रही है, दूसरी तरफ विभिन्न शिक्षक संघों का नयी नियमावली का विरोध जारी है. सभी शिक्षक संघ इस बात की पुरजोर मांग कर रहे हैं कि पहले से काम कर रहे शिक्षकों को बिना किसी परीक्षा के सीधे राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता प्रेमचंद्र ने बताया कि उनका संघ सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार आखिर कितनी बार पहले से काम कर रहे शिक्षकों की परीक्षा लेगी. सरकार दो बार दक्षता परीक्षा ले चुकी है. इसके अलावा टीईटी और एसटीटी परीक्षा के जरिए भी शिक्षकों की योग्यता परखी जा चुकी है. ऐसे में एक बार फिर परीक्षा का आयोजन कहीं से उचित नहीं है. सरकार को सीधे पहले से काम कर रहे शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देना चाहिए और चुनाव से पूर्व किए गए अपने वादे को पूरा करना चाहिए. इस बारे में टेट एसटेट उत्तीर्ण शिक्षक संघ के प्रवक्ता अश्विनी पांडे ने कहा कि 28 अप्रैल को महागठबंधन के विभिन्न दलों के साथ शिक्षक संघ मुक्त मोर्चा की बैठक होने वाली है जिसमें आगे की रणनीति पर फैसला होगा. अश्विनी पांडे ने कहा कि सरकार की नई नियमावली हमें किसी भी हालत में मंजूर नहीं है. सरकार भले ही नई नियमावली के तहत सातवें चरण की बहाली करें लेकिन यह कहीं से उचित नहीं है कि पहले से काम कर रहे शिक्षकों को बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा देने को बाध्य किया जाए. उन्होंने कहा कि सरकार विभागीय परीक्षा के जरिए भी पहले से काम कर रहे शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने की पहल कर सकती है लेकिन बीपीएससी की परीक्षा देने की बाध्यता कहीं से उचित नहीं है. इधर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ भी 1 मई को मजदूर दिवस के दिन नई नियमावली को लेकर अपना विरोध दर्ज कराएगा.
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