कानपुर में भीषण रेल हादसे के बाद रेलवे के परिचालन सिस्टम पर फिर सवाल खड़े होने लगे हैं. हालांकि दानापुर रेल मंडल ने गाड़ियों के सुरक्षित परिचालन को अपनी पहली प्राथमिकता बताया है. दानापुर के DRM रमेश कुमार झा ने बताया कि संरक्षा मामलों में किसी तरह की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाता है. चाहे हॉट सीजन हो या कोल्ड सीजन, खास कर सभी अधिकारियों को भी औचक निरीक्षण में लगाया जाता है. ऐसे तो अभी मंडल में कुहासा का प्रभाव नहीं है, लेकिन कोल्ड सीजन के शुरू होने और समाप्त होने तक खास कर कीमैन और पेट्रोल मैन को रेललाइनों में होने वाले रेल फ्रेक्चर की पहचान के लिए नाइट पेट्रोलिंग में लगाया जाता है. ऐसे हरेक कर्मचारी को 2 से 3 किलोमीटर बीच की पटरियों की लगातर निगरानी कर के देखना होता है कि कहीं रेल में फ्रैक्चर तो नहीं है . स्टेशन पर पोर्टर और क्रॉसिंग गेट पर गेटमैन झंडी लेकर तैनात रहता है. कुहासे में फॉगी सिग्नल ( पटाखा ) 270 मीटर की दूरी पर प्रथम रोक सिग्नल से पहले रेल पटरी पर बांधा जाता है . दूसरा पटाखा पहले पटाखा से 10 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है. वहीं फॉगी सिग्नल मैन 45 मीटर की दूरी पर हाथ बत्ती लेकर खड़ा रहता है जबकि बहुसंकेतीय सिग्नल में पटाखा होम सिग्नल से पहले लगाया जाता है. इस तरह से इंजन चक्का के दबाव से पटाखा की आवाज जोर से होने से ट्रेन चालक को आगे सिग्नल होने का संकेत मिल जाता है.
झाझा – मुगलसराय के बीच डबल डिस्टेंस सिग्नल होने के कारण इस में फौगी सिग्नल का उपयोग नहीं होता है. समयपार फाटक पर चालक को लगातार निर्धारित सीटी बजाना होता है. क्योंकि समयपार फाटक पर पटाखा नहीं लगाया जाता है. डिस्टेंस सिग्नल के पास रेल लाइनों के गिट्टी पर चूना से मार्किंग भी किया गया है . ओवरहेड इक्वीपमेंट खम्भों और एलसी गेटों पर रेट्रो रिफ्लेक्स चमकीला स्टीकर लगाया जाता है, जो अंधरे में चमकता है. इसे देख ट्रेन चालक दूर से ही अलर्ट हो जाते हैं. कुहासा से प्रभावित इलाकों में रेलगाड़ियों की रफ़्तार 60 किलो प्रतिघंटा रखने का निर्देश दिया गया है. इस के अलावा ट्रेन चालक को छूट है कि कुहासे की सघनता को देखते हुए गाड़ियों की रफ्तार स्वयं निर्धारित करें. वहीं दूसरी ओर राजेन्द्रनगर,पटना, दानापुर और राजगीर में रेलगाड़ियों के कोचों का मेंटेनेंस हर हाल में नियमित रूप से किया जाता है. मंडल के वरीय संरक्षा अधिकारी जेपी मंडल ने बताया है कि संरक्षा नियमों का शतप्रतिशत पालन कराने के लिए हर तरह के उपाय किये जाते हैं. संरक्षा नियमों का पालन हो इस के लिए समय-समय पर संरक्षा से जुड़े कर्मचारियों का कार्यशाला लगाया जाता है और लोको क्रुसेल,स्टेशन मास्टर ऑफिस आदि जगहों पर इस से सम्बंधित नियमों का पोस्टर भी लगाया जाता है. साथ ही नुक्कड़ नाटकों आदि के माध्यम से कर्मचारियों और आम जनता को जागरूक भी किया जाता है. मंडल के कंट्रोल रूम में 24 घंटे गाड़ियों के परिचालन से लेकर और समस्याओं की निगरानी की जाती है.
मालूम हो कि बिहार में गैसल दुर्घटना में आमने सामने के ट्रेन टक्कर में काफी लोगों की मौत को लेकर तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इस को लेकर आमने-सामने के टक्कर से होने वाली रेल दुर्घटना को रोकने के लिए एंटी कॉलिजन डिवाइस और इमरजेंसी अलर्ट अलार्म लगाये जाने के बारे में योजना बनायीं गयी थी, जो आज तक लागू नहीं हो पाया है.
रिपोर्ट- अजीत
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