प्रजा चली राजा से मिलने.. सुनाएगी अपनी व्यथा
बिहार में एक और पदयात्रा का आगाज
अखिल बिहारी मंच के बैनर तले 15 दिन चलेंगे पदयात्री, मिथिला की अवनति की होगी चर्चा
पटना राजभवन पहुंच गवर्नर को सुनाएंगे दुखड़ा
संजय मिश्र, दरभंगा
मिथिला के सांस्कृतिक केंद्र दरभंगा के मशहूर श्यामा मंदिर परिसर के सामने की सड़क पर बुधवार 5 अप्रैल 2023 को अन्य दिनों की तरह आस्थावानों की गहमागहमी .. इस बात से बेरुख कि पास ही किसी अभियान पर निकल रहे दर्जन भर उत्साही लोगों में हलचल सी मची है. वे उनकी आवाज बनने जा रहे और ये कि मिथिला की दुर्दशा की तरफ ध्यान खींचेंगे. जी हां ! ये पदयात्री हैं. भक्तों का अनमनयस्क भाव कह रहा कि मामला किसी हाई प्रोफाइल पदयात्रा का नहीं है. सही जाना आपने. प्रजा मिलने जा रही अपने राजा से. वे 15 दिनों तक गांवों कस्बों.. खेत खलिहानों.. शहरों.. से होते हुए रास्ते में भेंट होने वाली प्रजा से उनके दुःख की चर्चा करते हुए 20 अप्रैल को पटना पहुंचेंगे.
जहां उनकी वेदना के प्रति निष्ठुर लोकतंत्री राजा रहते हैं. गवर्नर से मिलकर अपना दुखड़ा सुनाएंगे. मिथिला की अवनति चरम पर है ये सब जानते. यहां के आम लोगों का मानमर्दन होता रहता वो भी जानते. और ये तो सारा जहां जानता कि यह क्षेत्र इंडिया में पलायन सबसे बड़ा उद्गम स्थल है. मजदूर, बटाईदार खेतिहर मजदूर, खेत मालिक का कृषक मजदूर बनते जाना, शिक्षा पाए लोगों का रोजी रोटी वास्ते कोई भी काम कर लेने के लिए घरों से निकल पड़ना.. महिला, बूढ़े और बच्चों की सूनी आंखों का गवाह बनते देहात. यही है मिथिला की पहचान.श्यामा मंदिर से रवाना हो रहे पदयात्रियों का मीडिया के सामने दर्द छलक पड़ा. उनने याद दिलाया कि तरक्की के मामले में देश के सभी राज्यों के बनिस्पत मिथिला 30 साल पीछे धकेला जा चुका है. इलाके के तमाम चीनी और जूट मिलें कब बंद हुई.. याद करना मुश्किल. शिक्षा व्यवस्था तो पूरे बिहार की चौपट है.
यात्रा का नेतृत्व अखिल बिहारी मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष कौशल पाठक कर रहे. उनकी मानें तो आजादी के 75 सालों में किसी भी सरकार ने मिथिला को कष्ट से उबारने के लिए कुछ नही किया. सत्ता की सीढ़ी बनती रहती मिथिला.. सौतेला व्यवहार और छल तो नियति बन गई. मौके पर कहा गया कि यात्रा का मकसद मिथिला के चहुमुखी विकास के लिए सरकार पर जन दवाब बनाना है. इलाके में इंडस्ट्री, युवाओं को रोजगार के विभिन्न इंतजाम, पलायन रोकने का फुलप्रूफ प्लान, सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, स्वस्थ्य सेवाओं में सुधार, पर्यटकों स्थलों का विकास, मंदिरों के जीर्णोद्धार, भ्रष्टाचार और नशा मुक्त मिथिला के लिए कदम उठाने पर जोर.
कौशल पाठक ने कहा कि उनके साथ 11 लोगों का जत्था है. दो वाहन हैं. एक में भोजन के सामान और दूसरा इमरजेंसी उद्देश्य के लिए जत्थे के साथ रहेगा. स्कूलों में या ग्रामीणों के सहयोग वाले स्थल पर रात्रि विश्राम की व्यवस्था होगी.कौशल पाठक ने आत्मविश्वास जताते हुए कहा कि छोटी सी शुरुआत है ये.. काफिला बढ़ेगा.. लोग जुड़ते चले जाएंगे.. वे अपनी पीड़ा सुनाएंगे.. आखिर अवनति तो साझा है.. गर्त में समाने से इनकार है.. बस अब और बर्दाश्त नहीं. हुक्मरान बहरे हैं तो भी उन्हें कष्ट बताया जाएगा.आपको बता दें कि कौशल पाठक सीतामढ़ी जिले के निवासी हैं. नागपुर शहर में जीवन संवारा और सफल व्यक्ति बने. क्षेत्र की दुर्गति सताने लगी तो सुख भरी जिंदगी छोड़ अखिल बिहारी मंच के तहत बीते तीन साल से बिहार खासकर मिथिला के लोगों को जगा रहे हैं.