’पोरस सिकंदर’ नाटक से अनिल मुखर्जी शताब्दी नाट्योत्सव का हुआ समापन


पारसी रंगमंच शैली के जरिए नाटक में तत्कालीन समय को टीम ने अच्छे से किया उजागर : आर के सिन्हा
राज्य में राष्ट्रीय नाट्य विधालय की इकाई की हो स्थापना
पोरस सिकंदर देख इतिहास में खो गए दर्शक




राजधानी पटना में अनिल कुमार मुखर्जी नाट्योत्सव के अंतिम दिन बिहार सचिवालय स्पोर्ट्स फाउंडेशन के रंगकर्मियों द्वारा पोरस सिकंदर नाटक का मंचन रवीन्द्र भवन मे किया गया. इस अवसर पर भाजपा के संस्थापक सदस्य और पूर्व सांसद आर के सिन्हा ने कलाकारों को बेहतरीन नाटक प्रस्तुत करने के लिए बधाई दी.उन्होंने कहा कि मेरी कोशिश है कि पटना में कालिदास रंगालय का पुनर्निर्माण हो साथ में राष्ट्रीय नाट्य विधालय की इकाई की हो स्थापना की जाए इसके लिए मैं भी प्रयास कर रहा हूँ आप सभी भी करें. महोत्सव के अतिम दिन पोरस सिकंदर नाटक मे विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं को दृश्यों और पारसी शैली की अभिनय शैली के माध्यम से मंच पर दर्शाया गया.

सिकंदर अपने पिता की मृत्यु के पश्चात अपने सौतेले व चचेरे भाइयों का कत्ल करने के बाद यूनान के मेसेडोनिया के सिन्हासन पर बैठा था। अपनी महत्वाकांक्षा के कारण वह विश्व विजय को निकला. जब सिकंदर ईरान से आगे बड़ा तो उसका सामना भारतीय सीमा पर बसे छोटे छोटे राज्यों से हुआ. भारत की सीमा में पहुंचते ही पहाड़ी सीमाओं पर भारत के अपेक्षाकृत छोटे राज्यों अश्वायन एवं अश्वकायन की वीर सेनाओं ने कुनात, स्वात, बुनेर, पेशावर में सिकंदर की सेनाओं को भयानक टक्कर दी। मस्सागा (मत्स्यराज) राज्य में तो महिलाएं तक उसके सामने खड़ी हो गईं, पर धूर्त और धोखे से वार करने वाले यवनी (यूनानियों) ने मत्स्यराज के सामने संधि का नाटक करके उन पर रात में हमला किया और उस राज्य की राजमाता, बच्चों सहित पूरे राज्य को उसने तलवार से काट डाला. यही हाल उसने अन्य छोटे राज्यों में किया. मित्रता संधि की आड़ में अचानक आक्रमण कर कई राजाओं को बंधक बनाया। भोले-भाले भारतीय राजा उसकी चाल का शिकार होते रहे. अंत में उसने गांधार-तक्षशिला पर हमला किया.


गांधार-तक्षशिला के राजा आम्भी ने सिकंदर से लड़ने के बजाय उसका भव्य स्वागत किया. आम्भी ने ऐसे इसलिए किया क्योंकि उसी पोरस से शत्रुता थी और दूसरी ओर उसकी सहायता करने वाला कोई नहीं था. गांधार-तक्षशिला के राजा आम्भी ने पोरस के खिलाफ सिकंदर की गुप्त रूप से सहायता की. सिकंदर ने पोरस के पास एक संदेश भिजवाया जिसमें उसने पोरस से सिकंदर के समक्ष समर्पण करने की बात लिखी थी, लेकिन पोरस एक महान योद्ध था और उसने सिकंदर को युद्ध मे इतना तबाह कर डाला कि वह वापस मौत लौट गया और रास्ते मे उसकी मृत्य मृत्यु भी हो गई.पोरस की वीरता की गाथा नाटक मे दिखाई गई इसमे पोरस की भूमिका मे नंद लाल सिंह को लोगों ने काफी पसंद किया. सिकंदर की भूमिका मे प्रभावी अभिनय करते अवधेश नारायण प्रभाकर विशाल इस नाटक के निर्देशक भी थे.कलाकारों को पूर्व सांसद आर के सिन्हा ने सम्मानित किया साथ ही उनके आने वाले दिनों के लिए शुभकामनायें भी दी.

मंच पर कलाकार

अवधेश नारायण प्रभाकर “विशाल” सिकन्दर (यूनान का सम्राट) ,नन्द लाल सिंह- पोरस (पंजाब का राजा),अभिमन्यु दास -दिवाकर (पोरस का बेटा)मिथिलेश कुमार सिन्हा। -तक्षशील (तक्षशीला का राजा),मनीष कुमार श्रीवास्तव -सुमंत (पोरस का सेनापति) शशि रंजन कुमार -हेफिस्टियन (यूनान का सेनापति),शिव शंकर लाल श्रीवास्तव सफीर (सिकन्दर का दूत)न विभा कुमारी- अम्बालिकाशी की बहन)रश्मि भारती -मनोरमा तक्षशील की बेटी,संगीता चंद्रा-इन्दिरा (अटक की राजकुमारी) कृति ज्योत्स्ना वर्मा-सुमित्रा (सेनापति सुमन्त की पत्नी)गौतम कुमार -ऋषि दाण्डायन (भारत का ज्योतिषी),आदर्श वैभव-पोरस का सैनिक नं.-1 ,रीतेश कुमार झा – पोरस का सैनिक नं-2,राकेश कुमार- सिकन्दर का सैनिक नं0-1।


नेपथ्य में
चन्दना घोष एवं शशांक घोष – रूप सज्जा,डॉ० नित्यानन्द सिंह एवं रोहित कुमार -मच व्यवस्था ऋद्धि-सिद्धि एवं आशा रानी -वस्त्र विन्यास,अभिमन्यु दास,परिधान व्यवस्था, अजय ब्रह्मानन्द-संगीतकार ,ज्योति- पाली कुमारी ने तकनीकि व्यवस्था ,नाट्यकार / निर्देशक / परिकल्पक – अवधेश नारायण प्रभाकर “विशाल”।

रवीन्द्र भारती

By pnc

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