- अनिल मुखर्जी शताब्दी नाट्योत्सव के दूसरे दिन दुर्गा ने दिखाई अपनी देशभक्ति
- दुर्गा भाभी ने बेहतरीन अभिनय से किया मंत्रमुग्ध
- गुमनाम क्रांतिकारियों को प्रकाश में लाने की मुहिम में दुर्गा भाभी नाटक बना मील का पत्थर
- इस नाटक के पचास शो करने का है लक्ष्य : आर के सिन्हा
भारत में. चीन में और त्रिनिनाद एवं टोबैगो के राजदूत चंद्रदत सिंह एवं भोजपुरी.हिंदी और अंग्रेजी फिल्मों की प्रोड्यूसर अनिता चंद्रदत सिंह के साथ भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार कुणाल सिंह.पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय भी नाटक की प्रस्तुति के दौरान उपस्थित रहे.
वीरांगना दुर्गा भाभी के जीवन की उन्होंने साढ़े तीन साल तक गहन पड़ताल की. अनेक तथ्य जुटाये. उनके परिजनों से सम्पर्क किया. फिर इसे लिखा और इसका निर्देशन किया-अक्षयवर नाथ श्रीवास्तव निर्देशक एवं लेखक
अनिल मुखर्जी शताब्दी नाट्योत्सव के दूसरे दिन हुआ नाटक का मंचन वीरांगना दुर्गा भाभी के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन किया.राजधानी के रबिन्द्र भवन में आयोजित नाट्योत्सव के दूसरे दिन राजधानी के लोगों को गुमनाम क्रांतिकारियों में से एक दुर्गा भाभी के जीवन पर आधारित नाटक की प्रस्तुति XIII स्कूल ऑफ़ टैलेंट डेवलेपमेंट गाजियाबाद की प्रस्तुति देखने को मिली. दूसरे दिन के कार्यक्रम में भारत में. चीन में और त्रिनिनाद एवं टोबैगो के राजदूत चंद्रदत सिंह एवं भोजपुरी.हिंदी और अंग्रेजी फिल्मों की प्रोड्यूसर अनिता चंद्रदत सिंह के साथ भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार कुणाल सिंह.पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय भी नाटक की प्रस्तुति के दौरान उपस्थित रहे.
इस मौके पर भाजपा के पूर्व सांसद और कार्यक्रम के अध्यक्ष आर के सिन्हा ने कहा कि इस नाटक को मैंने जब से देखा है तब से ही मेरे मन में था कि इस नाटक का मंचन पटना में भी हो और आज वह दिन आपके सामने है. श्री सिन्हा ने दुर्गा भाभी गुमनाम क्रांतिकारियों में से एक हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में तन मन से भाग लिया.आजादी के दिनों में दुर्गा भाभी क्रांतिकारियों को अपने घर में पनाह देने के अलावे उनके खाने पीने के अलावा सभी आर्थिक जरूरतों को पूरा करती थी. पूर्व राज्यसभा सदस्य,वरिष्ठ पत्रकार एवं भाजपा के संस्थापक सदस्य रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने कहा कि इस नाटक के देशभर में 50 से अधिक मंचन होंगे. पूर्व सांसद आर. के. सिन्हा ने बताया कि अनेकों क्रांतिकारियों समेत शहीद चंद्रशेखर आजाद को माउजर पिस्टल उपलब्ध कराने से लेकर शहीद भगत सिंह और राजगुरु को अपने तीन वर्षीय पुत्र के साथ लाहौर से निकालने का कार्य दुर्गा भाभी ने ही अंजाम तक पहुंचाया था.
भारत सरकार के गुमनाम क्रांतिकारियों को प्रकाश में लाने के अभियान में ‘आजादी की दीवानी दुर्गा भाभी’ नाटक मील का पत्थर साबित हुआ है. नाटक के निर्देशक एवं लेखक अक्षयवर नाथ श्रीवास्तव ने कहा कि वीरांगना दुर्गा भाभी के जीवन की उन्होंने साढ़े तीन साल तक गहन पड़ताल की. अनेक तथ्य जुटाये. उनके परिजनों से सम्पर्क किया.फिर इसे लिखा और इसका निर्देशन किया. उन्हें गर्व है कि आजादी की यह दीवानी वीरांगना दुर्गा भाभी अपने अंतिम समय तक गाजियाबाद में भी रहीं.अभी तक इस नाटक के चार मंचन हो चुके है.
दुर्गा भाभी की भूमिका में तनुपाल ने अपने बेहतरीन अभिनय कर सभी को मन्त्र मुग्ध कर दिया.भगवती चरण की भूमिका में विनय कुमार,लॉर्ड हेली की भूमिका में श्रेयष अग्निहोत्री ऋषभ सहगल -लॉर्ड पीटर,कल्याणी मिश्रा -कृष्णा बुआ,मंजू मन- श्रीमति भातवेडकर,आभास सिंह -चंद्रशेखर आजाद ने भी अपने अभिनय से लोगों की वाहवाही लूटी. इंप्रीत सिंह- इंस्पेक्टर सूरत सिंह,प्रमोद शिशोदिया- शास्त्री जीअदित श्रीवास्वत- जतिन दास अभिषेक त्यागी- लाला लाजपत राय ,ऋतिका यादव-सुशीला दीदी,नेहा पाल- स्वदेश,शौर्य केसरवानी सब इंस्पेक्टर सुखी ,अमन- गांधी जी,गुरुमीत चावला- केवल कृष्ण और बापट,शिवम शर्मा- मुंशी,शिवम सिंघल भगत सिंह और सीआईडी इंस्पेक्टर शिवानंद,राजीव वैद- राजगुरु और बट्टू सिंह,केशव साधना- सुखदेव और यशपाल,अनिरुद्ध शर्मा,विश्वनाथ और स्कॉट नीरज शर्मा -टीटीई और पड़ोसी ,तरुण शर्मा -किशन सिंह और संपूर्ण सिंह टंडन,मनु वर्मा-बांके बिहारी लाल भट्ट और डॉक्टर केसरवानी,निशांत शर्मा सुखदेव राज और अखबार बेचने वाला, साक्षी देशवाल-छोटी दुर्गा और जमुना,जतिन शर्मा -गया प्रसाद और अर्दली,निखिल धोबी और पूड़ी बेचने वालादेव उज्जवल सिंह-हवलदार और जमुना का पति, राहुल सिंह गवाह और तांगेवाला,बिगुल गुल वादक विष्णु, आशु नागर, सौरभ आर्या, प्रिन्स, ऋतिक त्यागी,सार्थक सिरोही, मोनू कुमार, शिवम शर्मा ने अपनी अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हुए दर्शकों का दिल जीता.
नाटक में निर्देशक का शोध और घटनाओं को एक अच्छे प्लानिंग के तहत सभी कलाकारों से उम्दा अभिनय करवाना नाटक में चार चाँद लगाता दिखता है. नाटक का सह-लेखन एवं सह-निर्देशन अदित श्रीवास्तव ने किया. नाटक का वस्त्र परिकल्पना रोजी श्रीवास्तव की थी जिन्होंने आजादी के दौर के वस्त्र सज्जा को बखूबी दिखाया है. नाटक में गीतों का इस्तेमाल भी कहानी को आगे बढ़ाने में अहम् भूमिका अदा किया कवि डॉ. चेतन आनंद ने वहीँ संगीत में उनका साथ दिया संकल्प श्रीवास्तव ने. नाटक में मंच सज्जा और प्रकाश ने महत्वपूर्ण अदा की जिसमें राघव प्रकाश एवं दिव्यांग श्रीवास्तव ने अच्छा प्रयास किया . कला निर्देशन साहेब श्रीवास्तव व प्रखर श्रीवास्तव का था. रूप सज्जा हरि सिंह खोलिया ने आन्दोलन के काल कों जीवंत बनाया, वहीँ .डॉ. माला कपूर ‘गौहर’ के विशेष सहयोग से नाटक को गति मिलती रहीं. नाटक के 35 कलाकारों के सहयोग से डेढ़ घंटे में प्रस्तुत किये गए इस नाटक में नौजवानों की संख्या सबसे ज्यादा दिखी. इस नाटक को दर्शकों को बहुत सराहा.
-रवीन्द्र भारती