25वें बॉगस्कोन 2016 सम्मेलन में राज्यपाल ने कहा बीमारियों से जरुरी कारणों को दूर करना
पुत्र और पुत्री विभेद की परंपरा आज अप्रासंगिक, अनैतिक और अनुचित –राज्यपाल
शुद्ध एवं पौष्टिक भोजन, शुद्ध जल, शुद्ध वातावरण, स्वास्थ और स्वस्थ मानसिकता हमारे अच्छे शारीरीक स्वास्थ्य के लिए जरूरी
समाज के हर क्षेत्र में नारियां पुरूषों से ज्यादा बेहतर रूप में प्रदर्शन कर रही हैं
बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने पटना के होटल मौर्या में त्रिदिवसीय ऑब्सटेट्रिक एंड गायनोकोलोजिकल सोसाइटी द्वारा आयोजित 25वें बॉगस्कोन 2016 सम्मेलन का विधिवत उद्घाटन किया. इस दौरान श्री कोविंद ने अपने स्त्री रोग की समस्या को लेकर पिछले 58 सालों से काम कर रही संस्था बॉगस्कोन को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बॉगस्कोन का यह सम्मेलन सिल्वर जुबली आयोजन है. इस मायने में भी यह कार्यक्रम खास है. राज्यपाल कोविंद ने कहा कि बांझपन आज एक समस्या है, उसके निदान में बिहार संतोषप्रद तरीके से आगे बढ़ रहा है. जन्म और मृत्यु् दर में कमी आई है. मातृ मृत्यु दर में भी काफी गिरावट आई है. आज सभी चिकित्सकों के सामने काफी कठिन चुनौतियां हैं.
राज्यपाल कोविंद ने कहा कि मिलेनियम डेवलपमेंट के तहत मातृ मृत्यु दर में कमी आई है. आज मातृ मृत्यु दर 216 प्रति एक लाइव बर्थ है, जो 2015 तक 109 लाने का लक्ष्य था. हम आज भी इस लक्ष्य से दूर हैं. उन्होंने कहा कि जन्म के दौरान नवजात शिशु और माता होने वाला संक्रमण भी कठिन समस्या है. जिससे बॉग्स्कोन से काफी उम्मीद है. जन्म के दौरान रक्तश्राव, खून की कमी भी एक गंभीर समस्या है. सिर्फ बीमारियों का निराकण ही नहीं, वरण कारणों का निवारण भी हमारा लक्ष्य होना चाहिए. शुद्ध एवं पौष्टिक भोजन, शुद्ध जल, शुद्ध वातावरण, स्वास्थ और स्वस्थ मानसिकता हमारे अच्छे शारीरीक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है. इसके बिना चिकित्साजगत के प्रयास कमजोर पड़ जाते हैं.
राज्यपाल ने कहा – आज महिलाओं के बेहतर स्वास्थ के प्रति जागरूकता पैदा करने के साथ – साथ एक सजग समाज और संतुलित पर्यावरण के लिए जागृति पैदा करना आपकी जिम्मेदारी है, ताकि एक समर्थ एवं आदर्श राष्ट्र की परिकल्पना को साकार किया जा सके. उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 को ईयर ऑफ द गर्ल्स चाइल्ड घोषित किया गया. जन्म से छह महीने तक बच्चों को माता का दूध मिल सके. इससे सभी अवगत हैं. इसके बाद भी पौष्टिक खाना मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में ये सच्चाई है कि लड़कियों की शिक्षा संमाज में एक क्रांति का सूत्रपात कर सकती है. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सिर्फ एक नारा नहीं है बल्कि मानव सभ्यता को विलुप्त होने के संभावनाओं के खिलाफ हमारा शंखनाद भी है. जब एक किशोरी को कम उम्र में शादी और कम उम्र में जयादा बच्चे पैदा करने के खतरे से आगाह कर दिया जाएगा, तब वे खुद सुरक्षित हो जाएगी. इस संबंध में पुरूषों से भी पर्याप्त् संवेदना और सहयोग की अपेक्षा है.
राज्यपाल कोविंद ने कहा कि आधुनिक भारतीय संदर्भ में पुत्र और पुत्री विभेद की परंपरा आज अप्रासंगिक, अनैतिक और अनुचित सिद्ध हो गई हैं. समाज के हर क्षेत्र में नारियां पुरूषों से ज्यादा बेहतर रूप में प्रदर्शन कर रही है. उन्होंने डॉक्टरों से समाज के बीच जाकर चिकित्सा कैंप लगाने की बात करते हुए कहा कि आपके ऐसे प्रयास अत्यंत ही संतोषजनक हैं. स्वस्थ मां एवं स्वस्थ बच्चा ये सोच एक स्वच्छ राष्ट्रीय परिकल्पना हेतु बेहद जरूरी है. मुझे विश्वास कि समस्याओं और बाधाओं के बावजूद आपका हौसला, त्याग और समर्पण आपके सपानों को साकार करने की दिशा में सफल सिद्ध होगा. अंत में राज्यपाल कोविंद ने इस आयोजन के लिए और बॉगस्कोन के रजत जंयती वर्ष की सफलता के लिए मंगल कामना की. समारोह को डॉ कुमकुम सिन्हा डॉ विनीता सिंह, डॉ पी सी महापात्रा, डॉ यामिन मजूमदार, डॉ आभा रानी सिन्हा, डॉ कुसुम गोपाल कपूर, डॉ अमिता शर्मा ने भी संबोधित किया.
25वें बॉगस्कोन 2016 सम्मेलन में साइंटिफिक सेशन पर परिचर्चा
पटना : त्रिदिवसीय ऑब्सटेट्रिक एंड गायनोकोलोजिकल सोसाइटी द्वारा आयोजित 25वें बॉगस्कोन 2016 सम्मेलन के दूसरे दिन साइंटिफिक सेशन का शुभारंभ आज होटल मौर्या पटना में हुआ. इस दौरान मातृ मृत्यु दर, समय पूर्व प्रसव एंव संतान के बचाव और उपचार, बच्चेदानी कैंसर के विकार एवं समाधान, महावारी की समसयाएं और समाधान, प्रसव के समय अधिक रक्त चाप तथा उसके नियंत्रण के उपाय, बच्चेदानी में संक्रमण की समस्याएं, आधुनिक तकनीक का प्रयोग, रोगों की जानकारी एवं सहयाक यंत्रों के उपयोग इत्यादि पर विस्तार से चर्चा हुई। चर्चा में देश भर से आए विभिन्न डॉक्टरों ने भाग लिया.
परिचर्चा को लेकर कांफ्रेंस की सेक्रेटरी डॉ विनीता सिंह ने कहा कि इस आयोजन का थीम स्त्रियों की समस्याओं पर आधारित है. इसमें मुख्य रूप से महिलाओं के मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी और प्रसव अवस्था में होने वाली बीमारियों और उनके निदान व उपचार के तरीके पर जानकारी दी गई। उन्होंने बतायाा कि आज बिहार मातृ मृत्यु दर का रेशो 210 है, जो बहुत ज्यादा है. वहीं, संपूर्ण देश मा मातृ मृत्यु रेशो 174 है. इसलिए हमारी कोशिश है कि जगरूकता और एक सार्थक प्रयास से इस अंतर को कम किया जाए. डॉ सिंह केे अनुसार, महिलाओं में होने वाली प्रजन्न संबंधी समस्या को अनदेखा नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से ब्लीडिंग से लेकर कैंसर तक होने की संभावना बढ़ जाती है। इन सब से कैसे बचा जाए, ये देश भर से आए डॉक्टरों ने कांफ्रेंस के दौरान इस विषय पर चर्चा की.
डॉ सिंह ने ने बताया कि विभिन्न जगहों से आए डॉक्टरों ने इलाज के आधुनिक तकनीक से भी कांफ्रेंस में हिस्सा ले रहे लोगों को बताया। इसमें लैप्रोस्कॉपिक सर्जरी और हिस्ट्रोस्काॅपिक सर्जरी मुख्य है। वहीं, कार्यशाला के दाैरान जनसंख्या नियंत्रण के लिए गर्भनिरोधक के इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी गई। इसके ही गर्भनिरोधक के उपयोग को लेकर लोगों में फैले मिथक जैसेे गर्भनिरोधक के इस्तेमाल से कैसंर हाेता है पर भी बातें हुई। इसके अलावा कांफ्रेंस में लड़कियों में होने वाले रोग पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजिज पर भी चर्चा हुई। युवा अवस्था में इन डिजिज का इलाज नहीं करवाने से भविष्य में कैंसर, बच्चे ना होना जैसी समस्याएं की प्रबल संभावना बनती है। वजन बढ़ना, हार्मोनल गड़बड़ी, महावारी में अनियमितता इस बीमारी के लक्षण हैं, जिसका इलाज तुरंत कराना चाहिए।
त्रिदिवसीय ऑब्सटेट्रिक एंड गायनोकोलोजिकल सोसाइटी सम्मेलन में नेपाल से शिरकत करने आए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ मोहन चंद रेगमी महिलाओं में होने वाले प्राेेलैैप्स डिजिज पर चर्चा करते हुए कहा कि इस बीमारी से 30 से 40 फीसदी महिलाएं ग्रसित होती हैं। यह समस्या महिलाओं में खासकर 40 साल के बाद आती है, जिसमें बच्चेेदानी खिसक कर नीचे आ जाता है. ऐसा प्रेगनेंसी के दौरान ढंग से खाना – पाना ना हो पाने और रेग्यूलर चेकअप के अभाव में होता है. इस कारण डिलेवरी में भी समस्या आती है. साथ ही यूरिन में भी समस्या आती है और महावारी पर भी असर पड़ता है। इस बीमारी से बचने के लिए प्रेगनेंसी के दौरान रेग्यूलर चेक अप और खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है और अगर कोई प्राेेलैैप्स डिजिज से ग्रसित है और वह पहले या दूसरे स्टेज में है तो साधारण इलाज और योगा से ठीक हो सकती है। वहीं, अगर यह तीसरे और चौथे स्टेज में है तो इसका एकमात्र उपाय ऑपरेशन ही है.
इसके अलावा कांफ्रेंस में डॉ बी पी पाइली, डॉ कुरियन जोजफ, डॉ मोहन, डॉ क्रिश्नेंदू गुप्ता, डॉ पी दास महापात्रा आदि ने विशेष तौर पर अपनी बातें रखी। कांफ्रेंस में बिहार की ख्याति प्राप्त स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ शांति राय, डॉ मंजू गीता मिश्रा, डॉ प्रमिला मोदी, डॉ कुसुम गोपाल कपूर, डॉ अनिता सिंह, डॉ कुमकुम सिन्हा, डॉ शांति एच के सिन्हा, डॉ मोना हसन, डॉ रेणु रोहतगी, डॉ सुषमा पांडेय, डॉ गीता सिंन्हा, डॉ रीता दयाल, डॉ अलका पांडेय, डॉ रजनी शर्मा, डॉ अजंना सिन्हा भी शामिल हुई। कांफ्रेंस की ऑर्गनाइजिंग अध्यक्ष डॉ कुमकुम सिन्हा एवं सेक्रेटरी डॉ वीनिता सिंह की देख रेख में यह आयोजन किया गया इसमें उनका साथ डॉ सुप्रिया जयसवाल, डॉ चारू मोदी, डॉ मल्लिका सह ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी ने दिया.