चुनाव आयोग के सदस्यों के चयन की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने बदल दिया है. अब चुनाव आयोग के सदस्यों का चयन तीन सदस्यों की कमिटी द्वारा किया जाएगा. प्रधानमंत्री, लोकसभा में विरोधी दल या सबसे बड़े विरोधी दल के नेता तथा उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कमिटी के सदस्य होंगे. अभी तक चुनाव आयोग के सदस्य भारत सरकार द्वारा नामित होते थे.
इस बारे में राजद के वरिष्ठ नेता शिवानन्द तिवारी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि सरकारों द्वारा आयोग में सदस्यों की नियुक्ति पर हमेशा उंगली उठती रही है. इधर तो आयोग की विश्वसनीयता पर गंभीर शंका उठाई गई है. आयोग की अविश्वसनियता से चुनावों की निष्पक्षता पर भी संदेह होने लगता है. यह लोकतंत्र के लिए घातक स्थिति है. उन्होंने कहा कि बहुत पहले से चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया को बदलने की माँग उठाई जा रही थी.
शिवानन्द तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले से आयोग की विश्वसनीयता तो बढ़ेगी ही. साथ ही इस फ़ैसले के द्वारा सुप्रीम कोर्ट ने यह संदेश भी दिया है कि वह सरकार के दबाव में आने वाली नहीं है.
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