न परंपरा की चिंता, न पंचायती राज नियमावली की फिकर
मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने कहा सूचना देना अनिवार्य,जांच करने की बात कही
संजय मिश्र,दरभंगा
दरभंगा के जिला परिषद की कार्यप्रणाली चर्चा और विवादों के साए में है. योजनाओं पर दावों को लेकर सदस्यों में उथल पुथल तो है ही और अब परंपरा से किनारा करने के आरोप लग रहे. ये आरोप 47 सदस्य वाले जिला परिषद की उपाध्यक्ष ललिता झा ने लगाया है.उन्होंने कहा है कि यहां के काम काज में जो चलन रहा है उसकी उपेक्षा की जा रही है. मान्य परिपाटी है कि सामान्य बैठक की सूचना स्थानीय सांसद, विधायक, विधानपार्षद और प्रखंड प्रमुख को दी जानी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि इस साल हुई दो बैठकों में ऐसा नहीं किया गया है. कई पदेन जनप्रतिनिधि इसको लेकर हैरानी जता रहे. उपाध्यक्ष ने बताया कि सूचना देने के संबंध में जिम्मेवारी मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी पर आती है.
ललिता ने कहा कि हाल की बैठकों में ये जनप्रतिनिधि नहीं आए. बीते 17 जनवरी 2023 को स्थाई समिति के गठन के लिए जिला परिषद की विशेष बैठक आयोजित की गई थी. वहीं 13 फरवरी को सामान्य बैठक आयोजित की गई थी. जिले के दो सांसद,10 विधायक, चार विधान पार्षद और तमाम प्रखंड प्रमुख पदेन सदस्य हैं. जिला परिषद से जुड़ी योजनाओं के फाइनलाइज होने में इनकी भूमिका अहम होती है. उपाध्यक्ष ने ध्यान दिलाया कि परंपरा के अलावा इस संबंध में पंचायती राज विभाग का लिखित मार्गदर्शन भी है.
जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह एडीएम राजेश झा ‘राजा’ से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सामान्य बैठक में सूचना देना अनिवार्य है. किस स्तर पर संवाद में कोताही हुई है उसकी जांच करेंगे. योजनाओं के संबंध में उन्होंने कहा कि वे पारदर्शिता के पक्षधर हैं. ज्यादा से ज्यादा काम हो उसी पर नजर रहती है. बैठक में सदस्य जो निर्णय करें उसका अमल करेंगे. किसी को ज्यादा या कम योजना पारित करें वे या फिर सभी सदस्यों को बराबर योजना दें. ये तो बैठक में सदस्य तय कर लें. इन बातों में मेरा तो दूर दूर तक कोई स्टेक नहीं है.