बिहार में 36 से अधिक सीटें जीतेंगे-भाजपा




बीजेपी ने तय किया साल 2024 के लोकसभा चुनाव का लक्ष्य

पार्टी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा बिहार में 36 से अधिक सीटें जीतेंगे

कार्यकर्ताओं से कहा 45 फीसदी से अधिक वोट लाने के लिए कसें कमर

अगले 2 महीने में होंगी पंचायत स्तर पर 5 हजार जनसभाएं

लाभार्थी समूह बनेगा संबल

सत्ता परिवर्तन के बाद बीजेपी की हो रही पहली प्रदेश कार्यसमिति की बैठक

संजय मिश्र,दरभंगा

बीजेपी ने राजनीतिक जमीन पुख्ता करने खातिर बिहार पर नजरें गड़ा ली है. बैसाखियों के आसरे नहीं.. बल्कि अपने बलबूते. बीमारू राज्यों की लिस्ट में अकेले बचे बिहार को उबारने का संकल्प और इसे साधने के लिए साफ नीयत और सही विकास के मंत्र पर बल. जी हां, इसकी धमक सुनाई दी दरभंगा में शनिवार को शुरू हुए बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पार्टी नेताओं के भाषण में. 

बिहार में गठबंधन सत्ता सुख से वंचित होने के बाद पार्टी कार्यसमिति की ये पहली बैठक है. मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा के पोलो ग्राउंड स्थित प्रेक्षा गृह में हो रहे इस आयोजन के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के उस संदेश की प्रतिध्वनि सुनाई दी जिसमें कहा गया कि बिहार में अपने बूते सरकार बनाएगी पार्टी. कार्यकर्ताओं से इसे टास्क के रूप में लेने की अपेक्षा की गई.

अध्यक्षीय संबोधन देते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने दावा किया कि पहला लक्ष्य 2024 के लोकसभा चुनावों में बिहार में 36 से अधिक सीटें जीतने की है. इस मिशन को पूरा करने में कार्यकर्ता लग जाएं. बैठक में नीतीश सरकार पर तीखे हमले की जगह पार्टी को 45 फीसदी से अधिक वोट पाने पर फोकस दिखा.कहा गया कि गठबंधन के दौर में बीजेपी का वोट प्रतिशत 23 से 26 फीसदी के बीच रहा. लेकिन बदले राजनीतिक हालात में हालिया हुए उपचुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत 42 पर जा पहुंचा है. हरेक बूथ पर पन्ना प्रमुख बनाने और अगले दो महीनों में पंचायत स्तर पर 5 हजार जनसभाएं करने की बात कही गई.संजय जयसवाल ने कार्यकर्ताओं से कहा कि बदली परिस्थितियों में बिहार को अपने हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता जब नीतीश जंगल राज के प्रतीक आरजेडी की गोद में जा बैठे हैं. आरजेडी के जंगलराज को हटाने के लिए हम नीतीश के साथ गए थे. और बिहार को भय से निजात मिला था. अभी की महागठबंधन सरकार में इन्वेस्टर्स मीट जिस समय हो रहे थे उसी समय आरा के पास बालू माफिया गोलियों की तड़तड़ाहट में मशगूल थे. बिहार की जनता नरेंद मोदी के विकसित भारत में बिहार की भागीदारी हो इसकी उम्मीदें लगाए बैठी है. इसके संकेत मोकामा उपचुनाव में  बीजेपी को मिले 63000 मत से जाहिर होता है. गोपालगंज एवं कुढ़नी में शानदार जीत जनता की आस का संकेत है.

पीएम मोदी के नेतृत्व में गरीबों के कल्याण के लिए योजनाओं का सफल संचालन किया गया है. बिहार में ग्रामीण शहरी क्षेत्र में विगत वर्षों में 2663488 लोगों को घर बनाकर सौंप दिया गया है. उज्वला से  बिहार के 1.2 करोड़ घर रोशन किया गया है. 8.1 करोड़ लोगों को गरीब कल्याण योजना के तहत राशन मिला है और करोड़ों घरों को स्वच्छता अभियान के साथ शौचालय मिले हैं. 8 वर्षों में पूरे  देश 3.50 करोड़ मकान बनाने में सफल हुए. बिहार के इस लाभार्थी वर्ग में पीएम पर भरोसा है. बिहार को बदहाली से निकालने में ये वर्ग बीजेपी का संबल बनेगा.कहा गया कि एनडीए शासन के दौरान 36 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव आकर्षित किए गए थे.  आज उनका हाल राज्य के लोगों को मालूम नहीं है.

जायसवाल ने भरोसा दिया कि बेहतर एवं विकसित बिहार का सपना सच करना पड़ेगा और वो कोई मुश्किल कार्य नहीं है. जब लालू सत्ता से दूर हो सकते हैं तो बीजेपी अपने दम पर जरूर  बिहार की सत्ता में आ सकती है. लेकिन बीजेपी को सर्वग्राही दल के रूप में स्वयं को पेश करना होगा. बीजेपी अध्यक्ष ने याद दिलाया कि बिहार का मौजूदा बना गठबंधन नैसर्गिक नहीं है. चाचा भतीजा मौलिक रूप से एक ही पद के लिए आपसी संघर्ष में लगे हुए हैं. आरजेडी एवं जेडीयू का निर्माण मुख्यमंत्री बनने के लिए हुआ था और अगर दो दल एक ही महत्वाकांक्षा से प्रेरित है तो वे परस्पर विरोधी हो सकते हैं सहयोगी कभी नहीं हो सकते.आने वाला वक्त बिहार के लोगों पर भारी पड़ने वाला है और गिरती हुई शासकीय व्यवस्था के सामने हमें जनता के साथ मजबूती से खड़ा रहना है उनकी मदद करनी है और अपना स्थान बनाना है.

स्पष्ट किया गया कि बीजेपी जातीय आरक्षण के पक्ष में है. ये पार्टी जातीय जनगणना की समर्थक है लेकिन इसकी आड़ में रोहिंग्या और बांग्लादेशी को भारतीय नागरिक बनाने का कुचक्र न हो. शराबबंदी के मुद्दे पर कहा गया कि बीजेपी इसके साथ है लेकिन इस नीति की समीक्षा हो. ताकि इसकी तपिश में आए वंचित वर्ग के लोगों को न्याय मिल सके.विशेष राज्य के दर्जे पर पार्टी ने राज्य सरकार के राग को ढकोसला करार दिया. कहा गया कि जेडीयू नेता रहे एन के सिंह फाइनेंस कमीशन के अध्यक्ष थे. इस कमीशन के नए नियमों के अस्तित्व में आने के बाद विशेष राज्य का मुद्दा समाप्त हो चुका है. जहां पहले राज्यों को 32 फीसदी हिस्सा केंद्रीय कर वसूली में से मिलता था.. नए नियमों के बाद राज्यों को 42 फीसदी हिस्सा मिलने लगा है. देश के तमाम राज्य कमीशन के इस व्यवस्था से सहमति रख रहे हैं. कहा गया कि बिहार के 2 लाख करोड़ के बजट में अपनी आय सिर्फ 41 हजार करोड़ है. जबकि केंद्र से मिलने वाला कर राज्यांस 91 हजार करोड़ है. इसके अलावा अलग अलग विकास योजनाओं के लिए केंद्र से 58 हजार करोड़ रुपए मिल रहे हैं. केंद्र के सहयोग से बिहार में 105 योजनाएं संचालित हैं.

महागठबंधन सरकार विभिन्न वायदों के साथ सरकार में आई. लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं किया. नौकरी, उद्योग, पुरानी पेंशन योजना और जीविका दीदियों की नौकरी पक्की करने पर सरकार में चुप्पी का आलम है. किसानों की कर्ज माफी के कांग्रेस के वादे पर नीतीश सरकार कुछ नहीं बोल रही. बिजली निजीकरण समाप्त करने के वाम दलों के वायदे धरे के धरे रह गए. वाम दल और कांग्रेस नीतीश का समर्थन कर रहे हैं.

बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव नित्यानंद राय द्वारा पेश किया गया उसका समर्थन मंगल पांडेय के द्वारा किया गया . इस बैठक को संबोधित करने वालों में राष्ट्रीय महामंत्री सह बिहार प्रभारी विनोद ताबड़े, केंद्रीय मंत्री आर के सिंह, केंद्रीय राज्यमंत्री नित्यानंद रॉय,राष्ट्रीय मंत्री ऋतु राज सिन्हा.  विजय सिन्हा, सुशील मोदी, रेणु देवी, तारकिशोर प्रसाद, गोपाल सिंह, रवि शंकर प्रसाद, मंगल पांडेय, नंद किशोर यादव, नागेंद्रजी,भीखू भाई दलसानिय, नवल किशोर यादव, ऋतु राज सिन्हा, प्रदेश उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शम्भु, देवेश कुमार, पिंकी कुशवाहा शामिल थे. इस बैठक में स्वागत भाषण जिला अध्यक्ष जीवछ सहनी ने किया.

अध्यक्षीय भाषण के बाद प्रेस मीट हुई जिसमें प्रदेश मीडिया प्रभारी अशोक भट्ट और दरभंगा मीडिया प्रभारी अमलेश झा सक्रिय दिखे. प्रेस मीट में दरभंगा सांसद गोपालजी ठाकुर, मधुबनी सांसद अशोक यादव, पूर्व मंत्री जीबेश मिश्र और बीजेपी प्रदेश महामंत्री संजीव चौरसिया शरीक हुए.

By pnc

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