पंचायती राज मंत्री से कार्रवाई के लिए हस्तक्षेप की मांग
मंत्री ने दिया कार्रवाई का भरोसा,अनियमितता के घेरे में है करीब 75 लाख रुपए
15 वीं वित्त आयोग से जुड़ी योजनाओं की राशि अंतरित (ट्रांसफर) की गई
संजय मिश्र,दरभंगा
जिले के बहादुरपुर प्रखण्ड के चर्चित वित्तीय घोटाले से जुड़ी जांच रिपोर्ट जमा होने के बाद कार्रवाई में हीलाहवाली से व्यथित पंचायत समिति सदस्य राजेश कुमार झा ने पंचायती राज मंत्री मुरारी प्रसाद गौतम से हस्तक्षेप की गुजारिश की है. जुम्मे की रात दरभंगा के सर्किट हाउस में मंत्री से मिलकर उन्होंने आवेदन पत्र सौंपा.
शनिवार को समिति सदस्य राजेश कुमार झा ने बताया कि मंत्री ने उन्हें सवालों के घेरे में आए लोगों पर कार्रवाई का भरोसा दिया है. समिति सदस्य को अंदेशा है कि छोटी मछलियों पर गाज गिरा कर बड़ी मछलियों को अनियमितता के साए से उबारा जा सकता है.
आप सोच रहे होंगे कि यहां कौन सी पहेली बुझाई जा रही है.. तो सीधे बता दें कि मामला बहादुरपुर के प्रखंड प्रमुख रूबी राज, बीडीओ अलख निरंजन और संबंधित तकनीकी कर्मियों से जुड़ा है. और ये कि प्रमुख के नाम से संचालित प्रतिष्ठान रूबी राज के बैंक अकाउंट में 15 वीं वित्त आयोग से जुड़ी योजनाओं की राशि अंतरित (ट्रांसफर) की गई. गौर करने वाली बात है कि क्रियान्वित योजनाओं पर प्रमुख के दस्तखत हुए और उन्हीं के नाम से संचालित निजी कंपनी के बैंक खाते में राशि ट्रांसफर हुई. ये अपने आप में कांफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट के दायरे में आता है.
दिलचस्प है कि तमाम शिकायत के बाद डीएम की तरफ से बनाई गई वन मैन जांच कमिटी ने इस पहलू को नजरंदाज किया. विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गणेश कुमार कमिटी ने योजनाओं के बंटवारे में भेदभाव, योजनाओं के लिए समिति सदस्यों से प्रमुख की 30 फीसदी कमीशन की मांग और प्रमुख का बीडीओ के मिलीभगत से 72 लाख रुपए अपने खाते में राशि ट्रांसफर करने को जांच के दायरे में रखा.
जांच रिपोर्ट में बहुत ही अच्छी जलेबी बनाई गई है. रोचक है कि प्रखण्ड प्रमुख का पदनाम के अलावा नाम तो लिया गया है लेकिन बीडीओ का पदनाम तो है लेकिन उनके नाम का जिक्र नहीं है. अभिलेख मिलने में देरी का रोना रोया गया है. आखिरकार वित्तीय वर्ष 2021-22 के अभिलेख के आधार पर जांच करने की बात कही गई है. साथ ही केस स्टडी के रूप में रामभद्रपुर पंचायत की क्रियान्वित योजना का स्थल जांच किया गया. ये योजना 13 लाख से अधिक की है. स्वीकार किया गया है कि योजना के क्रियान्वयन में अनियमितता है और इसमें निर्धारित मापदंड का ध्यान नहीं रखा गया है.
जांच के दौरान गणेश कुमार, दरभंगा के जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के लेखा प्रशासन एवं स्व नियोजन के निदेशक पद पर आसीन थे. सूत्रों से मिली जानकारी पर यकीन करें तो जांच निष्कर्ष में 72 लाख रुपए की जगह करीब 75 लाख रुपए ट्रांसफर होने की बात है. कहा गया है कि प्रमुख द्वारा कमीशन लेने की बात स्थापित नहीं होती है. रिपोर्ट की खास बात चौंकाती है. इसमें कहा गया है कि — यह मान लेना प्रमाणिक नहीं है कि रूबी राज के नाम से निबंधित प्रतिष्ठान से संबद्ध खाते में अंतरित राशि गबन से ही संबंधित है — . वहीं आगे कहा गया है कि योजना के क्रियान्वयन में की गई अनियमितता के लिए कार्यकारी एजेंसी एवं योजना के पर्यवेक्षण के लिए प्राधिकृत पदाधिकारी/कर्मी जिम्मेवार होते हैं.
उधर प्रखण्ड के जीवनपट्टी गांव निवासी शिव कुमार सिंह के लोक शिकायत परिवाद के तहत प्रथम अपीलीय प्राधिकार को डीपीआरओ (जिला पंचायत राज पदाधिकारी) ने बताया है कि जांच रिपोर्ट के आलोक में इन्हीं मामलों में कार्रवाई के लिए लिखा गया है. डीएम के निर्देश के अनुरूप प्रखण्ड पंचायत राज पदाधिकारी को कहा गया है कि तत्कालीन तकनीकी सहायक से स्पष्टीकरण मांगा जाए और उनपर कार्रवाई का प्रस्ताव भेजें. कार्रवाई के तहत तत्कालीन तकनीकी सहायक से राशि वसूली का प्रस्ताव भी दें. प्रमुख को अपना पक्ष रखने को कहा गया है. प्राधिकार को जानकारी दी गई है कि डीएम ने बिहार पंचायती राज विभाग से मार्गदर्शन की मांग की है कि प्रमुख के प्रतिष्ठान को एजेंसी के रूप में क्रियान्वित योजना का भुगतान किया जा सकता है या नहीं. बतौर कार्यपालक पदाधिकारी बीडीओ अलख निरंजन से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है.