सरकारी कर्मचारी, नेता, डॉक्टर, वकील, पुलिकर्मी, बिजनेसमैन सब पीते हैं शराब– अधिकारी
शराबबंदी से क्या फायदा, पी तो सब रहे हैं
तीन गुना चुकानी पड़ती है कीमत, 4 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला गया
2022 में ही अब तक तकरीबन एक करोड़ 30 लाख लीटर शराब पकड़ी गई
2020 के आंकड़े के अनुसार बिहार में 15.5 % लोग करते हैं शराब का सेवन
तस्करी करने वाले पकड़े जाते हैं, लेकिन सिंडिकेट बरकरार
अब तक 456 वीआइपी हुए गिरफ्तार
हर रोज सामने आ रही है बिहार में शराबबंदी कानून की हकीकत
जुर्माने के रूप में वसूले गए करोड़ों रुपए
पीने की रफ़्तार और शराब की उपलब्धता पहले से ज्यादा
जनवरी में जहां औसत प्रतिदिन गिरफ्तारी 40 थी, नवंबर में 751 गिरफ्तारी
2016 में नीतीश कुमार ही बिहार के मुख्यमंत्री थे ठीक उसके दो साल पहले गाँव- गाँव,मुहल्ले में एक नहीं चार चार दुकानें खुल गई थी. ये विदेशी शराब की बात थी. देसी शराब की दुकानें भी उनके समांनातर जोर जोर से चल रही थी. मगर सरकार ने महिला उत्पीड़न का हवाला देकर राज्य में शराब बंदी कर दिया,अब जब सब ज=कुछ उल्टा पुलटा होने लगा तो राज्य सरकार ने और ऐसे प्रावधान ला दिए जिससे जेल जाने वालों की संख्या तो कम हुई पर अब कमाई का धंधा बन गया शराब पीना और बेचना.
बिहार में शराबबंदी कानून में अब शराबियों को राहत दी जाने लगी. 1 अप्रैल 2022 को शराबबंदी कानून में संशोधन के बाद शराब पीने वालों के पास जुर्माना देकर छूटने का विकल्प दे दिया गया है. आंकड़ों पर नजर डाले तो बिहार में शराब पीने वाले लोग जुर्माना देकर धड़ल्ले से रिहा हो रहे हैं. शराब बिक भी रही है लोग पी भी रहे हैं अब तक बिहार में शराब पीने के आरोप में अरेस्ट हुए 15 हजार से ज्यादा लोग जुर्माना देकर रिहा हो चुके हैं.
इन सभी लोगों को स्पेशल कोर्ट से जमानत मिली है. शराबबंदी कानून में धारा 37 के तहत पहली बार शराब पीकर पकड़े गए लोगों को शपथ पत्र के साथ 2 से 5 हजार रुपए जुर्माना देकर छुट गए.शराबबंदी कानून में छूट के बाद शराब पीने वाले 13391 लोग जुर्माना देकर रिहा हुए. 1289 ऐसे लोग जुर्माना देकर रिहा हुए जो कानून में संशोधन से पहले अरेस्ट हुए थे. पहली बार शराब पीते पकड़े गए 774 लोगों ने जुर्माना देने से मना कर दिया। जुर्माना नहीं देने वाले लोगों को एक महीने की सजा काटनी पड़ी. हर महीने शराब पीते पकड़े जाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. नया कानून लागू होने के बाद लोगों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है.
इस साल शराब पीते पकड़े गए लोगों से जुर्माने के रूप में करीब 4 करोड़ रुपए वसूले वहीँ तीन महीने अप्रैल से जून तक 17553 लोग पकड़े गए जबकि 13391 लोग 4 करोड़ 51 लाख रुपये देकर छूट गए. जुलाई से लेकर अब तक सरकार को शराब पीने वाले और बेचने वाले की संख्या 30 फीसदी बढ़ गई है. अब सरकार में शामिल दल के नेता भी शराबबंदी को गलत ठहराया है खुलेआम शराब बेचने की बात कर रहे है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि राज्य में शराब की बंदी न्यायोचित नहीं है वहीँ उपेन्द्र कुशवाहा ने भी इसे विफल करार कर दिया है. शराब के व्यवसायी ने बताया कि शराब बंदी को सिर्फ एक पार्टी के विशेष लोगों को सड़क पर लाने के लिए ऐसा किया गया. जो आज गठबंधन की सत्ता में है.
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने कहा कि 12 नवंबर तक कुल 456 शराब पीते वीआइपी की गिरफ्तारी की गई है. इनमें 48 सरकारीकर्मी, 33 जनप्रतिनिधि, 18 डॉक्टर तथा आठ अधिवक्ता शामिल हैं. इस दौरान पुलिस ने भी 19 सरकारीकर्मी, 16 जनप्रतिनिधि, तीन डॉक्टर व दो अधिवक्ताओं को शराब पीने के जुर्म में पकड़ा है. अप्रैल में शराबबंदी कानून में हुए संशोधन के बाद अब तक 754 अभियुक्तों को दोबारा शराब पीते हुए पकड़ा गया है. इनमें उत्पाद विभाग 349 जबकि पुलिस विभाग ने 405 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. इनमें से करीब 100 अभियुक्तों को एक साल की सजा भी सुना दी गई है, जबकि बाकी का ट्रायल चल रहा है.
शराबबंदी को लेकर बढ़ी सख्ती के बाद हर दिन गिरफ्तार होने वालों की संख्या में भी इजाफा लागातार हो रहा है. जनवरी में जहां औसत प्रतिदिन गिरफ्तारी 40 थी, वहीं, बढ़कर यह नवंबर में 751 गिरफ्तारी प्रतिदिन हो गई है. पुलिस और उत्पाद दोनों के आंकड़े मिला लें तो प्रतिदिन औसत 1400 से अधिक अभियुक्त शराब पीने के जुर्म में पकड़े जा रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने शराबबंदी कानून के आदि समीक्षा में थे और इसका असर भी मद्य निषेध विभाग और पुलिस विभाग के एक्शन में दिख रहा है. उत्पाद आयुक्त ने बताया कि सिर्फ नवंबर में 12 नवंबर तक शराब मामले में 50 हजार ठिकानों पर छापेमारी की गई है. इस दौरान 8298 अभियोग दर्ज करते हुए 16 हजार 825 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस दौरान ऑपेरशन में एक लाख लीटर से अधिक शराब भी जब्त की गई.
इसके पहले अक्टूबर माह में एक लाख से अधिक छापेमारी कर 38 हजार अभियुक्तों को पुलिस और उत्पाद विभाग ने गिरफ्तार किया था. इस दौरान तीन लाख 20 हजार लीटर से अधिक शराब पकड़ी गई जबकि 1500 से अधिक वाहनों को जब्त किया गया. उत्पाद आयुक्त ने कहा क को मद्य निषेध विभाग पुलिस विभाग से मिलकर शराब की सप्लाई वाले चीन को तोड़ने के लिए लगातार एक्शन ले रहा है और भविष्य में इसके और भी सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे.
शराबबंदी पर इस बार हो रहे हंगामे की वजह उन 72 लोगों की मौत है जो जहरीली शराब पीने से हुई. दरअसल इस बार सारण जिले के गांव डोइला में जहरीली शराब का शिकार 72 जिंदगियां हुईं. शराब पीने के बाद इनकी तबीयत बिगड़ी और उल्टियां शुरू हो गईं, कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई और कई ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया. तमाम ऐसे भी रहे जिन्हें इलाज तो मिला, लेकिन शराब का जहर इस कदर फैल चुका था कि उन्हें बचाया नहीं जा सका.
बिहार में शराब पीने वालों की संख्या कितनी है, इसका तो कोई पैमाना नहीं, लेकिन वहां पकड़ी जा रही शराब और शराब पीने वालों की संख्या के आधार पर एक सर्वेक्षण ने चौंकाने वाली जानकारी दी है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की ओर से यह सर्वे 2020 में किया गया था. यानी की शराबबंदी लागू होने के चार साल बाद. आंकड़ों पर गौर करें तो सर्वेक्षण में सामने आया था कि बिहार में 15.5 % लोग शराब का सेवन करते हैं. यदि इसे ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में बांटा जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में 15.8 फीसद और शहरी क्षेत्रों में यह संख्या 14 फीसद के करीब है. खास बात ये है कि शराब पीने में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. सर्वे में सामने आया था कि शहरी इलाके में .5 फीसद और ग्रामीण क्षेत्रों में 0.4 फीसद महिलाएं शराब का सेवन करती हैं.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की ओर से कराए गए सर्वे में ये भी सामने आया था कि बिहार में जो लोग शराब पी रहे हैं वह पहले से तीन गुना अधिक दाम पर शराब खरीद रहे हैं. इसका फायदा सीधे-सीधे शराब माफिया उठा रहे हैं. पुलिस कार्रवाई करती है तो शराब की तस्करी करने वाले पकड़े जाते हैं, लेकिन सिंडिकेट बरकरार रहता है, जिससे शराब की सप्लाई पर असर नहीं पड़ता और खपत बढ़ती जाती है.
बिहार में 2022 में ही अब तक तकरीबन एक करोड़ लीटर शराब पकड़ी जा चुकी है. में आधी से अधिक मात्रा अवैध शराब की है, सवाल ये है कि जब शराब की तस्करी पर नजर रखने के लिए कई चेकपोस्ट की ऑनलाइन निगरानी की जा रही है तो शराब बिहार में पहुंच कैसे रही. ऐसा माना जा रहा है कि बिहार में पकड़ी जा रही अवैध शराब का ज्यादातर हिस्सा तो प्रदेश में ही बन रहा है. बाकी झारखंड, यूपी, नेपाल और पश्चिम बंगाल से लाई जा रही है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक शराबबंदी लागू होने से अब तक बिहार में शराबबंदी कानून के तहत पांच लाख से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं. इसके अलावा ढाई करोड़ लीटर से ज्यादा अवैध शराब जब्त की जा चुकी है.
जहरीली शराब से लगातार हो रही मौतें
बिहार में जहरीली शराब से हो रही मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है, सारण में हुई 72 लोगों की मौत हालिया घटना है, इससे पहले 5 अगस्त को सारण जिले में ही 9 लोगों की जहरीली शराब से मौत हुई थी, जबकि 19 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. मार्च में तो जहरीली शराब से तीन जिलों में हाहाकार मचाया था. उस समय भागलपुर, मधेपुरा और बांका जिले में कुल 37 लोगों की मौत हुई थी. पिछले साल भी बिहार में जहरीली शराब से 66 लोगों की मौत की खबर सामने आई थी. इसमें सबसे ज्यादा गोपालगंज और पश्चिमी चंपारण में 40 लोगों की मौत हुई थी.
बिहार में इस साल शराबबंदी कानून में संशोधन कर दिया गया. इसके तहत शराब पीते समय पकड़े जाने पर पहले 50 हजार रुपये जुर्माना था, जिसे घटाकर दो हजार से पांच हजार रुपये कर दिया गया. 1 अप्रैल 2022 से ये संशोधन लागू होने के बाद शराब पीने वालों की संख्या और बढ़ी है. आंकड़ों के लिहाज से अप्रैल से लेकर जून तक 17333 लोग शराब पीते हुए पकड़े गए. इनसे 4 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला गया. 45 लोगों ने जुर्माना नहीं दिया तो उन्हें एक महीने की सजा काटनी पड़ी.
PNCDESK