मेला प्रबंधन का कार्य जीविका दीदियों ने है संभाला
पटना में 15 दिसंबर से 29 दिसंबर 2022 तक है आयोजित
अब तक हो चुकी है 5 करोड़ 13 लाख रुपये की बिक्री
आत्मनिर्भरता के विविध रंग और स्वयं सहायता समूह से जुडी ग्रामीण महिलाओं की स्वावलंबन की झलक बिहार सरस मेला में प्रदर्शित है. विभिन्न स्टॉल पर देश भर से आई ग्रामीण शिल्पकार अपने हुनर को स्वावलंबन से जोड़कर महिला सशक्तिकरण की बानगी पेश कर रही हैं वहीँ मेला प्रबंधन का कार्य जीविका दीदियों ने संभाल रखा है . यह बड़ी बात है कि देश के बड़े आयोजनों में से एक बिहार सरस मेला की कमान ग्रामीण महिलाओं के हाथ में है .
बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति, जीविका के तत्वाधान में बिहार सरस मेला गाँधी मैदान, पटना में 15 दिसंबर से 29 दिसंबर 2022 तक आयोजित है. वर्ष 2014 से जीविका के तत्वाधान में आयोजित बिहार सरस मेला ग्रामीण भारत की कला एवं संस्कृति का एक अनूठा संगम है.सरस मेला एक ऐसा मंच है जो स्वदेशी उत्पादों एवं इससे जुड़े लोगों को बाज़ार उपलब्ध कराने हेतु प्रोत्साहन देता है. बिहार समेत 20 राज्यों की ग्रामीण महिला उद्धमी शिरकत कर रही हैं.
ग्राम शिल्प और उत्पाद के प्रति आगंतुकों का क्रेज ही है कि सरस मेला नित प्रगति की और अग्रसर है. महज 6 दिनों में खरीद-बिक्री का आंकड़ा लगभग 5 करोड़ 13 लाख रूपया रहा. मंगलवार को 98 लाख 23 हजार रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई. खरीद-बिक्री का यह आंकड़ा स्टॉल धारकों से लिए गए आकंड़ो पर आधारित होता है. मंगलवार को लगभग 90 हजार से ज्यादा मेला के कद्रदान आये. बुधवार को भी 90 हजार से ज्यादा लोग आये.
सीतामढ़ी जिला के सुरसंड प्रखंड से आई जीविका दीदी सुदामा देवी. सुदामा देवी सरस्वती जीविकास्वयं सहायता समूह के संबल से सिक्की आर्ट और लकड़ी के बुरादे से बनी कलाकृतियों को लेकर मेला में आई हैं . सुदामा देवी प्रतिवर्ष सरस मेला में अपने हस्तशिल्प को प्रदर्शनी एवं बिक्री के लिए लेकर आती है. उनके द्वारा बनाये गए हस्त शिल्प की मांग है . मेला में वो 20 हजार से 50 हजार रुपये का उत्पाद की बिक्री हो जाती है. 59 वर्षीय सुदामा देवी अब तक 3 हजार से ज्यादा लड़कियों एवं महिलाओं को सिक्की कला पर प्रशिक्षण दे चुकी हैं.
विभिन्न स्टॉल पर सिल्क एवं कड़ी की साड़ियाँ, सूट, लहठी, चूड़ियां, खादी के परिधान , सीप,कास्यं, पीतल, पत्थर,घास एवं जुट आदि से बनी कलाकृतियाँ, टेराकोटा, लकड़ी से फर्नीचर, झूले, दरी-कालीन, चादर और बचपने के खिलौने आदि आगंतुकों को लुभा रहे हैं. ओपन एरिया में गर्म कपड़ों के निर्माण की प्रकिया का सजीव प्रदर्शन होता है.
मुख्य मंच पर प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामाजिक कुरीतियों के प्रति जन जागरूकता हेतु लघु नाटकों की प्रस्तुति हो रही है . मेला के सातवें दिन दोपहर में महिला बाल विकास निगम के तत्वाधान में विद्या केंद्र के कलाकारों द्वारा “दहेज़ से करो परहेज” लघु नाटक की प्रस्तुति की गई . नाटक के माध्यम से शादी और दहेज़ को लेकर पिता और पुत्री के बीच हो रहे संवाद को दिखाया गया . और दर्शकों को दहेज़ मुक्त विवाह के लिए आग्रह किया गया . कलाकारों में मनोहर पंडित, शिल्पी , शालू , संजय, मनोज एव गुड्डू रहे . संध्या समय में मुस्कान सांस्कृतिक मंच द्वारा लोक गीत, गजल एवं सूफी अंदाज में गीतों की प्रस्तुति की गई . कमलेश कुमार ने “पहुना एही मिथिला में रहू ना” मैथिली लोक गीत से शमा बांधा वहीँ गुडिया गिरी ने भोजपुरी लोक गीत “सैयां मिले लड़कइयां और जईसन सोचले रहनी ओईसन पियावा मोर बाड़े हो” जैसे गीतों पर दर्शकों को झुमायाँ . वाद्य यंत्रो पर अनुज, काली राज एवं राजन ने सुमधुर संगीत से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया .
महुआ राय चौधरी ने बताया कि सेमिनार हॉल में बिहार सरकार द्वारा जीविका के माध्यम से संचालित सतत जीविकोपार्जन योजना अंतर्गत लाभुकों की स्थिति एवं उनके जीवन में आये बदलाव पर चर्चा की गई . इस कार्यक्रम में पटना जिला के विभिन्न प्रखंडों से आई सतत जीविकोपार्जन योजना की कैडर ने शिरकत की . इस सेमिनार में जीविका के अधिकारियों ने कैडरों को सतत जीविकोपार्जन योजना के सफल संचालन के गुर बताये और उनके तरफ से आये सवालों का जवाब भी दिया . मनीष कुमार, राहुल कुमार और पंकज कुमार ने उन्मुखीकरण किया . प्रतिदिन आयोजित सेमिनार का सयोजन, अंशु सिंह एवं स्मिता भारती कर रही हैं.
रवीन्द्र भारती ,PNCDESK