दुर्गा पूजा के भक्तिमय वातावरण के बीच मेयर चुनाव प्रचार में आई तेजी
महिला गूंगी गुड़िया है… और परदे के पीछे वे राज करेंगे,ऐसा नहीं होगा -रीता सिंह
दरभंगा नगर निगम के मेयर पद के लिए चुनाव अभियान की बदली बदली सी है फिजा. महिला के लिए सुरक्षित मेयर सीट के सीधे चुनाव के लिए 14 प्रत्याशी मैदान में हैं. एक तरफ माता की आराधना तो दूसरी तरफ वोटर के दरवाजे खटखटा रही ये मेयर प्रत्याशी.
किचन, भक्ति और चुनाव प्रचार के बीच उनका तारतम्य बिठाना कितना सुखद है. स्त्री हों या पुरुष वोटर.. एक ओर छुईमुई सी रहने वाली तो दूसरी ओर सार्वजनिक जीवन में दखल रखने वाली महिलाओं की सक्रियता को गौर से परख रहे हैं. दरभंगा नगर निगम क्षेत्र के 48 वार्ड में 2 लाख 66 हजार वोटर हैं. जबकि कुल 14 प्रत्याशी मैदान में हैं. प्रमुख प्रत्याशियों में मधुबाला सिन्हा, अंजुम आरा, धर्मशिला गुप्ता, मीनू झा, निर्माता नायक, सीमा महासेठ और रीता सिंह शामिल हैं.
प्रत्याशियों पर नजर डालें तो उनकी पृष्ठभूमि का अंदाजा लगता है. यह राहत की बात है कि धन कुबेरों का वर्चस्व कम है. किसी के पास पार्षद रहने का अनुभव है. वहीं कई प्रत्याशी राजनीति से ताल्लुक रखती हैं. बीजेपी से संबंध रखने वाली धर्मशिला गुप्ता कहती हैं कि राजनीतिक पृष्ठभूमि अपनी जगह है लेकिन ये चुनाव तो गैर दलीय है. रीता सिंह का कांग्रेस से रिश्ता है. लेकिन सार्वजनिक जीवन में उनकी पहचान सामाजिक कार्यकर्ता, जनहितैषी मुद्दों पर संघर्ष और किसी भी तबके के पीड़ित को न्याय दिलाने में मददगार वाली है.
रीता सिंह कहती हैं कि हम सब होम मेकर (घरेलू) हैं. रण में हैं नारी शक्ति. आधी आबादी का प्रचार अभियान में चहलकदमी अच्छा लगता है. लेकिन जमीनी हकीकत को देखें तो कई रूतबेदार लोगों ने अपने घर की महिलाओं को चुनाव में खड़ा किया है. यह सोच कर कि महिला गूंगी गुड़िया है… और परदे के पीछे वे राज करेंगे. रीता सिंह का कहना है कि नगर प्रबंधन गंभीर काम है. संबंधित मंत्रालय और प्रशासनिक अधिकारियों से काम करवाना होता है. ये सबके बस की बात नहीं. शहरी जिंदगी में – केयर ऑफ – वाले कैसे चलेंगे. जनप्रतिनिधि पति की संस्कृति नागरिक समाज के हित में नहीं है. मेयर का चुनाव दिलचस्प मोड़ पर है. मिल रहे संकेत के मुताबिक राजनीतिक और जातीय गोलबंदी का चुनावी नतीजे पर असर रह सकता है.
संजय मिश्र,दरभंगा