पटना।। ग्रामीण उधमिता को बढ़ावा देने के उदेश्य से ज्ञान भवन में आयोजित सरस मेला का आज आखिरी दिन है. देशभर के शिल्पकार और तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजन भी यहां उपलब्ध हैं जो घूमने आने वाले लोगों को खूब भा रहे हैं.
बोरिंग रोड से आई पूनम बताती हैं कि जी तो चाहता है कि सब कुछ खरीद लूं. घर सजाने से लेकर बाहर की दीवारों को खुबसूरत बनाने के हर आइटम यहाँ उपलब्ध है जो आम तौर पर बाज़ार में नहीं मिलते. पापड, अदवरी, दनौरी, ओल के अचार और उद्वंत नगर के खुरमा समेत अन्य व्यंजन पुराने दिनों की याद ताज़ा कर रहे हैं .
सरस मेला जीविका द्वारा आयोजित है. इस मेला में बिहार समेत 17 राज्यों के शिल्पकार 135 स्टॉल पर ग्रामीण शिल्प, संस्कृति एवं परंपरा को लेकर उपस्थित हैं. बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, आसाम, मध्य प्रदेश, महारष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान,सिक्किम एवं पच्छिम बंगाल से स्वयं सहायता समूह से जुड़े ग्रामीण शिल्पकार अपने यहाँ की शिल्प , संस्कृति, परंपरा एवं व्यंजन को लेकर उपस्थित हैं .
मेला में कैशलेश खरीददारी की भी व्यवस्था है . ग्राहक सेवा केंद्र से रुपये की जमा निकासी भी हो रही है. सरस मेला परिसर सेल्फी से लेकर बर्थ डे सेलेब्रेसन का भी केंद्र बना हुआ है . मेला के नवें दिन शनिवार को सरस के कद्रदानो ने खूब खरीददारी की और स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ़ उठाया .
2 सितंबर से जारी सरस मेला के आठवें दिन खरीद बिक्री का आंकड़ा लगभग 1 करोड़ 75 लाख रूपया पार कर गया. आठवें दिन शुक्रवार को लगभग 36 हजार ग्रामीण शिल्प के कद्रदान आये और लगभग 33 लाख रुपये की खरीद -बिक्री हुई.
ओड़िसा से आई हाजी अली उत्पादक समूह के स्टॉल से सर्वाधिक 70 हजार रुपये की खरीद बिक्री हुई . खरीद-बिक्री का आंकड़ा मेला में आये ग्रामीण उधमियों से लिए गए बिक्री रिपोर्ट पर आधारित होती है .
स्वच्छता एवं बेहतर साज-सज्जा एवं बेहतर बिक्री को बढ़ावा देने के उदेश्य से जीविका द्वारा प्रतिदिन स्टॉल धारकों को सम्मानित भी किया जा रहा है. शुक्रवार को स्वच्छता के लिए ऋचा स्वयं सहायता समूह, मुज्जफरपुर के स्टॉल, बेहतर साज-सज्जा के लिए मां गायत्री स्वयं सहायता समूह , वैशाली, बिहार एवं सबसे ज्यादा उत्पाद की बिक्री के लिए हाजी अली उत्पादक समूह , उड़ीसा के स्टॉल को सम्मानित किया गया.
सरस मेला में अपने हस्तशिल्प को लेकर उपस्थित कई ग्रामीण महिलाओं ने अपने हुनर को जीविका के संबल से राष्ट्रीय पटल पर स्थापित किया है l उन्ही महिलाओं में से एक हैं बक्सर जिला के चौसा प्रखंड स्थित डिहरी गाँव से आई दीपिका देवी.
दीपिका देवी काली जीविका स्वयं सहायता समूह से पिछले सात साल से जुड़ी हैं. इन सात सालों में इन्होने अपने आप को अपने परिवार का संबल बनाया है. मायके में सीखे गए हुनर को जीविका के माध्यम से बाज़ार से जोड़ा और अब गाँव की आर्थिक एवं सामजिक तौर पर संपन्न महिलाओं में से एक हैं. समूह से पहले एक लाख रूपया ऋण लेकर हस्तशिल्प का व्यवसाय शुरू किया. व्यवसाय चल पड़ा. अपने द्वारा बनाये गए प्लास्टिक के धागे से झुला, वाल हैंगिग, मोबाइल स्टैंड समेत कई घर सजावट के उत्पादों को सबसे पहले सरस मेला में लेकर आई. सरस मेला से मिले प्रोत्साहन ने इनके व्यवसाय को गति प्रदान की. प्रति दिन 6 से 7 हजार रुपये के उत्पादों की बिक्री हो रही है. दीपिका ने गाँव की दो दर्जन से ज्यादा महिलाओं को प्रशिक्षण एवं रोजगार भी दिया है.
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