अगर आप सरस मेला नहीं गए तो खो देंगे बढ़िया मौका




दीदी की रसोई के स्वाद लेने को आतुर दिखे लोग

तसर सिल्क की साड़ी और मधुबनी पेंटिंग से उकेरे गए उत्पादों की बिक्री

महिला उद्यमियों की लगन और मेहनत दिख रही है सरस मेला में

सरस मेला अब पुरे परवान पर है. मेला का समापन 11 सितम्बर को होना है, लिहाजा लोग जरूरत के अनुसार स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा उत्पादित अचार, पापड़, सत्तू, लीची–आम जूस, कतरनी और सोनाचुर चावल, गुड़ई मिठाई, सीप से बने श्रृंगार के सामान, कालीन-पायदान, परिधान एवं हैंडी क्राफ्ट की खरीदारी कर रहे हैं. साथ ही प्राकृतिक वस्तुओं से निर्मित कलाकृतियाँ भी लोगों को आकर्षित कर रही हैं. यानी सबकुछ एक ही छत के नीचे लोगों को मिल रही है. लिहाजा आगंतुक खरीदारी का मौका गवाना नहीं चाहते हैं.

बिहार समेत 17 राज्यों से आई ग्रामीण महिला उद्यमियों द्वारा बनाये गए ग्रामीण शिल्प और उत्पाद को हर उम्र के आगंतुक अपने जरुरत के हिसाब से खरीद रहे हैं . सरस मेला में आई ग्रामीण महिला उद्यमी महिला सशक्तिकरण की एक बानगी है .मेला के पांचवे दिन मंगलवार को भी आगंतुक आये और अपने मनपसंद उत्पादों की खरीददारी की और स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ़ उठाया. जीविका द्वारा सरस मेला पटना के ज्ञान भवन में ग्रामीण शिल्प और उत्पादों की प्रदर्शनी एवं बिक्री के उदेश्य से 2सितम्बर से 11 सितंबर तक आयोजित है .

बिहार समेत 17 राज्यों से आई स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पाद और कलाकृतियों की खरीद- बिक्री सह प्रदर्शनी 135 स्टॉल से हो रही है. सरस मेला में बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, आसाम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान,सिक्किम एवं पच्छिम बंगाल से स्वयं सहायता समूह से जुड़ी ग्रामीण शिल्प कार अपने यहाँ की शिल्प , संस्कृति, परंपरा एवं व्यंजन को लेकर उपस्थित हैं. 2 सितंबर से जारी सरस मेला में चार दिन में लगभग 84 लाख रूपये के उत्पादों और देशी खाद्य- व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई है . मेला के आयोजन के चौथे दिन सोमवार को बड़ी संख्या में लोग आये और खरीददारी की . सोमवार को लगभग 23 हजार लोग आये और लगभग 18 लाख रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद बिक्री हुई . उत्तर प्रदेश से आई उवेश स्वयं सहायता समूह के स्टॉल से सर्वाधिक 60 हजार रुपये के खादी के खरीद बिक्री हुई . जीविका दीदियों द्वारा संचालित दीदी की रसोई से लगभग 35 हजार रुपये के व्यंजनों का स्वाद लोगों ने चखा . खरीद-बिक्री का आंकड़ा मेला में आये ग्रामीण उधमियों से लिए गए बिक्री रिपोर्ट पर आधारित होती है .

स्वच्छता एवं बेहतर साज-सज्जा एवं बेहतर बिक्री को बढ़ावा देने के उदेश्य से जीविका द्वारा प्रतिदिन स्टॉल धारकों को सम्मानित भी किया जा रहा है . सोमवार को स्वच्छता के लिए अफरोज जहाँ, महावीर जीविका महिला स्वयं सहायता समूह , बिहार , साज-सज्जा के लिए उर्मिला देवी, चमेली जीविका स्वयं सहायता समूह, बिहार एवं सबसे ज्यादा उत्पाद की बिक्री के लिए उत्तर प्रदेश की उवेश स्वयं सहायता समूह के स्टॉल को सम्मानित किया गया .

नर्मदा देवी अपने स्टाल पर

सरस मेला में आई महिला उद्यमियों में से एक नर्मदा देवी बिहार राज्य की महिला शख्सियतों में से एक हैं . वर्ष 2008 में जीविका से जुड़कर उन्होंने मधुबनी पेंटिंग को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है . मधुबनी के रांटी गाँव की रहनेवाली नर्मदा देवी ने वर्ष 2009 में शिल्प संघ उत्पादक समूह की स्थापना की. मधुबनी पेंटिंग को बड़ा आकार एवं बाज़ार देने के उद्देश्य से इन्होने सैकड़ो ग्रामीण महिलाओं को अपने साथ जोड़ा. कारवां बढ़ता गया. बर्ष 2018 शिल्प ग्राम महिला उत्पादक कंपनी लिमिटेड की स्थापना की. कंपनी का मुख्यालय दरभंगा, बिहार में है. पुरे राज्य से ग्रामीण महिला शिल्पकारों के उत्पाद को विभिन्न माध्यमों से बिक्री की जाने लगी. चार साल से भी कम समय में शिल्प ग्राम में 450 शेयर होल्डर हैं. एक हजार से ज्यादा शिल्पकार जुड़ी हुई हैं. महज चार साल में कंपनी ने लगभग नौ करोड़ रुपये का व्यवसाय किया है. नर्मदा देवी कंपनी की निदेशक हैं. एक ग्रामीण महिला होने के नाते यह उनकी बड़ी उपलब्धि है. नर्मदा देवी अब राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में बतौर अतिथि शिरकत करती हैं और महिलों को सफल उद्यमी बनने के गुर बताती हैं. शिल्प ग्राम महिला उत्पादक कंपनी लिमिटेड से जुड़ी महिलाएं आर्थिक एवं सामाजिक तौर पर सशक्त हुई हैं. सरस मेला में आई नर्मदा देवी और उनके शिल्प ग्राम महिला उत्पादक कंपनी लिमिटेड का स्टॉल और उस पर सजे उत्पाद आगंतुकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. इस स्टॉल से डेढ़ सौ रुपये से लेकर 18 हजार की तसर सिल्क की साड़ी और मधुबनी पेंटिंग से उकेरे गए उत्पादों की बिक्री खूब हो रही है.

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By pnc

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