देवोत्थान एकादशी आज
भगवान नारायण के चार महीने तक शयन की अवधि में लगभग सभी पुण्य कार्य बंद रहते हैं
अब शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य
भाद्रपद की एकादशी को भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन करने चले जाते हैं और 4 महीने बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन निद्रा से जागते हैं. इसलिए इस दिन को देवोत्थान, देव उठनी या देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस साल देवोत्थान एकादशी का मान 11 नवंबर शुक्रवार को है.लोगों में ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्वंय भगवान नारायण नींद से जागे थे, इसलिए उपासक को भी इस दिन व्रत रखते हुए रात्रि जागरण करना करना चाहिए. भगवान नारायण के चार महीने तक शयन की अवधि में लगभग सभी पुण्य कार्य बंद रहते हैं. कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी जो दीपावली के बाद आती है उसे देवोत्थान एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं. इस दिन से ही शादी-विवाह, नया कारोबार जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है.इस दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान नारायण का ध्यान रखते हुए व्रत का संकल्प लें. इसके बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना बहुत लाभदायक होता है.