द्रौपदी मुर्मू के रूप में मिला देश को 15वां राष्ट्रपति
देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनी द्रौपदी मुर्मू
यशवंत सिन्हा को भारी अंतर से हराया बनाया रिकॉर्ड
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की बड़ी जीत
प्रधानमंत्री मोदी समेत अन्य नेताओं का समेत
देश को 15वां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के रूप में मिला. रायसीना हिल की दौड़ के लिए एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को काफी पीछे छोड़ते हुए जीत हासिल की है और देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन एक नया इतिहास रच दिया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृह मंत्री अमित शाह और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीत की बधाई दी है. भाजपा मुख्यालय के साथ साथ देश के राज्यों में भी लोगों में खासा उत्साह देखा गया लोगों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ढोल नगाड़े और नृत्य कर के खुशियाँ जाहिर की और मिठाइयाँ बांटी.
द्रौपदी मुर्मू देश की अगली राष्ट्रपति होंगी. सुबह शुरू हुई मतगणना के नतीजे आ गए हैं, जिसमें उन्हें बड़ी जीत हासिल हुई है. विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के मुकाबले द्रौपदी मुर्मू ने बड़े अंतर से जीत हासिल की है. उन्हें दो तिहाई के करीब वोट मिले हैं. पीएम नरेंद्र मोदी कई सीनियर मंत्रियों के साथ द्रौपदी मुर्मू के घर जाकर उन्हें बधाई देने पहुंचे .
पहले राउंड की गिनती में द्रौपदी मुर्मू को 748 में से 540 वोट मिले थे. इसके अलावा यशवंत सिन्हा को 208 मत हासिल हुए थे. कुल 748 मत पहले राउंड में वैध पाए गए थे, जिनका मूल्य 5 लाख 23 हजार 600 है. इनमें से 540 वोट द्रौपदी मुर्मू को हासिल हुए थे, जिनका मूल्य 3,78,000 है. वहीं यशवंत सिन्हा पहले ही राउंड में बड़े अंतर से पिछड़ गए थे. उन्हें कुल 208 वोट ही मिले थे, जिनका मूल्य 1,45,600 ही आंका गया.एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. तीसरे राउंड की गिनती में ही उन्होंने राष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी 50 फीसदी वोट पा लिये हैं. उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को बड़े अंतर से हरा दिया है. अभी एक राउंड वोटों की गिनती बची है, लेकिन यह सिर्फ औपचारिकता मात्र है. कुल तीनों राउंड की बात करें तो कुल वोट 3219 थे. इनकी वैल्यू 8,38,839 थी. इसमें से द्रौपदी मुर्मू को 2161 वोट (वैल्यू 5,77,777) मिले. वहीं यशवंत सिन्हा को 1058 वोट (वैल्यू 2,61,062) मिले.
क्लास मॉनिटर से महामहिम तक द्रौपदी मुर्मू का सफर
साथ रखती हैं ट्रांसलाइट और शिव बाबा की पुस्तिका
अपने घर को ही स्कूल में बदल दिया
आंखें भी कर चुकी हैं दान
पार्षद से शुरू किया सियासी सफर
ओडिशा का पहाड़पुर गांव के एंट्री गेट पर बैनर लगा है. जिसके दोनों तरफ द्रौपदी मुर्मू की बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगी हैं. लिखा है- राष्ट्रपति पद की प्रार्थिनी द्रौपदी मुर्मू, पहाड़पुर गांव आपका स्वागत करता है. यहीं पर एक बड़ी सी प्रतिमा लगी है, जो द्रौपदी के पति की है. जिस पर ओडिशा के दो महान कवियों सच्चिदानंद और सरला दास की कविता की पंक्तियां उकेरी हुई हैं. द्रौपदी मुर्मू के पति श्याम मुर्मू की प्रतिमा पर उड़िया में एक कविता की चंद लाइनें लिखी हैं. जिसका हिंदी में मतलब है- खाली हाथ आए हैं, खाली हाथ जाएंगे, इसलिए सदा अच्छे काम करना.
द्रौपदी मुर्मू के पति श्याम मुर्मू की प्रतिमा पर उड़िया में एक कविता की चंद लाइनें लिखी हैं. जिसका हिंदी में मतलब है- खाली हाथ आए हैं, खाली हाथ जाएंगे, इसलिए सदा अच्छे काम करना. यहां से करीब 2.5 किलोमीटर अंदर दाखिल होने पर एक स्कूल है. नाम- श्याम, लक्ष्मण, शिपुन उच्च प्राथमिक आवासीय विद्यालय. कभी यहां एक घर था. वही घर जहां 42 साल पहले देश की होने वाली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दुल्हन बनकर आईं थीं. तब न तो पक्की दीवारें थीं और न पक्की छत. खपरैल-फूस से बना घर और बांस का छोटा सा दरवाजा.
4 साल के भीतर इस घर ने 3 ट्रेजडी देखीं. एक के बाद एक 3 लाशें गांव में दफन हुईं. 2010 से 2014 के बीच द्रौपदी के 2 बेटों और पति की मौत हुई. बड़े बेटे की मौत रहस्यमयी ढंग से हुई थी. करीबियों ने बताया कि वह अपने दोस्तों के घर पार्टी में गया था. रात घर लौटा, कहा मैं थका हूं, डिस्टर्ब मत करना. सुबह दरवाजा खटखटाया गया तो खुला नहीं. किसी तरह दरवाजा खोला गया तो वह मरा हुआ मिला. 2 साल बाद छोटे बेटे की मौत सड़क हादसे में हो गई. इस इमारत में कभी सन्नाटा ना पसरे, इसलिए द्रौपदी ने छात्र-छात्राओं का यहां आवास बनवा दिया. एक कार्यक्रम में अपनी आंखें दान करने का ऐलान भी कर चुकी हैं. मुर्मू के परिवार में अब उनकी बेटी इतिश्री और दामाद गणेश हेंब्रम का परिवार है. इतिश्री ओडिशा में ही एक बैंक में कार्यरत हैं.
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक सफर कम दिलचस्प नहीं है. मूल रूप से ओडिशा के मयूरभंज जिले की रहने वालीं द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को संथाल परिवार में हुआ था. उनके पिता बिरंची नारायण टुडू और दादा, दोनों ही अपने गांव के सरपंच रहे हैं. मुर्मू की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई अपने गांव में ही हुई. इसके बाद ग्रेजुएशन करने भुवनेश्वर आ गईं और यहां रामा देवी विमेंस कॉलेज में दाखिला लिया. वो अपने गांव की पहली लड़की थीं जो ग्रेजुएशन करने घर से दूर भुवनेश्वर गई थीं.
पढ़ाई पूरी करने के बाद द्रौपदी मुर्मू की ओडिशा के सिंचाई और बिजली विभाग में बतौर क्लर्क नौकरी लग गई. कुछ सालों तक काम किया, फिर राजनीतिक की तरफ मुड़ गईं. साल 1997 पार्षद का चुनाव जीता और इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. मुर्मू, साल 2000 में ओडिशा सरकार में मंत्री बनीं. चुनाव जीतती रहीं, भाजपा संगठन में अलग-अलग पदों को संभाला. साल 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था.
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