बिहार के हजारों शिक्षक अभ्यर्थी सातवें चरण के शिक्षक नियोजन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. शिक्षा विभाग ने सभी जिलों से रिक्तियां मांगी हैं जिन पर इसी महीने रोस्टर क्लीयरेंस के साथ मुहर लगने की संभावना है और अगले महीने सातवें चरण की बहाली का विज्ञापन जारी हो सकता है. हालांकि इस पर काफी कुछ काम बाकी है क्योंकि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के छठे चरण का नियोजन अब तक पूरा नहीं हुआ है. छठे चरण का माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षकों का नियोजन 31 जुलाई तक पूरा होने की संभावना है जिसके बाद प्राथमिक, मध्य और माध्यमिक- उच्च माध्यमिक स्कूलों की रिक्तियों की गणना करते हुए एक साथ प्राइमरी और हाई स्कूल टीचर की बहाली का विज्ञापन जारी होने की बात कही जा रही है.
एक बार फिर शिक्षक नियोजन में जमकर होगा भ्रष्टाचार
शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि सातवें चरण में अभ्यर्थियों से आवेदन ऑनलाइन लिए जाएंगे जो पूरी तरह सेंट्रलाइज होगा. इसके बाद मेरिट लिस्ट जारी करते हुए काउंसलिंग की जिम्मेदारी पहले की तरह नियोजन इकाइयों को दे दी जाएगी. लेकिन इस प्रक्रिया में एक बार फिर धांधली होने के पूरे आसार हैं क्योंकि पहले के अनुभव यह बताते हैं कि सबसे ज्यादा धांधली काउंसलिंग के वक्त होती है जब सीधे-सीधे स्थानीय निकाय में मुखिया या प्रखंड अध्यक्ष खुलकर मनमानी करते हैं. ऐसा कई बार हुआ जब धांधली की वजह से योग्य अभ्यर्थी पीछे छूट गए और उनकी जगह कम मेरिट वाले अभ्यर्थियों का चयन हुआ. शिकायत और जांच के बाद कई नियोजन इकाइयों में पूरी काउंसलिंग और चयन सूची रद्द करनी पड़ी और फिर से काउंसलिंग करानी पड़ी. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि एक बार फिर शिक्षा विभाग आखिर क्यों नियोजन इकाइयों के भरोसे काउंसलिंग कराने की सोच रहा है. हालांकि इस बार एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है क्योंकि विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक सातवें चरण में काउंसलिंग सिर्फ एक बार होगी. ऐसी व्यवस्था शिक्षा विभाग कर रहा है कि दोबारा काउंसलिंग की नौबत ही नहीं आए. हालांकि ऐसा दावा पिछली बार भी किया गया था लेकिन नियोजन इकाइयों की मनमानी के आगे शिक्षा विभाग और सरकार की भी नहीं चली. मनमानी इस हद तक हुई कि कई जगहों पर जमकर हंगामा हुआ, मारपीट हुई पुलिस और प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा. कई जगह तो एफ आई आर दर्ज हुई है और फर्जीवाड़े का केस भी दर्ज किया गया है लेकिन अब तक जिन अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हुआ, उन्हें न्याय भी नहीं मिल पाया है.
काउंसलिंग ही तो है भ्रष्टाचार की जड़
इस बारे में एनआईओएस डीएलएड शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष पप्पू कुमार ने कहा कि सातवें चरण में ऑनलाइन आवेदन शिक्षा विभाग ले रहा है जो सराहनीय कदम है लेकिन सिर्फ ऑनलाइन आवेदन से शिक्षक अभ्यर्थियों का कल्याण नहीं होगा. पप्पू कुमार ने कहा कि व्यापक तरीके से धांधली तो काउंसलिंग में होती है. नियोजन इकाई ऊपर वाले मेघा अंक के अभ्यर्थियों का नाम पुकारती नहीं है और कम मेघा वाले अभ्यर्थियों को पीछे के दरवाजा से अंदर बुलाकर काउंसलिंग कर लेती है. बाहर खड़े ज्यादा अंक के अभ्यर्थियों को बोल दिया जाता है काउंसलिंग खत्म हो गई सीट भर गया, जिसके बाद अभ्यर्थी घर चले आते हैं. कुछ दिनों के बाद एनआईसी की वेबसाइट पर कम मेरिट अभ्यर्थियों की सूची जारी कर दी जाती है. बाद में ज्यादा अंक वाले अभ्यर्थी कंप्लेन करते हैं कि मैं वहीं मौजूद था लेकिन मेरा चयन नहीं किया गया और नीचे वाला अभ्यर्थियों का काउंसलिंग कर दिया गया. फिर बाद में जांच होती है पूरा नियोजन रद्द कर दिया जाता है उसमें से निर्दोष अभ्यर्थी का भी उम्मीदवारी रद्द हो जाता है. पप्पू कुमार ने कहा कि शिक्षा विभाग में हजारों अभ्यर्थी यही कंप्लेन लेकर आए दिन पहुंचते रहते थे
शिक्षा विभाग यह सब मामला बहुत नजदीक से देखा है. इसलिए काउंसलिंग का प्रोसीजर को बंद कर देना चाहिए सारा खेल सिर्फ काउंसलिंग में ही होती है. उन्होंने बताया कि धांधली का मुख्य जड़ है काउंसलिंग. नियोजन इकाई जनप्रतिनिधि मुखिया जी प्रमुख काउंसलिंग में मौजूद रहेंगे पारदर्शिता कभी नहीं हो सकता है यह बात शिक्षा विभाग अच्छी तरह से जानता है, फिर भी शिक्षा विभाग ना जाने क्यों गलती कर रहा है. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग मेरिट बनाए मेरिट के आधार पर अभ्यर्थियों से चार ऑप्शन लेकर नियुक्ति पत्र दे दिया जाए.
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