जन-सुराज नई राजनीतिक व्यवस्था की खोज तो नही !

जन-सुराज के लिए लोगों को परखते राजनीति के चाणक्य

“अगर कोई व्यक्ति या दल ये समझता है कि वो अकेले बिहार में परिवर्तन ला सकता है तो ये गलत है. किसी भी बदलाव के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत होती है और जब सही लोग सही सोच के साथ सामूहिक प्रयास करेंगे तभी बिहार को देश के अग्रणी राज्यों की सूची में शामिल कराया जा सकता है”- प्रशांत किशोर




पटना,14 जुलाई (ओ पी पांडेय) . “जब तक आपको यकीन न हो जाए कि मैं यहीं रहूंगा और बिहार के लिए ही काम करूंगा तब तक आप हमारे साथ मत जुड़िए”, उक्त बातें कहते हैं राजनीति के सबसे बड़े चाणक्य कहे जाने वाले प्रशांत किशोर अपनी “जन सुराज” के दौरान लोगों से संवाद करने में. इतनी दृढ़ता और ईमानदारी से लोगों के समक्ष अपनी बात को रखते हुए प्रशांत किशोर ने बिहार के 9 जिलों में लोगों से अबतक संवाद स्थापित किया है.

वैशाली से “जन सुराज” अभियान की शुरुआत करने के बाद प्रशांत किशोर अब तक सीवान, मुजफ्फरपुर, जहानाबाद, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, गोपालगंज, सारण और समस्तीपुर सहित 9 जिलों में जा चुके है. आने वाले दिनों में अन्य जिलों में भी जाने का योजना है. प्रशांत किशोर की मानें तो सितंबर अंत तक वैसे सभी लोगों से मिलने का प्रयास करेंगे जिन्होंने उनसे संपर्क किया है या जिनसे उन्होंने संपर्क किया है. फिर उसके बाद पदयात्रा के समय सभी जिलों के एक लंबा समय बिताने की योजना है. तब हर उस सही व्यक्ति से मिलेंगे जो बिहार की बेहतरी के लिए कुछ अच्छा कर रहे हैं या करना चाहते हैं.

क्या है जन सुराज ?
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है जनता द्वारा सुचारू रूप से चलने वाला राज. प्रशांत किशोर वर्तमान राजनीतिक परिवेश से दुखित हैं औऱ वे चाहते हैं कि राजनीति में जन भागीदारी का होना बेहद जरूरी है. सालों तक चुनावी रणनीतिकार के तौर पर काम कर चुके प्रशांत किशोर इन दिनों जेठ और आषाढ़ की तपतपाती धूप और उमस भरी गर्मी में बिहार के अलग-अलग जिलों में जा इसी सोच के साथ लोगों से संवाद स्थापित कर रहे हैं.

5 मई को ‘जन सुराज’ अभियान की घोषणा के बाद प्रशांत किशोर जन सुराज की सोच के साथ बिहार के लोगों के साथ लगातार संवाद स्थापित कर रहे हैं. उनकी योजना है कि 2 अक्तूबर से प्रस्तावित पदयात्रा से पहले हर उस व्यक्ति, संगठन और समूहों से मिलने का प्रयास किया जाए जो जन सुराज की सोच को समझना चाहते हैं और बिहार की बेहतरी के लिए कुछ करना चाहते हैं. इसी उद्देश्य से सबसे पहले वे 29 मई को वैशाली पहुंचे और 5 दिनों तक जिले के अलग-अलग प्रखंड और गांव में जाकर हजारों लोगों से संवाद स्थापित किया. इसके बाद से उनका ये सिलसिला निरंतर जारी है.

जन सुराज में शामिल होने वाले लोग

प्रशांत किशोर हर जिले में जिन समूहों से मिल रहे हैं उनमें समाज के अलग अलग क्षेत्रों में अच्छा काम करने वाले लोगों की एक लंबी सूची है. वे समाजसेवियों, चिकित्सकों, अधिवक्ताओं, महिला सशक्तिकरण की मिशाल पेश कर रहीं महिलाओं, युवाओं, पत्रकारों, पंचायती राज व्यवस्था से जुड़े जनप्रतिनिधियों जैसे जिला परिषद के सदस्य, मुखिया, ब्लॉक प्रमुख, सरपंच, पंचायत समिति के सदस्य और समाज के अलग अलग वर्गों से आने वाले लोगों से मिल रहे हैं और उनसे जन सुराज पर संवाद कर रहे हैं.

बाकि राजनीतिक कार्यक्रमों से अलग यह कार्यक्रम वहां के स्थानीय लोग ही आयोजित करते हैं और प्रशांत किशोर को बुलाते हैं. प्रशांत किशोर कार्यक्रम की शुरुआत आमतौर पर अपने परिचय से करते हैं और लोगों को जन सुराज की सोच के बारे में विस्तार से बताते हैं. वे कहते हैं कि इस अभियान का उद्देश्य किसी दल के लिए कार्यकर्ता खोजना नहीं है, बल्कि एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनना है और उसके लिए संस्थापक खोजना है. इन कार्यक्रमों की सबसे बड़ी खासियत ये होती है कि वो जितना समय अपने संबोधन में लगाते हैं उससे ज्यादा समय लोगों के सवालों का जवाब देते हैं. कार्यक्रम में शामिल कोई भी व्यक्ति प्रशांत किशोर से किसी भी तरह का सवाल पूछता है और प्रशांत सभी के सवालों का जवाब देते हैं और सबको संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं.

वे अपने संबोधन में ‘सही लोग, सही सोच और सामूहिक प्रयास’ के नारे पर जोर देते हुए कहते हैं कि यह अभियान सही लोगों को खोजने का है, इसीलिए समाज में घूम रहे हैं. वे कहते हैं कि समाज को मथने से ही सही लोगों का चुनाव संभव है. सही सोच का मतलब वे बताते हैं कि वैसे लोग जो बिहार की खुशहाली और बेहतरी में अपनी खुशहाली और बेहतरी देखते हों, जो सचमुच चाहते हों की बिहार भी विकास के सभी मापदंडों में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो और बिहार के लोगों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ सेवाओं के लिए पलायन नहीं करना पड़े, और इन सब के लिए सामूहिक प्रयास ही एकमात्र रास्ता है.

बदलाव के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत

आमतौर पर किशोर जिन जिलों में जाते हैं वहाँ सर्किट हाउस में ही ठहरते हैं. उनके दिन की शुरुआत 8 बजे सुबह से हो जाती है. सर्किट हाउस में उनसे मुलाकात करने लोग आते रहते हैं और फिर 10 बजे से जो संवाद कार्यक्रमों के लिए निकलते हैं तो यह कार्यक्रम देर रात 10-11 बजे तक लगातार चलता हैं. कार्यक्रमों के बीच में ही दोपहर और रात का भोजन भी करते है. हर जिले में प्रशांत किशोर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मीडिया के साथियों के साथ भी संवाद करते हैं और जन सुराज की सोच को उनके सामने रखते हैं.

वे कहते हैं, “अगर कोई व्यक्ति या दल ये समझता है कि वो अकेले बिहार में परिवर्तन ला सकता है तो ये गलत है. किसी भी बदलाव के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत होती है और जब सही लोग सही सोच के साथ सामूहिक प्रयास करेंगे तभी बिहार को देश के अग्रणी राज्यों की सूची में शामिल कराया जा सकता है.

लोगों की प्रतिकिया और प्रशांत का ताल ठोक जवाब

प्रशांत किशोर के कार्यक्रम में शामिल होने वाले बताते हैं कि प्रशांत किशोर ने बहुत कठिन काम का बीड़ा उठाया है, उनकी सोच साफ और स्पष्ट है, लेकिन वे इसमें कितना सफल होंगे ये इस बात पर निर्भर करता है कि वो बिहार में कितने समय तक रहते हैं. प्रशांत किशोर लोगों की इस शंका को मिटाते हुए कहते भी हैं कि “जब तक आपको यकीन न हो जाए कि मैं यहीं रहूंगा और बिहार के लिए ही काम करूंगा तब तक आप हमारे साथ मत जुड़िए.”

साल दो साल में जब मैं यहां काम करूंगा तब आपको विश्वास हो जाएगा कि मैं कहीं नहीं जा रहा हूं और बिहार के लिए समर्पित तौर पर काम कर रहा हूं. किशोर कहते हैं कि मेरी कथनी नहीं, करनी पर भरोसा कीजिए. आमलोगों का ये भी मानना है कि बिहार ने जिन नेताओं पर भरोसा किया, जिनको जीताया उसके बाद भी बिहार आज देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल है.

इस पूरे अभियान के जरिये सही लोगों को एक साथ एक मंच पर लाने की सोच रखने वाले राजनीति के चाणक्य लोगों को एक साथ जोड़ पाएंगे या नही ये तो आने वाल वक्त ही बताएगा. लेकिन राजनीति के लिए नया फर्श तलाशने वाले प्रशांत किशोर इस बार बड़े ही आत्मविश्वास से लबरेज हैं और बिहार की जनता की तरसती आँखे भी इस नई आशा की रौशनी को टटोल अपने निर्णय के इन्तजार में सही समय के मौके की ताक में है.

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