आर्ट्स एंड साइंस के खाली पदों को भरने में सरकार ने पहली बार दिखाई गंभीरता

बिहार में तमाम विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों के शिक्षकों की जबरदस्त कमी है. कई विषयों में तो शिक्षक उपलब्ध ही नहीं हैं. हालांकि बिहार लोक सेवा आयोग और वर्ष 2020 के बाद बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग के जरिए नियुक्तियां हो रही हैं, लेकिन इन नियुक्तियों की प्रक्रिया इतनी धीमी है कि इसमें कई वर्ष लगने की संभावना है. अब तक बिहार सरकार ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई थी लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से लगातार शिक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं तब सरकार की नींद खुली है. पहले स्कूली शिक्षकों की बड़ी संख्या में छठे चरण के तहत नियुक्ति की गई और अब विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए सरकार ने पहली बार विश्वविद्यालय सेवा आयोग को जल्द से जल्द नियुक्ति पूरी करने को कहा है.

शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग से कहा है कि चल रही नियुक्ति प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता के साथ 31 दिसंबर तक पूरी करें. नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए हर आवश्यक संसाधन व सुविधाएं सरकार आयोग को उपलब्ध कराएगी. शिक्षा मंत्री ने आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों, सचिव, पदाधिकारियों के साथ नियुक्ति प्रक्रिया की समीक्षा की. समीक्षा बैठक में मुख्य रूप से राज्य के विश्वविद्यालयों के लिए कुल 52 विषयों में सहायक प्राध्यापक की 4638 रिक्त पदों के विरुद्ध नियुक्ति कार्य में तेजी लाने पर विचार-विमर्श किया गया. बैठक में अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह भी उपस्थित थे.




आयोग के सचिव ने रिक्ति के विरुद्ध की गई अब तक की कार्रवाई की जानकारी दी. उन्होंने 31 दिसंबर तक की नियुक्ति से संबंधित कार्ययोजना बैठक में प्रस्तुत की. आयोग द्वारा नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज करने के लिए अन्य आवश्यक संसाधन मुहैया का अनुरोध सरकार से किया गया.

इससे पहले शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय सेवा आयोग को पत्र लिखकर कहा था कि विश्वविद्यालयों में व्याख्याताओं की कमी को देखते हुये राज्य सरकार की मंशा है कि जिन विषयों में व्याख्याताओं की रिक्तियाँ ज्यादा है उनमें प्राथमिकता के आधार पर चयन की प्रक्रिया विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा करने का प्रयास किया जाये. उन्होंने सब्जेक्ट वाइज वैकेंसी इंडीकेट करते हुए इन्हें प्राथमिकता के आधार पर भरने का अनुरोध भी किया है.

इस क्रम में कला संकाय के निम्नांकित पदों पर चयन आवश्यक है-

  1. इतिहास 316
  2. मनोविज्ञान 42
  3. राजनीति शास्त्र 280
  4. अर्थशास्त्र 268
  5. सामाजिक शास्त्र 108

विज्ञान संकाय के निम्नांकित पदों पर चयन को प्राथमिकता दी जाय :

  1. रासायन शास्त्र 332
  2. वनस्पति शास्त्र 335
  3. प्राणी शास्त्र 385

क्या कहते हैं यूनिवर्सिटी एक्सपर्ट

इस बारे में विश्वविद्यालय मामलों की पूरी जानकारी रखने वाले अंकुर ओझा ने बताया कि सरकार की मंशा अब तक स्पष्ट नहीं है क्योंकि जब तक विश्वविद्यालय सेवा आयोग को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं कराया जाएगा तब तक नियुक्तियां तेजी से करने की बात करना बेमानी लगता है. अंकुर ओझा ने पटना नाउ को बताया कि यह तो कुछ ऐसा लग रहा है जैसे सरकार लोगों के बीच संदेश तो देना चाहती है को वो इस मामले में गंभीर है लेकिन सच में ऐसा नहीं है. बिहार के विश्वविद्यालयों में सबसे ज्यादा डिमांड वाले गणित, रसायन, भौतिकी और इतिहास जैसे विषयों में शिक्षकों की जबरदस्त कमी है और यह कई वर्षों से है. इसके बावजूद सरकार की ओर से कोई गंभीर प्रयास अब तक तो देखने को नहीं मिला. अब देखना है कि सरकार विश्वविद्यालय सेवा आयोग को पर्याप्त संसाधन कब तक मुहैया कराती है ताकि नियुक्तियां ससमय हो सकें.

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By dnv md

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