पिछले 15 साल से अपने कंफर्ट जोन में तबादले की बाट जोह रहे नियोजित शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने एक और बड़ा झटका दिया है. अब उन्हें सातवें चरण की बहाली खत्म होने का इंतजार करना होगा उसके बाद ही नई नियमावली के तहत उनका ऐच्छिक तबादला (एक नियोजन इकाई से दूसरी नियोजन इकाई) हो सकेगा. शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सातवां चरण पूरा होगा उसके बाद ही ऐच्छिक तबादला होगा. यानी 2-4 साल का और इंतजार.
शिक्षकों ने 2 साल पहले लगभग 70 दिनों की लंबी हड़ताल की थी जिसके बाद सरकार ने नियोजित शिक्षकों के लिए नियमावली बनाई थी. नियमावली के तहत अन्य बातों के अलावा शिक्षकों को एक बार ऐच्छिक स्थानांतरण की सुविधा देने की बात कही गई थी. वर्ष 2020 के अगस्त महीने में सरकार ने यह घोषणा की थी लेकिन दो साल बाद भी सरकार इस पर काम नहीं कर पाई है. एक सॉफ्टवेयर तक सरकार तैयार नहीं कर पाई है जिसके जरिए इच्छुक शिक्षक तबादले के लिए आवेदन कर सकेंगे. इसका खामियाजा बिहार के दूरदराज इलाकों में काम कर रहे शिक्षक, विशेष तौर पर महिला और दिव्यांग शिक्षक भुगत रहे हैं. लेकिन अब इसके पीछे की वजह भी समझ लीजिए. उन्हें असली खामियाजा भुगतना पड़ रहा है उन बड़े शिक्षक संघों की वजह से, जो इस बारे में उनकी परेशानी शिक्षा विभाग तक नहीं पहुंचा पा रहे. शिक्षक संघ से जुड़ी कई महिला शिक्षकों ने कहा है कि दरअसल बड़े-बड़े शिक्षक संघ के शिक्षक नेता पटना समेत अन्य जिला मुख्यालयों में प्रमुख स्थलों पर पदस्थापित हैं और उन्हें खुद कोई परेशानी नहीं है. इसलिए वे बाकी शिक्षकों की परेशानी नहीं समझ रहे और आराम से बैठे हैं. इस बारे में उन्होंने अब तक कोई रणनीति नहीं बनाई और ना ही शिक्षा विभाग तक वे मजबूती से अपनी बात पहुंचा पा रहे हैं जिसका खामियाजा महिलाएं और दिव्यांग शिक्षक भुगत रहे हैं. इधर सातवें चरण की बहाली के लिए जब शिक्षक अभ्यर्थियों ने कई दिनों तक पटना में आंदोलन किया तो इसका प्रभाव देखने को मिला और शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में सभी जिलों से रिक्तियों की संख्या से संबंधित पत्र भी जारी कर दिया है और यह निर्णय लिया है कि सातवें चरण की बहाली होने के बाद ही तबादला होगा. लेकिन यह तय है कि सातवें चरण में कम से कम 2-4 साल का वक्त लग जाएगा यानी 2-4 साल और शिक्षकों को मनमाफिक स्थानांतरण का इंतजार करना पड़ेगा.
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