आर्थिक वृद्धि का इंजन बनेगा हिंद-प्रशांत
अमेरिका की पहल पर ‘आईपीईएफ’ में साथ आये 12 देश
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के पीएम फुमियो किशिदा की मौजूदगी में 12 हिंद-प्रशांत देशों के साथ नये व्यापार समझौते की शुरुआत की. इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (आईपीईएफ) के अन्य भागीदार देशों, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के नेताओं की वर्चुअल उपस्थिति रही। अमेरिका के साथ इन देशों की वैश्विक जीडीपी में 40 फीसदी हिस्सेदारी है.
आईपीईएफ का मकसद समान विचार वाले देशों के बीच स्वच्छ ऊर्जा, आपूर्ति शृंखला और डिजिटल कारोबार जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है. प्रधानमंत्री मोदी ने खुले, मुक्त एवं समावेशी हिंद-प्रशांत की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए सहयोगी देशों के साथ आर्थिक सहयोग गहरा बनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा इस क्षेत्र को वैश्विक आर्थिक वृद्धि का इंजन बनाने की हमारी सामूहिक इच्छाशक्ति की घोषणा है. हिंद-प्रशांत विनिर्माण, आर्थिक गतिविधि, वैश्विक व्यापार और निवेश का केंद्र है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र के कारोबार प्रवाह में भारत सदियों से एक प्रमुख केंद्र रहा है. मोदी ने कहा कि विश्व का सबसे प्राचीन वाणिज्यिक बंदरगाह मेरे गृह राज्य गुजरात के लोथल में है.
प्रधानमंत्री मोदी ने सॉफ्टबैंक के मासायोशी सोन और सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के ओसामु सुजुकी सहित जापान के कारोबारी दिग्गजों से मुलाकात की और उन्हें भारत में निवेश का न्योता दिया. मोदी ने टोक्यो में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की विकास यात्रा एवं क्षमता निर्माण में जापान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. जापान से हमारा रिश्ता बुद्ध, बोध, ज्ञान, ध्यान का है. भारत और जापान नैसर्गिक सहयोगी हैं.
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