लालू यादव पर लगे क्या हैं संगीन आरोप

क्या बोले थे विपक्ष के नेता

सीबीआई लालू के 17 ठिकानों पर कर रही है छापेमारी

लालू एंड फैमिली पर चार्जशीट दाखिल होगी और सजा भी मिलेगी: सुशील मोदी




रेलवे टेंडर स्कैम में कार्रवाई पर जदयू ने उठाये सवाल, सुशील मोदी बोले थे – सीबीआई को देना है जवाब

रेलवे भर्ती में जमीन लेने के लगे हैं आरोप

सुशील मोदी ने कहा था कि  सच्चाई यह है कि जब लालू प्रसाद रेल मंत्री थे तो रेलवे के दो होटलों के एवज में कोचर बंधुओं से वह जमीन प्रेम चन्द्र गुप्ता की कंपनी डिलाइट मार्केटिंग के नाम पर लिखवाई गई .उसके बाद मात्र चार लाख रुपये की पूंजी लगाकर राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के नाम से उक्त जमीन और पूरी कंपनी को हासिल कर लिया गया. बेनामी संपत्ति अर्जित करने के मामले और रेलवे टेंडर घोटाले में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के पटना में स्थित 45 करोड़ के 3 एकड़ जमीन को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कुर्क किए जाने की कार्यवाही के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने लालू पर तंज कसा था.

सुशील मोदी ने कहा था कि जब उन्होंने लालू की इस बेनामी संपत्ति का खुलासा किया था तो लालू ने सवाल उठाया था कि आखिर कहां इस केस के सिलसिले में उनके ठिकानों पर छापेमारी हुई है. ईडी द्वारा लारा प्रोजेक्ट की 3 एकड़ जमीन जब्त करने के बाद लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव पूछ रहे हैं कि चार्जशीट क्यों नहीं दायर की गई है? मोदी ने कहा कि लालू परिवार के खिलाफ ईडी, आईटी, सीबीआई के पास इतने पुख्ता सबूत हैं कि केवल चार्जशीट ही दाखिल नहीं होगी बल्कि सभी को जेल भी जाना होगा और सजा भी होगी.

तब मोदी ने कहा था कि चार्जशीट दाखिल होने का इंतजार करने की जगह तेजस्वी यादव को बताना चाहिए कि बिना किसी वाजिब कमाई के आखिर 28 साल की उम्र में जिस 3 एकड़ जमीन पर 750 करोड़ का बिहार का सबसे बड़ा मॉल बन रहा था वह उसके मालिक कैसे बन गए? सुशील मोदी ने कहा, सच्चाई यह है कि जब लालू प्रसाद रेल मंत्री थे तो दो होटलों के एवज में कोचर बंधुओं से वह जमीन प्रेम चन्द्र गुप्ता की कंपनी डिलाइट मार्केटिंग के नाम पर लिखवाई गई और उसके बाद मात्र चार लाख रुपये की पूंजी लगाकर राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के नाम से उक्त जमीन और पूरी कंपनी को हासिल कर लिया गया.

रेलवे टेंडर स्कैम में कोताही बरतने का आरोप लगाकर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने सवाल उठाए थे . जदयू के इस सवाल के जवाब में सुशील मोदी ने कहा था कि इस संबंध में सीबीआई को जवाब देना है. जदयू ने रेलवे टेंडर घोटाला मामले में रेल मंत्रालय द्वारा एक अधिकारी पर मुकदमा चलाने की इजाजत देने में देरी करने पर सवाल उठाए थे. तब जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह ने पूछा था कि सीबीआई और रेलवे की तरफ से इस मामले में कोताही क्यों बरती जा रही है? इस मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटे और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी आरोपी हैं. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया और पार्टी के सभी प्रवक्ताओं को सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जाहिर करने का संदेश दिया था.

रेलवे टेंडर स्कैम मामला एक बार फिर जदयू और बीजेपी में मतभेद के रुप देखा जा रहा है. ये तब है जब मोदी सरकार संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रही है. इससे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच पटना में मुलाकात के दौरान ये संदेश देने की कोशिश की गई थी कि दोनों पार्टियों के बीच कोई मतभेद नहीं है और सबकुछ ठीक है.

तब जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा था कि हमारी पार्टी ने इसे काफी गंभीरता से लिया है. चार्जशीट फाइल होने के 90 दिन बाद भी रेल मंत्रालय द्वारा रेलवे टेंडर स्कैम में आरोपी एक अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत देने में देरी की जा रही है और इस पर सवाल उठना लाजिमी है.

जदयू के सवाल पर बिहार के वरिष्ठ नेता और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कमेंट करने से मना कर दिया. हालांकि उन्होंने कहा कि सीबीआई स्वायत संस्था है और केंद्रीय एजेंसी के कामकाज से पार्टी का कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा, ” इस पूरे मामले पर सीबीआई को जवाब देना है. बीजेपी इसपर क्या प्रतिक्रिया दे सकती है?”

रेलवे बोर्ड के अतिरिक्त सदस्य बी के अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजातज नहीं देने पर जदयू सवाल उठा रहा था . बी के अग्रवाल 12 आरोपियों में से एक हैं जिनके खिलाफ 15 अप्रैल को सीबीआई के स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई थी. जदयू के एक महासचिव ने कहा था कि नीतीश कुमार की साम्प्रदायिक और भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करने की नीति को बीजेपी नजरअंदाज कर रही है. उन्होंने कहा, “आईआरसीटी घोटाले में तेजस्वी यादव के नाम आने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होने का बड़ा फैसला लिया था और हमलोग इसे कैसे भूल सकते हैं?”

रेलवे टेंडर स्कैम की शुरूआत 2005 में हुई थी जब लालू प्रसाद रेल मंत्री थे, झारखंड के रांची और उड़िसा के पुरी में रेलवे के दो होटलों को मेसर्स सुजाता होटल प्राइवेट लि. को लीज पर दिया गया. आरोप है कि होटल को लीज पर देने के लिए टेंडर के नियमों में ढील दी गयी और जब होटल लीज पर मिल गया तो इसके बदले डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को पटना में 3 एकड़ जमीन मिली. ये जमीन चाणक्य होटल के डायरेक्टर विनय कोचर ने 1 करोड़ 47 लाख में बेची जबकि बाजार में उस वक्त इस जमीन की कीमत ज्यादा थी.

डिलाइट मार्केटिंग कंपनी आरजेडी सांसद प्रेम चंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता के नाम पर थी. 2014 में डिलाइट मार्केटिंग कंपनी के शेयर लारा प्रोजेक्ट के नाम ट्रांसफर कर दिए गए, लारा प्रोजेक्ट कंपनी में लालू की पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी डायरेक्टर थे, जब सारे शेयर डिलाइट मार्केटिंग कंपनी से लारा प्रोजेक्ट में ट्रांसफर हो गए तब इस जमीन की कीमत करीब 32 करोड़ रुपए हो गयी. 32 करोड़ की इस जमीन को लालू के परिवार की कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख रुपए लेकर ट्रांसफर कर दिया गया.

पिछले साल 6 जुलाई को रेलवे टेंडर स्कैम मामले में प्राथमिकी दर्ज  होने के बाद लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के आवास पर रेड हुआ था, जिसके बाद जदयू और राजद के बीच तनातनी बढ़ गई थी. तब सीएम नीतीश कुमार ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से करप्शन के मामले में सफाई देने की बात कही थी और फिर मामला ज्यादा बढ़ने पर 26 जुलाई को बिहार में महागठबंधन की सरकार गिर गई थी.महागठबंधन की सरकार गिरने के कुछ ही घंटे बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी का समर्थन लेने का फैसला किया और 27 जुलाई को बीजेपी के सहयोग से नयी सरकार बनाई.

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By pnc

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