छह माह के बाद शिशुओं को अनुपूरक आहार देना अनिवार्य : डीपीओ
कुपोषण रोकने में अनुपूरक आहार की अहम भूमिका,
शारीरिक व मानसिक विकास के लिए जरूरी
आंगनबाड़ी केन्द्रों में अन्नप्रासन एवं टीएचआर वितरण के जरिए अनुपूरक आहार पर बल
आरा, 19 मई. बच्चों को स्वथ्य रखने के लिए जरूरी है उन्हे अच्छे आहार देना. क्योंकि इसकी कमी के कारण ही बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं. बाल कुपोषण को दूर करने के लिए भोजपुर जिला में विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाते हैं. बाल कुपोषण को कम करने में अनुपूरक आहार की अहम भूमिका होती है. छह माह तक शिशु का वजन लगभग दो गुना बढ़ जाता एवं एक वर्ष पूरा होने तक वजन लगभग तीन गुना एवं लंबाई जन्म से लगभग डेढ़ गुना बढ़ जाती है. जीवन के दो वर्षों में तंत्रिका प्रणाली एवं मस्तिष्क विकास के साथ सभी अंगों में संरचनात्मक एवं कार्यात्मक दृष्टिकोण से बहुत तेजी से विकास होता है. इसके लिए अतिरिक्त पोषक आहार की जरूरत होती है. इसलिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर हर माह 19 तारीख को 6 माह पूरे कर लिए शिशुओं का अन्नप्राशन कराया जाता है. गुरुवार को जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर शिशुओं के अन्नप्राशन कराया गया. साथ ही, शिशु के परिजनों को शिशुओं के लिए स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार उपयोग करने की जानकारी दी गई.
माह में एक बार अन्नप्राशन दिवस का होता है आयोजन
आईसीडीएस डीपीओ माला कुमारी ने बताया, छह माह के बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार की जरूरत होती है. इस दौरान शिशु के शरीर एवं मस्तिष्क का तेजी से विकास होता है. इसे ध्यान में रखते हुए सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर माह में एक बार अन्नप्राशन दिवस आयोजित किया जाता है. जिसमें छह माह के शिशुओं को अनुपूरक आहार खिलाया जाता है. इसके साथ ही उनके माता-पिता को इसके विषय में जानकारी दी जाती है. इसके अलावा सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर हर माह टेक होम राशन (टीएचआर) का वितरण किया जाता है. जिसमें छह महीने से तीन वर्ष के शिशुओं के लिए चावल, दाल, सोयाबड़ी अथवा अंडा लाभार्थियों को उपलब्ध कराया जाता है. अन्नप्राशन दिवस पर लोगों को सेविकाओं द्वारा शिशुओं के लिए अनुपूरक आहार बनाने के विषय में भी जानकारी दी जाती है जिससे उसे संतुलित भोजन उपलब्ध हो सके.
घर में मौजूद खाद्य पदार्थों का उपयोग करें
राष्ट्रीय पोषण अभियान जिला समन्वयक पियूष पराग यादव ने बताया, शिशु के लिए प्रारंभिक आहार तैयार करने के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है. सूजी, गेहूं का आटा, चावल, रागा, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में दलिया बनाया जा सकता है. बच्चे के आहार में चीनी अथवा गुड़ को भी शामिल करना चाहिए क्योंकि उन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है. 6 से 9 माह तक के बच्चों को गाढ़े एवं सुपाच्य दलिया खिलाना चाहिए. वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिये. दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के विकास में सहायक होते हैं.
इन बातों का रखें ख्याल:
• 6 माह बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार शिशु को दें
• स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार शिशु को सुपाच्य खाना दें
• शिशु को मल्टिंग आहार (अंकुरित साबुत आनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) दें
• माल्टिंग से तैयार आहार से शिशुओं को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है
• शिशु यदि अनुपूरक आहार नहीं खाए तब भी थोड़ी थोड़ी मात्रा करके कई बार खिलाएं
आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट