संत माइकल स्कूल में हुई दो हजार छात्र-छात्राओं की आंखों की जांच

By pnc May 6, 2022




प्रधानाचार्य फादर आर्मस्ट्रांग ने डॉक्टर सिद्धार्थ और उनकी टीम को सम्मानित किया

विद्यालय में तीन सप्ताह तक चला नेत्र परीक्षण

एक हजार बच्चों में दृष्टि कमजोर होने की समस्या मिली

आधुनिक मशीन ऑटो रिफ्रेक्टोमीटर का प्रयोग से हुई जांच

पटना: दो सालों में लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं और लैपटॉप या मोबाइल पर की गई पढ़ाई ने बच्चों की आँखों को भारी पहुंचाया है. इन इलेक्ट्रानिक उपकरणों से निकलने वाली रोशनी ने बच्चों की देखने की क्षमता यानी विजन को बहुत हद तक प्रभावित किया है. यह बातें श्री कुमार आई सेंटर के डॉक्टर सिद्धार्थ ने स्कूल के प्राइमरी सेक्शन की ओर से आयोजित ‘आई चेकअप’ के समापन समारोह में अपने संबोधन में कही. डॉ. सिद्धार्थ कुमार, एक नेत्र रोग विशेषज्ञ, और विटेरोरेटिनल सर्जन में जिम्मेदारी की एक असाधारण भावना है जिसके कारण उन्हें सेंट माइकल हाई स्कूल में लगातार इक्कीस दिन बिताने पड़े हैं, जो युवा माइकलाइट्स के प्रति अपनी देखभाल और चिंता का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं.

19 अप्रैल से 06 मई तक लगातार तीन सप्ताह तक चले इस आई चेकअप कैंप में लगभग दो हजार छात्र-छात्राओं के आँखों की जांच की गई. इस जाँच में उनके विजन टेस्ट, कलर विजन टेस्ट और रिक्शन टेस्ट जैसे तीन तरह की जांच की गई. इस कैंप में लगभग दो हजार बच्चों के क्षेत्र की जाँच की गई जिसमे लगभग एक हजार बच्चों में दृष्टि कमजोर होने की समस्या पायी गई. इसके साथ ही लगभग आठ सौ छात्र-छात्राओं में विजन की समस्या थी. लगभग सात सौ बच्चों में कॉर्निया संबन्धित दिक्कतें पायी गई. संत माइकल हाई स्कूल पहले भी अपने विद्यार्थियों के लिए ऐसे आई चेकअप कैंप आयोजित करता रहा है मगर इस बार पहली बार आधुनिक मशीन ऑटो रिफ्रेक्टोमीटर का प्रयोग जाँच में किया गया.

बच्चों को संबोधित करती प्रधानाचार्य विशाखा सिन्हा

विद्यालय में 2022-23 के नए सत्र के प्रारंभ होते ही जब विद्यार्थी स्कूल आने लगे कई छात्रों को बोर्ड पर लिखा गया कार्य पढ़ने या उसे कॉपी में उतारने में दिक्कतें आने लगी. कुछ ही दिनों में ये बातें अभिभावकों और विद्यालय प्रबंधन दोनों की चिंता का विषय बन गई. तब विद्यालय प्रबंधन ने इस आई चेकअप कैंप के आयोजन का निश्चय किया. इस संबंध में डॉक्टर सिद्धार्थ से संपर्क करते ही उन्होंने इस महती और कठिन कार्य की जिम्मेदारी सहर्ष से की. फिर अपनी टीम के साथ पूरे सोलह दिनों तक चले इस रूप में बड़े धैर्यपूर्वक सभी छात्र-छात्राओं की विस्तृत जांच की. ज्ञात हो की डॉक्टर सिद्धार्थ सताइकल स्कूल के पूर्व 2012 बैच के रह चुके हैं. जांच के बाद सभी छात्रों के अभिभावकों को जांच रिपोर्ट भेज दिया गया है. साथ ही जिन छात्र-छात्राओं को तुरंत चश्मा या अन्य जाँच की आवश्यकता है इसकी सलाह भी दी गई है. ताकि समय पर उपचार होने से ये समस्याएं कम या समाप्त हो जाएं.

प्रधानाचार्य फादर आर्मस्ट्राग डॉक्टर सिद्धार्थ और उनकी टीम को सम्मानित करते

समापन समारोह में विद्यालय के प्रधानाचार्य फादर आर्मस्ट्राग ने डॉक्टर सिद्धार्थ और उनकी टीम को सम्मानित किया और अपने विद्यालय के प्रति उसकी भावना की को इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्य विशाखा सिन्हा ने डॉक्टर सिद्धार्थ और टीम के प्रति सम्पूर्ण विद्यालय परिवार, छात्र और अभिभावकों की तरफ से कृतज्ञता ज्ञापित किया.

छात्रों को डॉक्टर की सलाह

डॉ. सिद्धार्थ ने कहा, छात्रों के परीक्षण के दौरान मुख्य रूप से पाई जाने वाली समस्याएं थीं. मुख्य रूप से दृष्टि, एलर्जी की आंखों की समस्याएं, रंग दृष्टि, और इनके पीछे के कारण स्क्रीन पर लंबे समय तक रहने, महामारी, मोबाइल फोन के संपर्क में आने और हीटवेव हैं.

  • स्वस्थ, संतुलित आहार लें, जंक फूड से बचें, चश्मा पहनें, मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम करें, आंखों की जांच कराएं और पर्याप्त व्यायाम करें. स्वस्थ दृष्टि बनाए रखने के लिए वर्ष में कम से कम एक बार नियमित रूप से आंखों की जांच करानी चाहिए. आंखें स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, इसलिए जितनी जल्दी हो सके आंखों के रोगों की पहचान  करना और उनका इलाज करना महत्वपूर्ण है. जो लोग चश्मा पहनते हैं उन्हें आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए उन्हें पहनना जारी रखना चाहिए. जिस तरह शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है, उसी तरह आंखों को भी स्वस्थ रखना जरूरी है.

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