कोरोना से भारत में 40 लाख की मौत,दुनिया को बताना चाहता है WHO




स्वास्थ्य मंत्रालय ने छह पत्र लिखकर जताई आपत्ति

NYT की रिपोर्ट पर सरकार की सफाई

रिपोर्ट त्रुटिपूर्ण, भ्रामक और अप्रमाणित मान्यताएं

केंद्र की लापरवाही से गईं 40 लाख भारतीयों की जान- राहुल गांधी

हर पीड़ित परिवार को 4 लाख रुपये का मुआवजा दीजिए

भारत सरकार ने कोविड-19 के चलते होने वाली मौत का आंकड़ा 5,21,000 बताया है, लेकिन वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन ने मरने वालों की संख्‍या इससे करीब 7 गुना ज्‍यादा यानी 40 लाख बताई है. भारत सरकार ने मौत के आंकड़े एकत्र करने के डब्ल्यूएचओ के तरीके पर सवाल उठाए हैं और इसके लिए छह लेटर लिखे हैं.

भारत ने नवंबर 2021 से अब तक पांच वर्चुअल मीटिंगों के माध्यम से भी अपनी चिंता व्यक्त की है, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह बात द न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स की उस रिपोर्ट के जवाब में कही है, जिसमें यह दावा किया है कि भारत कोविड-19 से मरने वालों के आंकड़े को सार्वजनिक के डब्ल्यूएचओ के प्रयासों को रोक रहा है. डब्ल्यूएचओ ने जनवरी में भारत के साथ-साथ अन्य देशों में कोविड -19 से होने वाली अधिक मौतों के अनुमानों को सार्वजनिक करने की योजना बनाई थी, लेकिन आंकड़े जारी करने का यह कार्य “भारत की आपत्तियों के कारण महीनों के लिए लंबित हो गया.

 न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने यह दावा पब्लिश की गई एक रिपोर्ट में किया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक मीडिया विज्ञप्ति में पहली बार उन आपत्तियों के कारणों को विस्तार से बताते हुए कहा कि भारत की “मूल आपत्ति रिजल्‍ट (मतलब आंकड़ों) के साथ नहीं है, उस तरीक पर है, जिसके जरिए आंकड़े जुटाए गए हैं.” स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रत्येक अध्ययन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है और यह कहा है कि स्‍टडी में जो निष्‍कर्ष निकाले गए हैं, उनका आधार त्रुटिपूर्ण, भ्रामक और अप्रमाणित मान्यताएं हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि भारत के पास कोरोना से होने वाली मौतों को रिपोर्ट करने के लिए एक मजबूत तंत्र हैं. भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक वर्ग का मानना ​​​​है कि अप्रैल-मई 2021 के दौरान जब दूसरी कोविड -19 लहर का पीक आया तब देश के भीतर कोविड -19 मरने वालों की वास्तविक संख्या आधिकारिक आंकड़ों से कहीं अधिक है.

“पब्लिक हेल्‍थ सेक्‍टर से जुड़े लोग यह जानते हैं की  वास्तविक मृत्यु दर अधिक है, लेकिन जब आप एक बार कुछ छिपाते हैं, तो आपको इसे बार-बार छिपाना पड़ता है. केंद्र सरकार के बारे में यह दावा करने वाले संक्रामक रोग महामारी विशेषज्ञ ने भी डब्ल्यूएचओ के मौत के आंकड़े जुटाने के तरीके पर सवाल उठाए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की कार्यप्रणाली के बारे में भारत की चिंता इस बात से संबंधित है कि मौत के आंकड़े जुटाने के लिए कैसे भारत जैसे बड़े भौगोलिक आकार और जनसंख्या वाले देश में सांख्यिकीय मॉडल का इस्‍तेमाल किया गया है, जो कि केवल उन देशों में फिट बैठता है जहां बहुत कम आबादी है.

मंत्रालय ने सांख्यिकीय मॉडल की वैधता और सटीकता के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए कहा, “यह मॉडल जो ट्यूनीशिया जैसे छोटे देशों के लिए सही हैं, इसे भारत में लागू नहीं किया जा सकता है.” मंत्रालय ने चिंता व्यक्त की है कि भारत के आंकड़े निकालने डब्ल्यूएचओ ने 61 देशों के रिपोर्ट किए गए डेटा के साथ स्‍टैंडर्ड पैटर्न निर्धारित किए और उन्हें भारत सहित अन्य देशों के लिए इस्‍तेमाल किया. मंत्रालय ने कहा, “इस दृष्टिकोण के आधार पर, भारत में अनुमानित मौतों का आंकड़ा उसी आधार पर किया गया जिसके जरिए कोस्टा रिका, इज़राइल, पराग्वे और ट्यूनीशिया का आंकड़ा निकाला गया.

केंद्र की लापरवाही से गईं 40 लाख भारतीयों की जान- राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को एक रिपोर्ट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. इसमें दावा किया गया है कि कोविड मौतों को लेकर डब्लूएचओ के आंकड़े प्रकाशित करने के प्रयासों को केंद्र सरकार रोक रही है. रिपोर्ट के अनुसार, डब्ल्यूएचओ के अनुमान से पता चलता है कि भारत में कोरोना वायरस से संबंधित मामलों में मरने वालों की संख्या आधिकारिक संख्या से लगभग आठ गुना अधिक है.

इसी को लेकर राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा कि मोदी जी ना सच बोलते हैं, ना बोलने देते हैं. वो तो अब भी झूठ बोलते हैं कि ऑक्सीजन की कमी से कोई नहीं मरा! मैंने पहले भी कहा था – कोविड में सरकार की लापरवाहियों से 5 लाख नहीं, 40 लाख भारतीयों की मौत हुई. फर्ज निभाइये, मोदी जी – हर पीड़ित परिवार को 4 लाख रुपये का मुआवजा दीजिए.” केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरकार ने कोविड-19 से हुई मौतों का आकलन करने के डब्ल्यूएचओ के तरीके पर आपत्ति जताई है. मंत्रालय ने कहा कि भारत जैसे बड़े देश और छोटी आबादी वाले अन्य देशों के लिए कोविड मृत्यु दर की गणना के लिए एक ही गणितीय मॉडल का उपयोग नहीं किया जा सकता है.वहीं कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने कोविड से हुई मौतों के असली आंकड़े जारी नहीं किए हैं. सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा लोगों की मौत कोरोना से हुई है. कांग्रेस काफी पहले से मृतकों के परिवार के सदस्यों को चार लाख रुपये के मुआवजे की मांग कर रही है. रविवार को अपडेट किए गए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, आज के चार ताजा मौतों के साथ ही कोरोना से मरने वालों की संख्या 5,21,751 हो गई है.

PNCDESK

By pnc

Related Post