मातृ भाषा को हर स्तर पर उचित सम्मान दिया जाना चाहिए-उप उपराष्ट्रपति




आजादी के लिए कई गुमनाम नायकों ने बलिदान दिया उन्हें भी याद करने की जरुरत

संगीत नाटक पुरस्कार और प्रतिष्ठित कलाकारों को ललित कला अकादमी के राष्ट्रीय पुरस्कार

ललित कला अकादमी ने तीन उत्कृष्ट कलाकारों हिम्मत शाह, ज्योति भट्ट और श्याम शर्मा को प्रतिष्ठित फेलोशिप से सम्मानित

तबला वादक जाकिर हुसैन, जतिन गोस्वामी, डॉ सोनल मानसिंह और थिरुविदैमरुदुर कुप्पिया कल्याणसुंदरम को संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह में वर्ष 2018 के लिए संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप, संगीत नाटक पुरस्कार और प्रतिष्ठित कलाकारों को ललित कला अकादमी के राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए. चार कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप दी गई जबकि 40 अन्य को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. ललित कला अकादमी पुरस्कार 23 हस्तियों को दिए गए.

राजधानी दिल्ली में स्थित संगीत नाटक अकादमी और ललित कला अकादमी के पुरस्कार समारोह में उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू शामिल हुए. इस मौके पर संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने मातृ भाषा पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि मातृ भाषा को हर स्तर पर उचित सम्मान दिया जाना चाहिए. चाहे सरकारी कामकाज का क्षेत्र हो या शिक्षा हो या फिर अदालत सभी जगह मातृ भाषा का सम्मान और उसका प्रयोग किया जाना चाहिए. इस दौरान उप-राष्ट्रपति नायडूने कहा कि आजादी के गुमनाम नायकों को मान्यता देना हमारा कर्तव्य है.

लोक गायिका मालिनी अवस्थी उप राष्ट्रपति के हाथों सम्मान लेते

शनिवार को देश की राजधानी में आयोजित इस कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने देश की आजादी के गुमनाम नायकों को मान्यता देने की वकालत की. उन्होंने कहा कि गुमनाम नायकों के बलिदानों को रेखांकित करने के लिए कला के रूपों जैसे सिनेमा और संगीत का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. इस दौरान उप राष्ट्रपति ने अफसोस जताया कि लोग राबर्ट क्लाइव के बारे में तो जानते हैं, लेकिन कोमाराम भीम और अल्लूरी सीताराम राजू जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में उनको कोई जानकारी ही नहीं हैं. नायडू ने कहा कि आजादी के लिए कई गुमनाम नायकों ने बलिदान दिया है, लेकिन उनकी कहानी के बारे में आम जनता को काफी हद तक जानकारी ही नहीं है, लोग उनसे अनभिज्ञ हैं, क्योंकि इनके बारे में इतिहास की किताबों में पढ़ाया ही नहीं गया है. वैंकैया नायडू ने कहा कि ऐसे गुमनाम नायकों को मान्यता देना हमारा कर्तव्य है. संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति नायडू ने कहा कि इन विकृतियों को ठीक करना चाहिए. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कम ज्ञात नायकों के योगदान को रेखांकित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ को लेकर सरकार की प्रशंसा भी की.

पद्मश्री श्याम शर्मा उप राष्ट्रपति के हाथों सम्मान लेते

तबला वादक जाकिर हुसैन, जतिन गोस्वामी, डॉ सोनल मानसिंह और थिरुविदैमरुदुर कुप्पिया कल्याणसुंदरम को संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप से सम्मानित किया गया. उन्हें कला के क्षेत्र में उनके विशिष्‍ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया. ललित कला अकादमी ने तीन उत्कृष्ट कलाकारों हिम्मत शाह, ज्योति भट्ट और श्याम शर्मा को प्रतिष्ठित फेलोशिप से सम्मानित किया.नाटक के लिए संगीत अकादमी का सम्मान बिहार के नाट्य निर्देशक संजय उपाध्याय को मिला. इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी भी मौजूद थे. इस अवसर पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि देश के कलाकारों ने अपने समृद्ध अतीत को वर्तमान और भविष्य के सूत्र में पिरोए रखा है. श्री नायडू ने कहा कि देश की भव्य सांस्कृतिक परंपराओं और विभिन्न कला संस्‍कृतियों को संरक्षित रखना और उसे बढ़ावा देना हम सबका कर्तव्य है.

केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि कला और संस्‍कृति भारत की आत्‍मा हैं और इनका संरक्षण आवश्‍यक है. लोक गायक और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता मालिनी अवस्थी ने युवाओं से देश की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति को संरक्षित और बढ़ावा देने की अपील की. संगीत नाटक अकादमी ने आज से पर्फोरमिंग आटर्स उत्सव का आयोजन किया है जो इस महीने की 19 तारीख तक नई दिल्ली के कमानी सभागार और मेघदूत परिसर तथा रवींद्र भवन में आयोजित किया जा रहा है.

बिहार के संजय उपाध्याय को मिला संगीत नाटक अकादमी अवार्ड

नाट्य निर्देशक संजय उपाध्याय उप राष्ट्रपति के हाथों सम्मान लेते

निर्देशन के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए संजय उपाध्याय को 2018 का संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है. उन्हें यह पुरस्कार भारत के माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा 9 अप्रैल, 2022 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में प्रदान किया गया.

“12 जनवरी 1965 को जन्मे, बहुआयामी संजय उपाध्याय समकालीन भारतीय रंगमंच के सबसे प्रमुख निर्देशकों और थिएटर प्रैक्टिशनरों में से एक हैं. उन्होंने रंगमंच संगीत के क्षेत्र में भी अपनी नवीन शैली और तकनीकों के माध्यम से अपनी खुद की जगह बनाई है. संजय उपाध्याय संगीत और ध्वनि-स्कोर की समृद्धि के साथ शैलीकरण के एक प्रमुख व्यवसायी हैं, जिसे उन्होंने अपनी कई प्रस्तुतियों में लगातार शामिल किया है. और वे कुछ ऐसे निर्देशकों में से हैं, जो समकालीनता की नवीन भावना के साथ पारंपरिक थिएटर मुहावरों को नियोजित करते हैं. यह विशिष्टता श्री संजय उपाध्याय को एक विशिष्ट निर्देशक बनाती है जो समकालीन शहरी और ग्रामीण दर्शकों को समान रूप से संबोधित करते हुए पारंपरिक थिएटर टूल्स (जैसे संगीत, कोरियोग्राफी, शैलीकरण और पारंपरिक थिएटर डिवाइस) का उपयोग करते हैं.

40 से अधिक वर्षों से रंगमंच के रचनात्मक अनुशासन में सक्रिय संजय उपाध्याय देश के बहुत कम निर्देशकों और डिजाइनरों में से एक हैं, जिन्होंने अपने अभिनव प्रयोग से अपनी शैली और व्यक्तिगत पहचान बनाई है. उन्होंने रंगमंच संगीत के क्षेत्र में भी अपनी अनूठी शैली और तकनीकों के माध्यम से अपनी खुद की जगह बनाई है. उपाध्याय का रंगमंच केवल अपने कलात्मक मूल्य के लिए ही नहीं बल्कि अपनी काव्य भव्यता के लिए भी पहचाना जाता है. दूसरे शब्दों में, वे शायद हिंदी रंगमंच के केवल रंगमंच निर्देशक और डिजाइनर हैं, जिनके रंगमंच में रंगमंच की शैली में संगीत का एक महत्वपूर्ण रंगमंच भाषा उपकरण के रूप में उपयोग करने की सभी अच्छाई हैं.

बहुआयामी संजय उपाध्याय समकालीन भारतीय रंगमंच के सबसे प्रमुख निर्देशकों और चिकित्सकों में से एक हैं. वह बिहार के शैलीकरण और नृत्य और संगीत-उन्मुख ग्रामीण रंगमंच की विरासत के साथ आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन अपने रंगमंच प्रस्तुतियों की कल्पना करते हुए एक समझदार आधुनिक दृष्टिकोण रखते हैं. उन्हें रंगमंच निर्देशन, रंगमंच संगीत और डिजाइन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए मान्यता मिली होगी. संगीत नाटक अवार्ड्स जैसे प्रतिष्ठा और सम्मान के साथ उन्हें प्रदान करने के लिए उनके पास पर्याप्त से अधिक साख है.निर्देशक परवेज अख्तर ने कहा कि मुझे खुशी है कि 80 के दशक में संजय के साथ कई सालों तक काम करने के कई मौके मिले, वह भी उतने ही अच्छे अभिनेता है  संजय उपाध्याय को इस विशिष्ट उपलब्धि के लिए बहुत-बहुत बधाई और भविष्य में कई उच्च उपलब्धियों के लिए शुभकामनाएं!!

PNCDESK

By pnc

Related Post