बिहार ने पहली बार का खर्च किए 2 लाख करोड़

By pnc Apr 1, 2022 #Budget 2022-23 #nitish kumar

बिहार देश के अग्रणी पांच राज्यों में शामिल




बिहार सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता सुशासन रहा है. यह सुशासन प्रत्येक क्षेत्र में रखा गया चाहे वह कानून व्यवस्था हो या सामाजिक उत्थान राज्य सरकार आर्थिक विकास को गति देने के लिए अथव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र में नवाचार प्रयोग किए और "न्याय के साथ विकास के उद्देश्य के साथ राज्य के विकास की नई गाथा गढ़ रही है.

 राज्य का कुल व्यय पहली बार 200 लाख करोड़ रुपये से अधिक हुआ है. वर्ष 2004-05 में कुल बजट 23885 करोड़ रुपये था जिसमें से मात्र 20058 करोड़ रुपये ही खर्च हुआ वहीं वर्ष 2021-22 में बिहार का कुल बजट आकार 2.18 लाख करोड़ रुपये रखा गया और राज्य सरकार 2.00 लाख करोड़ रुपये का सफलतापूर्वक व्यय करने में सफल रही है जो पिछले वर्ष (2020-21) के व्यय से 21 प्रतिशत ज्यादा है. बिहार देश में 2.00 लाख करोड़ रुपये व्यय करने वाले पाँच बड़े राज्यों में सुमार हो गया है. बिहार के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र, कर्नाटक और तामिलनाडू 2.00 लाख करोड़ रुपये व्यय के उपलब्धि को हासिल कर चूका है यह बिहार के लिए गर्व की बात है .

बिहार राज्य पहली बार किसी एक वित्तीय वर्ष में 2.00 लाख करोड़ रुपये का व्यय कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल किया है. यह उपलब्धि साधारण नहीं है, जहाँ विश्व की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्था कोविङ-19 के प्रभाव से धारासायी हुआ पड़ा है. देश की भी वित्त व्यवस्था प्रभावित है. इस परिपेक्ष्य में राज्य सरकार के सुक्ष्म प्रबंधन के द्वारा यह उपलब्धि वैश्विक महामारी के दौरान हासिल करना अपने आप बिहार के इतिहास में गौरव का दिन साबित करता है.

वित्तीय वर्ष 2004-05 में कुल व्यय मात्र 20,058 करोड़ रुपये था जो अगले 5 वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया. वित्तीय वर्ष 2015-16 में राज्य का कुल व्यय 1.12 लाख करोड़ रुपये हो गया था. गर्व की बात है कि राज्य सरकार के वित्त विभाग की कार्यकुशलता एवं सामर्थ वित्तीय प्रबंधन के फलस्वरूप वर्ष 2021-22 में राज्य ने 2.00 लाख करोड़ रुपये के आँकड़े को पार कर गया.कुशल वित्तीय प्रबंधन स्कीम व्यय की मात्रा से तथा राजकोषीय घाटा का निर्धारित सीमा में रखना एक कुशल वित्तीय प्रबंधन का परिचायक है. वर्ष 2021-22 में स्कीम व्यय 84,000 करोड़ रुपये है जो कुल बजट का 42 प्रतिशत है. इस प्रकार विकास के कार्यों पर खास कर आर्थिक सामाजिक क्षेत्र पर ज्यादा फोकस रहा है. राजकोषीय घाटा भी राज्य सकल घरेलू उत्पाद के 4 प्रतिशत के सीमा के अन्दर है. राज्य सरकार ने बुद्धिमानी पूर्वक अपने अनुशासित वित्तीय प्रबंधन द्वारा यह उपलब्धि हासिल किया है.

वित्तीय प्रशासन: NDA की सरकार में वित्तीय अनुशासन को कानूनी रूप प्रदान किया और राज्य में राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2006 पारित किया. राज्य सरकार ने राज्य के वित्तीय प्रबंधन को वत्तीय अनुशासन का पालन करते हुए मजबुत किया. वर्ष 2009 में CTMIS को राजकोषीय पारदर्शिता एवं सघन अनुश्रवण के उद्देश्य से लागू किया गया. राज्य सरकार वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में governance को CFMS के रूप में पूर्णतः लागू किया है.

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