ऐतिहासिक धरोहरों को विश्व पटल पर मिलेगी पहचान
गुप्तकाल से पहले और उसके बाद के इतिहास भी दिखेगा
बिहार अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए पूरी तरह तैयार है। बिहार म्यूजियम के जरिए स्थानीय लोक कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने का भरपूर मौका मिलेगा। यही नहीं, बिहार म्यूजियम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार के सांस्कृतिक केंद्र के रूप में अपनी पहचान बनाएगा। बिहार म्यूजियम के नए डायरेक्टर जनरल अंजनी कुमार सिंह ने इस संग्रहालय को लेकर अपनी प्राथमिकताएं गिनाईं।
बिहार सरकार ने हाल ही में बिहार म्यूजियम के प्रशासन को लेकर बड़ा बदलाव किया है।अब मुख्यमंत्री बिहार म्यूजियम के शासी निकाय के अध्यक्ष होंगे। बिहार के पूर्व मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के सलाहकार अंजनी कुमार सिंह बिहार म्यूजियम के महानिदेशक बनाये गये। महानिदेशक के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने कहा कि बिहार के कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय मंच देना पहली प्राथमिकता है। बिहार की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को विश्व पटल पर पहचान दिलाना और बिहार म्यूजियम के जरिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों का नियमित आयोजन उनकी भविष्य की योजनाओं में शामिल है।
बिहार म्यूजियम महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने बिहार म्यूजियम के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद इसे सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि देश के बड़े सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने को लेकर अपनी प्राथमिकताएं गिनाई हैं। बिहार संग्रहालय के लिए जो स्वीकृत और रिक्त वैकेंसी हैं, उसे भी जल्द भरने का उन्होंने निर्देश दिया है। इसके अलावा बिहार संग्रहालय की ओर से इतिहास और पुरातत्व में दिलचस्पी रखने वालों के लिए एक खास कोर्स भी कराया जाएगा। इसके पहले दुनिया भर के प्रसिद्ध म्यूजियमों में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों का अध्ययन कराया जाएगा। तब बिहार म्यूजियम में भी ऐसा ही कोर्स संचालित होगा।
अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि पटना म्यूजियम में जगह कम होने की वजह से वहां बिहार के विभिन्न जगहों से मिलीं कई कलाकृतियों और पुरातत्वों का सही तरीके से संरक्षण और प्रदर्शन नहीं हो पा रहा था। वहीं, आधुनिक तरीके से लाइटिंग और अन्य उपकरणों के जरिए प्रदर्शनी के लिए भी एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के म्यूजियम की जरुरत बिहार को थी।इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए बिहार म्यूजियम का निर्माण कराया गया है। भविष्य में जब एक सुरंग के जरिए पटना म्यूजियम और बिहार म्यूजियम जुड़ेंगे तो लोगों को इन 2 जगहों के भ्रमण के साथ ही पूरे बिहार की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी।
बिहार म्यूजियम में 62 अलग-अलग प्रदर्श बने हैं। इस म्यूजियम की सबसे बड़ी गैलरी को भी जल्द खोलने की पूरी तैयारी जोर-शोर से चल रही है। जिसमें गुप्त काल से पहले और उसके बाद के इतिहास के साथ जैन धर्म, बौद्ध धर्म से लेकर मौर्य तक के इतिहास की पूरी जानकारी मिलेगी। यहां राजगीर की साइक्लोपीयन दीवार, कलिंग युद्ध और पावापुरी जल मंदिर के अलावा जहानाबाद की बराबर की गुफाएं और कई अन्य प्रतिकृतियां बनाई गई है जिन्हें जर्मनी के कारीगर इंस्टॉल कर रहे हैं।