आज से ही शुरू करें ये काम ,फायदे ही फायदे
आयुष मंत्रालय ने मकर संक्रांति आयोजित किया है आयोजन
75 लाख लोगों के लिए सूर्य नमस्कार कार्यक्रम
आपदाओं के लगातार बढ़ने से अब लोगों की जीवन शैली बदलने लगी है इसको लेकर आयुष मंत्रालय ने मकर संक्रांति यानी 14 जनवरी 2022 को विश्व स्तर पर 75 लाख लोगों के लिए सूर्य नमस्कार कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहा है. मिनिस्ट्री के मुताबिक, यह अवसर स्वास्थ्य, धन और खुशी प्रदान करने के लिए मां प्रकृति को धन्यवाद देने का स्मरण कराता है. सूर्य की प्रत्येक किरण सभी जीवित प्राणियों के लिए जरूरी है सूर्य नमस्कार से मानसिक शारीरिक और आत्मिक बल बढ़ता है. अभ्यासी की शरीर सूर्य के समान चमकने लगता है. तो मकर संक्रांति के मौके पर आयुष मंत्रालय ग्लोबल सूर्य नमस्कार का आयोजन कर रहा है तो अच्छा मौका है इस आयोजन में शामिल होकर हेल्दी शुरूआत करने का.
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क्यों महत्वपूर्ण है सूर्य नमस्कार-यहां सुनें –
सूर्य नमस्कार सबसे श्रेष्ठ व्यायाम माना जाता है. इस एक व्यायाम से आसन, मुद्रा एवं प्राणायाम का लाभ मिलता है. सूर्य नमस्कार से शरीर के समस्त अंगों पर बेहद अच्छा प्रभाव पड़ता है और जिससे शरीर अपना काम सुचारू रूप से करने लगते हैं. इसके अभ्यास से फेफड़ों के अंदर शुद्ध हवा का पर्याप्त मात्रा में प्रवेश होता है जिससे रोग तो दूर भागते ही हैं साथ ही चेहरे पर एक अलग ही चमक आने लगती है. शरीर मजबूत और सुडौल होने लगता है. सूर्य नमस्कार के 12 चरण का रोजाना अभ्यास करने से दिमाग सक्रिय और एकाग्र बनता है.
12 चरणों में ऐसे करें सूर्य नमस्कार,
शरीर के साथ मन को भी रखेगा स्वस्थ, दूर रहेगी बीमारियां
प्रणामासन-1
खुले मैदान में योगा मैट के ऊपर खड़े हो जाएं और सूर्य को नमस्कार करने के हिसाब से खड़े हो जाएं. सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथों को जोड़ कर सीने से सटा लें और गहरी, लंबी सांस लेते हुए आराम की अवस्था में खड़े हो जाएं.
हस्तउत्तनासन-2
पहली अवस्था में खड़े रहते हुए सांस लीजिए और हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और पीछे की ओर थोड़ा झुकें. इस बात का ध्यान रखें कि दोनों हाथ कानों से सटे हुए हों। हाथों को पीछे ले जाते हुए शरीर को भी पीछे की ओर ले जाएं.
पादहस्तासन-3
सूर्य नमस्कार की यह खासियत होती है कि इसके सारे चरण एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। हस्तोतानासन की मुद्रा से सीधे हस्त पादासन की मुद्रा में आना होता है. इसके लिए हाथों को ऊपर उठाए हुए ही आगे की ओर झुकने की कोशिश करें. ध्यान रहें कि इस दौरान सांसों को धीरे-धीरे छोड़ना होता है. कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले आएं. ध्यान रहे कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए न हों.
अश्व संचालनासन-4
हस्त पादासन से सीधे उठते हुए सांस लें और बांए पैर को पीछे की ओर ले जाएं और दांये पैर को घुटने से मोड़ते हुए छाती के दाहिने हिस्से से सटाएं. हाथों को जमीन पर पूरे पंजों को फैलाकर रखें. ऊपर की ओर देखते हुए गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं.
दंडासन -5
गहरी सांस लेते हुए दांये पैर को भी पीछे की ओर ले जाएं और शरीर को एक सीध में रखे और हाथों पर जोर देकर इस अवस्था में रहें.
अष्टांग नमस्कार-6
अब धीरे-धीरे गहरी सांस लेते हुए घुटनों को जमीन से छुआएं और सांस छोड़ें। पूरे शरीर पर ठोड़ी, छाती, हाथ, पैर को जमीन पर छुआएं और अपने कूल्हे के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं.
भुजंगासन-7
कोहनी को कमर से सटाते हुए हाथों के पंजे के बल से छाती को ऊपर की ओर उठाएं. गर्दन को ऊपर की ओर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाएं.
अधोमुख शवासन-8
भुजंगासन से सीधे इस अवस्था में आएं. अधोमुख शवासन के चरण में कूल्हे को ऊपर की ओर उठाएं लेकिन पैरों की एड़ी जमीन पर टिका कर रखें। शरीर को अपने V के आकार में बनाएं.
अश्व संचालासन-9
अब एक बार फिर से अश्व संचालासन की मुद्रा में आएं लेकिन ध्यान रहें अबकी बार बांये पैर को आगे की ओर रखें.
पादहस्तासन-10
अश्न संचालनासन मुद्रा से सामान्य स्थिति में वापस आने के बाद अब पादहस्तासन की मुद्रा में आएं.इसके लिए हाथों को ऊपर उठाए हुए ही आगे की ओर झुकने की कोशिश करें. ध्यान रहें कि इस दौरान सांसों को धीरे-धीरे छोड़ना होता है. कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले आएं.ध्यान रहे कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए न हों.
हस्तउत्तनासन- 11
पादहस्तासन की मुद्रा से सामान्य स्थिति में वापस आने के बाद हस्तउत्तनासन की मुद्रा में वापस आ जाएं. इसके लिए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और पीछे की ओर थोड़ा झुकें. हाथों को पीछे ले जाते हुए शरीर को भी पीछे की ओर ले जाएं.
प्रणामासन-12
हस्तउत्तनासन की मुद्रा से सामान्य स्थिति में वापस आने के बाद सूर्य की तरफ चेहरा कर एक बार फिर से प्रणामासन की मुद्रा में आ जाएं.
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