भारतीय बच्चों के लिए क्यों बड़ा खतरा है ओमिक्रॉन?

40 फीसदी आबादी को अभी तक कोरोना की एक भी डोज नहीं

भारत में अब तक बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू नहीं




बच्चों के भी संक्रमित होने का खतरा बना है

ओमिक्रॉन के आने के बाद 5 साल से कम उम्र के बच्चे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. इनमें से कई बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता-पिता को वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगी है.अगर इसे भारत के लिहाज से देखें, तो ये बड़ी चिंता का विषय है. देश में करीब 40 फीसदी आबादी को अभी तक कोरोना की एक भी डोज नहीं लगी है. ऐसे में अगर ओमिक्रॉन देश में फैलता है तो एक बड़ी आबादी के बच्चों के इससे संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाएगा. साथ ही विशेषज्ञों का मानना है कि ओमिक्रॉन जैसे खतरों को टालने के लिए बच्चों के लिए भी कोरोना वैक्सीनेशन शुरू किए जाने की जरूरत है. अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 से अधिक देश बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू कर चुके हैं, लेकिन भारत में अब तक बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू नहीं हुआ है.

फ़ाइल चित्र

भारत में जल्द ही 2-17 साल के बच्चों का कोरोना वैक्सीनेशनल शुरू होने को गाइडलाइन आने वाली है. इसके तहत सबसे पहले 7 राज्यों- महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू होगा.यानी देश में ओमिक्रॉन का कहर बढ़ने पर न केवल भारतीय वयस्कों, बल्कि बच्चों के भी संक्रमित होने का खतरा रहेगा.

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आंकड़े दिखाते हैं कि बच्चों में कोरोना का असर अब तक काफी कम नजर आया है.रिसर्चर्स के मुताबिक, ज्यादातर बच्चों का इम्यून सिस्टम कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज तैयार करने में वयस्कों की तुलना में जल्दी काम करता है. कई स्टडी में पाया गया कि बच्चों की एंटीबॉडीज का टारगेट वायरस की स्पाइक प्रोटीन होती है. स्पाइक प्रोटीन के जरिए ही वायरस सेल में प्रवेश के द्वार खोलता है.हालांकि हर उम्र के बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता अलग होती है, जैसे-गोद में रहने वाले बच्चे की तुलना में चलने-फिरने वाले बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा मजबूत होती है. अधिकतर मामलों में बच्चों में कोरोना के हल्के लक्षण या कोई लक्षण नहीं दिखते. हालांकि, बच्चे वायरस को फैलाने में कैरियर की भूमिका निभा सकते हैं.

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By pnc

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