डबल इंजन के फेर में फंसा बिहार

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता- गडकरी

देश के 11 राज्य को मिला है विशेष राज्य का दर्जा




हर साल बाढ़ से करोड़ों की संपत्ति का नुकसान

बिहार के 38 में से 15 जिले बाढ़ प्रभावित

बिहार के 32 प्रतिशत परिवार भूमिहीन

ऋण उपभोग के दबाव में ग़रीब राज्यों को नुक़सान

नहीं मिल सकता बिहार को विशेष राज्य का दर्जा

आपको बता दें विशेष राज्य का दर्जा अभी तक पर्वतीय दुर्गम क्षेत्रों, सीमावर्ती, आदिवासी बहुल और ग़रीब राज्यों को ही मिलने का प्रावधान है.

बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुहराई है यह मांग उस वक्त सामने आई है जब उपमुख्यमंत्री रेणू देवी ने भाजपा के एक कार्यक्रम में कहा था कि बिहार केंद्र के पैसे से खूब तरक्की कर रहा है इस लिए बिहार को विशेष पैकेज की जरुरत नहीं है. अपनी ही सरकार के मंत्रियों ने बिगड़े बोल से नीतीश कुमार नाराज दिखे और कहा कि वो लोग कुछ नहीं जानते बिहार को विशेष पैकेज मिलेगा तो विकास की गति तेज होगी,उन्होंने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा मिलने से किसी राज्य को केंद्र सरकार से 90 फीसदी अनुदान मिलता है। इसका मतलब केंद्र सरकार से जो फंडिंग की जाती है, उसमें 90 फीसदी अनुदान के तौर पर मिलती है और बाकी 10 फीसदी रकम बिना किसी ब्याज के दी जाती है. जिन राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त नहीं है, उन्हें केवल 30 फीसदी राशि अनुदान के रूप में मिलती है और 70 फीसदी रकम उन पर केंद्र का कर्ज होता है. इसके अलावा विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को एक्साइज, कस्टम, कॉर्पोरेट, इनकम टैक्स में भी छूट मिलती है. केंद्र सरकार जो हर साल प्लान बजट बनाती है, उस प्लान बजट में से 30 फीसदी रकम विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को मिलता है.

आपको बता दें कि बिहार समेत देश के पांच राज्य पांच राज्य विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग समय- समय पर करते रहते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू 2010 से ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही है. बीजेपी से अलग होने के बाद 2013 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू ने दिल्ली में प्रदर्शन भी किया. बिहार देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला गरीब राज्य है। राज्य के लोग समुचित सिंचाई के अभाव में मानसून, बाढ़ और सूखे के बीच उत्पादकता वाली खेती पर अपनी जीविका के लिए निर्भर है. सीएम ने कहा कि बिहार के पिछड़े होने का कारण हर साल बाढ़ का आना है. बिहार के 38 में से 15 जिले बाढ़ प्रभावित है. बिहार की अधिकांश आबादी खेती पर निर्भर है लेकिन हर साल बाढ़ से करोड़ों की संपत्ति का नुकसान होता है. बिहार के 32 प्रतिशत परिवार भूमिहीन है और झारखंड बनने के बाद रॉयल्टी का नुकसान भी बिहार को उठाना पड़ रहा है.

वर्तमान समय में देश के 11 राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है, जिनमें असम,नागालैंड,जम्मू कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को ही विशेष राज्य का दर्जा मिला है. नीति आयोग की रिपोर्ट में अगर बिहार पिछड़ा है तो इसे पिछड़े राज्य का दर्जा है. देश में सबसे अधिक आबादी बिहार में है. हर स्क्वायर किलोमीटर पर सबसे अधिक यहीं की आबादी है. प्रति व्यक्ति आय की जगह उपभोग को मानक सूचकांक में शामिल करने पर ऋण उपभोग के दबाव में ग़रीब राज्यों को नुक़सान हो गया और बिहार को अपेक्षित लाभ इस समिति से नहीं मिल सकता जिसके लिए बिहार ने इस रिपोर्ट पर अपनी असहमति भी दर्ज कराई है, लेकिन केंद्र से ग़रीब राज्यों को मिलने वाले वित्तीय प्रावधानों में महत्वपूर्ण बदलाव का लाभ ज़रूर मिल सकता है. भारत के कुल 29 राज्यों में से 11 को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है, और कम से कम पांच राज्य विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की गुहार समय-समय पर केंद्र सरकार से कर चुके हैं,लोक सभा चुनाव के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आरा  में चुनावी सभा को सम्बोधित करते हुए कहा था कि मैं बिहार को 1 लाख 25 हजार करोड़ का पैकेज और 40 हजार करोड़ पहले के सब दे दूंगा.कहाँ खर्च होना थे ये पैसे कहाँ खर्च हुए अभी तक इसकी जानकारी सार्वजानिक नहीं की गई है .

1000 करोड़ शिक्षा, 3,094 करोड़ किसान कल्याण,600 करोड़ स्वास्थ्य,1,500 करोड़ कौशल विकास,16,130 करोड़ बिजली,13,800 करोड़ ग्रामीण सड़क,54,713 करोड़ राजमार्ग, 8870 करोड़ रेलवे, 449 करोड़ डिजिटल बिहार,600 करोड़ पर्यटन,2,700 करोड़ हवाई अड्डा,21,476 करोड़ पेट्रोलियम और गैस पर खर्च करने की केंद्र ने अनुशंसा की थी .

By pnc

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