व्यक्ति की प्रजनन क्षमता पर पड़ रहा है नकारात्मक असर
कार में बोतलबंद पानी पीना स्वास्थ्य के लिए बेहद खराब
एक बोतल पानी तैयार करने में करीब दो लीटर पानी होता है बर्बाद
बोतलबंद पानी की करीब 200 कंपनियां हैं और 2000 से अधिक है बाटलिंग प्लांट
भारत में बोतलबंद पानी का कुल व्यापार 14 अरब 85 करोड़ रुपये का है
यह देश में बिकने वाले कुल बोतलबंद पेय का 15 प्रतिशत है
Acqua di Cristallo Tributo a Modigliani दुनिया का सबसे महंगा पानी है. इसके 750 ml की कीमत 6000 डॉलर यानी करीब 43 लाख रुपये है. ये पानी फिजी और फ्रांस में एक नेचुरल स्प्रिंग से आता है. इसकी बोतल 24 कैरेट सोने से बनी हुई है. पूरी खबर यहाँ सुने :-
भारत में बोतलबंद पानी की शुरूआत 1965 में इटली के सिग्नोर फेलिस की कंपनी बिसलरी ने मुंबई से की. शुरूआत में मिनिरल वाटर की बोतल सीसे की बनी होती थी पर बाद में प्लास्टिक का इस्तेमाल होने लगा. इस समय भारत में इस कंपनी के 8 प्लांट और 11 फ्रेंचाइजी कंपनियां हैं. बिसलरी का भारत के कुल बोतलबंद पानी के व्यापार के 60 प्रतिशत पर कब्जा है वहीँ पारले ग्रुप का बेली ब्रांड इस समय देश में पांच लाख खुदरा बिक्री केंदों पर उपलब्ध है. इस समय अकेले इस ब्रांड के लिए देश में 40 बॉटलिंग प्लांट काम कर रहे हैं.
अमेरिका और यूरोप में 19वीं सदी में ही बोतलबंद पानी का बाजार शुरू हो गया था . बोतलबंद पानी की पहली कंपनी 1845 में पोलैण्ड के मैनी शहर में लगाईं गई थी . इस कंपनी का नाम था ‘पोलैण्ड स्प्रिंग बाटल्ड वाटर कंपनी’ था. 1845 से आज दुनिया में हजारों कंपनियां इस धंधे में लगी हुई हैं. बोतलबंद पानी का यह कारोबार आज 100 अरब डालर से अधिक पर पहुंच गया है.
अमेरिकी संस्था ‘नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस काउंसिल’ के अनुसार ‘चलती कार में बोतलबंद पानी नहीं पीना चाहिए, क्योंकि कार में बोतल खोलने पर रासायनिक प्रतिक्रियाएं काफी तेजी से होती हैं और पानी अधिक खतरनाक हो जाता है. बोतल बनाने में एंटीमनी नाम के रसायन का भी इस्तेमाल किया जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि बोतलबंद पानी जितना पुराना होता जाता है, उसमें एंटीमनी की मात्रा उतनी ही बढ़ती जाती है.’ अगर यह रसायन किसी व्यक्ति के शरीर में जाता है, तो उसे जी मिचलाने, उल्टी और डायरिया जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इससे साफ है कि बोतलबंद पानी शुद्धता और स्वच्छता का दावा चाहे जितना करें लेकिन वह सेहत की दृष्टि से सही नहीं है.
बोतलबंद पानी का व्यापार करने वाली कंपनियों के पानी से लाभ कमाने की कीमत आम लोगों को चुकानी पड़ रही है. आज समूची दुनिया में जहां भी इन कंपनियों ने अपने बाटलिंग प्लांट लगाए हैं, वहां भूजल स्तर बहुत तेजी से नीचे चला गया और इसका खामियाजा उस इलाके में रहने वाले लोगों को उठाना पड़ा. ऊपर से जाता है. इसके बावजूद बाजार में आने वाला बोतलबंद पानी स्वास्थ्य की दृष्टि से पीने योग्य ही है, इस बात की कोई गारंटी नहीं है. बोतल बंद पानी का बाजार वर्तमान समय में हमारे देश में बोतलबंद पानी का व्यापार करने वाली करीब 100 कंपनियां हैं और 1200 बाटलिंग प्लांट हैं. इसमें पानी का पाउच बेचने वाली और दूसरी छोटी कंपनियों का आंकड़ा शामिल नहीं है.
अमेरिका और यूरोप में 1950 के आसपास पाया गया कि प्राकृतिक पानी में फ्लोराइड की कमी के चलते दांत खराब हो जाते हैं. इसलिए बोतल बंद पानी के व्यापार में लगी फ्लोराइड युक्त पानी बेचना शुरू कर दिया. इसी के साथ कुछ ऐसे तत्वों को भी पानी में मिलाया गया, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी होते हैं. एक बोतल के लिए किए जाने वाले भुगतान का 90 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा बोतल और पैकिंग आदि पर होने वाले खर्च के लिए भुगतान करना होता है. पानी का बाजार बढ़ा लेकिन पानी की गुणवत्ता पर भरोसा करना आज मुश्किल है. इस समय दुनिया में बोतलबंद पानी का व्यापार खरबों में पहुंच गया है. शुद्धता और स्वच्छता के नाम पर बोतलों में भरकर बेचा जा रहा पानी भी सेहत के लिए खतरनाक है.इस समय दुनिया में सिर्फ 5 प्रतिशत पेयजल ही उपलब्ध है ऐसे में पानी की बर्बादी रोकने के लिए कोई ठोस पहल होती नहीं दिख रही है .