- सिंगल यूज प्लास्टिक बोतल में लगातार पानी पीना खतरनाक
- बोतल में बढ़ते हैं 60 प्रतिशत कीटाणु
- 60 प्रतिशत कीटाणु गंभीर बीमारी पैदा करने के लिए काफी
- धूप में गर्म होने के बाद प्लास्टिक में मौजूद केमिकल का रिसाव
- लोगों को हो रही है गंभीर बीमारियाँ
- ज्यादातर लोग हार्मोनल समस्या से हैं पीड़ित
- पुराने बोतल में पानी से हार्ट अटैक, स्किन डिजीज
- गर्भवती महिला और पैदा हुए बच्चे को खतरा
- पीसीओएस, हार्मोन में समस्या, ब्रेस्ट कैंसर और कई अनेक बीमारी
- 60 प्रतिशत कीटाणु गंभीर बीमारी पैदा करने के लिए काफी
- सामान्य टॉयलेट सीट पर पाए जाने वाले बैक्टीरिया से कहीं अधिक
- बचाव जरूरी है ….PATNA NOW की पहल
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने प्लास्टिक की बोतलों में जो केमिकल पाया गया है वह हमारे हार्मोनल सिस्टम के लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक साबित होता है. अमेरिका में यह रिसर्च 5000 से भी ज्यादा लोगों पर किया गया है. ये वैसे लोग थे जो पुराने प्लास्टिक या फिर कोल्ड ड्रिंक की बोतलों में पानी पिया करते थे. जब उनके यूरीन जांच की गई तो फिर पाया गया कि ज्यादातर लोग हार्मोनल समस्या से जूझ रहे थे. जिसकी वजह प्लास्टिक की बोतलों का हद से ज्यादा प्रयोग है. एक रिसर्च ट्रेडमिल रिव्यू ने की थी जिसके मुताबिक प्लास्टिक की बोतल में पाए जाने वाले बैक्टेरिया किसी सामान्य टॉयलेट सीट पर पाए जाने वाले बैक्टीरिया से कहीं अधिक होते हैं. प्लास्टिक की बोतल में पाए जाने वाले 60 प्रतिशत कीटाणु लोगों को गंभीर बीमारियों के लिए काफी हैं.आपको बता दें कि प्लास्टिक की बोतल बनाने में कच्चा प्लास्टिक,कलर केमिकल,पीवीसी,पीआईटी पोलीथिन ,और पोलीमर्स का इस्तेमाल किया जाता है.
प्लास्टिक की बोतल का बार-बार प्रयोग करना अनेक तरह की महिला संबंधित समस्याओं का कारण भी हो सकता है. जैसे पीसीओएस, हार्मोन में समस्या, ब्रेस्ट कैंसर समेत कई अनेक बीमारी हो सकती है. सिगल यूज प्लास्टिक की बोतलों में लगातार पानी पीना काफी नुक़सानदेह होती है. इन बोतलों में पानी पीना कैंसर की एक बड़ी वजह भी हो सकता है. प्लास्टिक की बोतल जब गरम हो जाती है तो फिर प्लास्टिक में मौजूद केमिकल का रिसाव शुरू हो जाता है. और यह पानी में घुलकर हमारी बॉडी को काफी नुकसान पहुंचता है.
हर मिनट लगभग 1 मिलियन प्लास्टिक पीने की बोतलें खरीदी जाती हैं, जिससे भारी मात्रा में कचरा पैदा होता है, जो ज्यादातर लैंडफिल में समाप्त हो जाता है। आज, कई लोग अपनी पानी की बोतलों को फिर से भरकर पुन: उपयोग करते हैं। यह बार-बार नई बोतलें खरीदने, पैसे बचाने और प्लास्टिक कचरे की मात्रा को कम करने से बचता है।एक रसायन जिसके बारे में बहुत से लोग चिंतित हैं, वह है बीपीए, बिस्फेनॉल ए। बीपीए अंतःस्रावी तंत्र को बाधित कर सकता है, संभावित रूप से प्रजनन और चयापचय से संबंधित मुद्दों का कारण बन सकता है। बीपीए का उपयोग पीईटी बोतलों को बनाने के लिए नहीं किया जाता है, लेकिन पॉली कार्बोनेट जैसे अन्य कठोर प्लास्टिक में पाया जा सकता है।
पटना के चर्चित चिकित्सक डॉ अमित कुमार कहते है कि कोल्ड ड्रिंक की पुरानी बोतल में पानी रखने से हार्ट अटैक, स्किन डिजीज, गर्भवती महिला को खतरा, पैदा हुए बच्चे को खतरा, पेट की दिक्कतें ,मोटापा और उच्च रक्तचाप बढ़ाने वाली कई बीमारियां लोगों को हो रही हैं.अक्सर ऐसे मरीज आ रहे हैं जिन्होंने पुराने बोतल में पानी पी रहे हैं अक्सर ऐसा देखा जा रहा है कि लोग कोल्ड ड्रिंक या पानी की बोतलों का इस्तेमाल धड़ल्ले से करते हैं. आपको बता दें कि प्लास्टिक की बोतलों में बिसफिनोल A एक कार्बनिक यौगिक होते हैं जो प्लास्टिक व पॉलिथीन को जलाने से उत्पन होते है. बिसफिनोल A खाद्य फ़ूड पैकेजिंग मटेरियल के विकास के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला रसायन होता है जिसका स्वास्थ पर बहुत ही हानिकारक प्रभाव पड़ता है.
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