सरकारी कर्मी का दर्जा प्राप्त करने के बाद ही चैन की सांस लेंगे आंगनवाड़ी कर्मचारी
आंगनबाडी सेविकाओं एवं सहायिकाओं से सरकार गुलामों की तरह कार्य ले रही है. आंगनवाड़ी सेविकाओं की आजादी छीन गई है,ब्रिटिश हुकुम्मत में भी मजदूरो की स्थति इतनी बुरी नही थी.चार घंटे के काम के नाम पर इतना काम कराया जा रहा है कि दिनरात सेविकाओं का परिवार भी काम करे तो भी पूरा नहीं होने वाला.सेविकाओं पर सरकार द्वारा तानाशाही फरमान जारी कर उनपर कार्य थोप रही है.जिसे शोषण की संज्ञा दी जायेगी.
उक्त बातें बिहार राज्य आंगनवाड़ी कर्मचारी यूनियन के महासचिव कुमार बिंदेश्वर सिंह ने शाहपुर में आयोजित संघ के दूसरे जिला सम्मेलन में उपस्थित आंगनवाड़ी सेविकाओं एवं सहायिकाओं को संबोधित करते हुए कही..उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य की सरकार आंगनवाड़ी सेविकाओं को अन्य कर्मियो की तरह न्यूनतम पारिश्रमिक भी नही देती जो इनके परिवार के जरुरतों को पूरा कर सके. उन्होंने सरकार से मांग की कि आंगनवाड़ी सेविकाओं को जबतक सम्मान जनक सैलरी नही देती संघ का आंदोलन इसी तरह चलता रहेगा. सम्मेलन की मुख्य अतिथि संघ की राष्ट्रीय अध्यक्ष उषा साहनी ने कहा कि संघ अपनी मांगों को मनवा कर रहेगा इसके लिए हमें चाहे जितनी भी लड़ाई लड़नी क्यों न पड़े. हम सरकारी कर्मी का दर्जा प्राप्त करने के बाद ही चैन की सांस लेंगे. सम्मेलन के दौरान सर्वसंम्मति से 9 प्रस्तावो को पारित किया गया. जिसमें आंगनवाड़ी सेविका एवं सहायिकाओं को सरकारी कर्मी का दर्जा,न्यूनतम वेतन 18 हजार,प्रौन्नति, जीविका से हस्तक्षेप वापस लेने,सभी तरह के सामाजिक सुरक्षा को लागू करना,मानदेय प्रथा को समाप्त करने तथा चयनमुक्ति को बंद करने सहित अन्य कई प्रस्ताव शामिल रहे. अन्य वक्ताओं में महासचिव नरेंद्र प्रसाद,प्रमोद सिंह,पूनम देवी शामिल रहे.सम्मलेन में संगीत कुमारी,गीता पांडे, रूमी कुमारी,सावित्री ओझा,चांद रानी,ऊष्मा मिश्रा, फूलकुमारी देवी,प्रतिमा मिश्रा,ललन पांडे, अशोक मिश्रा सहित आंगनवाड़ी सेविका एवं सहायिका तथा गणमान्य लोग उपस्थित रहे.