आरा शहर को सबसे ज्यादा थी आस
2010 से 2030 तक के लिए बनाई गई हैं योजनाएं
नगर विकास ने राज्य के प्रमुख 28 शहरों की नगर विकास योजना (CDP) तैयार की थी
क्यों नहीं हो पाया काम ,नगर विकास मंत्री जी
मंत्री प्रेम कुमार का यह पत्र पढ़ लीजिये आपको समझ में आएगा कि शहरों की क्या हालत है.
प्रेम कुमार , नगर विकास मंत्री का पत्र
मुझे यह घोषणा करते हुए अति प्रसन्नता हो रही है कि नगर विकास ने राज्य के प्रमुख 28 शहरों की नगर विकास योजना (CDP) तैयार की है। यह विभाग के लिए विशेष उपलब्धि है क्योंकि ये नगर विकास योजनाऐं (CDPs) राज्य में नगरीय आधारभूत संरचनाओं पर होने वाले व्यय के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
समग्र विकास की धारणा से राज्य में नगरीय विकास में बड़ा लाभ मिलेगा। ये नगर विकास योजनाएँ (CDPs) विस्तृत विचार विमर्श के बाद वर्ष 2010 से 2030 तक के लिए बनाई गई हैं। विचार विमर्श द्वारा एक दृष्टिकोण परिभाषित हुआ है जिसे परियोजनाओं (Projects) के रूप में परिवर्तित किया जाएगा। नगर विकास योजनाओं (CDPs) में न केवल 20 वर्षों में आधारभूत संरचनाओं की जरूरतों को परिभाषित किया है बल्कि नगर सुधार की जरूरतों एवं परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए धन राशि की उपलब्धता के लिए स्त्रोत को भी दर्शाया गया है। सभी नगर विकास योजनाओं (CDPs) में नगरीय स्तर पर वित्तीय सुधार पर जोर दिया है जो दीर्घ काल में न केवल विकास की जरूरतों को पूरा करने में लाभप्रद होगा बल्कि निजी क्षेत्र द्वारा निवेश को आकृष्ट करने में मदद करेगा। नगर विकास योजनाएँ (CDPs) राज्य को आर्थिक क्रिया कलापों के केन्द्र के रूप में नगरीय क्षेत्र के विकास के लिए पथप्रदर्शक होंगी।
ये नगर विकास योजनाऐं ब्रिटिश सरकार के अन्तराष्ट्रीय विकास विभाग (DFID) द्वारा वित्त पोषित संवर्धन परियोजना (SPUR) के तहत बनाई हैं। “संवर्धन” परियोजना वृहद आर्थिक क्रिया कलापों एवं सेवाओं जो गरीबों के विकास में सहायक हो सकती हैं को केन्द्र में रखते हुए आर्थिक वृद्धि एवं गरीबी उन्मूलन में विशिष्ट योगदान के लिए शहरी क्षेत्रों को मजबूती प्रदान करने पर केन्द्रित है।
जन प्रतिनिधि के रूप में मेरी हार्दिक इच्छा है कि बिहार अग्रणी राज्य की श्रेणी में खड़ा हो जैसे प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधन में अग्रणी, आर्थिक एवं मानवीय विकास में अग्रणी ऐतिहासिक रूप से अग्रणी अभी हम इस दिशा में एक छोटा सा कदम रख रहे हैं मंत्री प्रेम कुमार
अब हमने जानने की कोशिश की है वैसे शहर के प्रबुद्ध लोगों से की क्यों नहीं हुए कार्य
समाजसेवी आशुतोष चतुर्वेदी कहते हैं कि सिटी डेवलपमेंट प्लान के बारे में शायद मेयर को भी जानकारी न हो, क्या इस सिटी डेवलपमेंट प्लान के आधार पर कभी कोई प्रयास किया गया अथवा इसकी समीक्षा की गई.इस प्लान के क्रियान्वयन के लिए धन की व्यवस्था कहां से हो ये भी निश्चित किया गया है, कर वसूली हो ही रही है, हाट बाजार की बंदोबस्ती होती ही है, सड़क के किनारे जिनके आवासीय मकान है, उन्हें भी व्यवसायिक कर देना पड़ता है.हर साल नगर निगम का बजट करोड़ों का होता है मगर कहीं न कहीं दूरदर्शिता का अभाव और भ्रष्टाचार का शिकार है ऐतिहासिक आरा शहर.चारों तरफ गंदगी शहर वासियों के सामने कोई विकल्प नहीं.फाइलों में पड़ी योजनाएं और प्लान के पूरे होने पर 11 साल तो नहीं लगने चाहिए । 11 सालों में 28 शहरों का कायाकल्प होना शुरू हो जाता ।
समाजसेवी और आम आदमी पार्टी से जुड़े उदय शंकर सिंह,कहते हैं कि “आरा को अच्छी गुणवत्ता वाली सेवाओं और बुनियादी ढांचे के साथ एक जीवंत क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र में बदलने के लिए जो स्थानीय नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है”।
ये उद्देश्य आज से 11 साल पहले आरा के सिटी डेवलपमेंट प्लान तैयार करते समय रखा गया था, मगर आज ग्यारह साल बाद भी जबकि आरा के विधायक राज्य में काबिना मंत्री हैं, सांसद केंद्र में कबिना मंत्री हैं और आरा नगर पालिका से नगर निगम बन गया, गौरवमयी इतिहास को अपने दामन में समेटे यह शहर भ्रष्ट नौकरशाही और अक्षम नेतृत्व का शिकार हो गया है। चाहे वो शहर के मेयर हों विधायक या फिर सांसद सभी आत्ममुग्ध हैं, शहर ही अपने आप में कूड़ा दान हो गया है, सड़कें बदहाली पर रो रही है, बिजली रहती है मगर सड़कों पर स्ट्रीट लाइट के अभाव में अंधेरा ही रहता है। और अंधेरे का फायदा अपराधी और असमाजिक तत्वों को ही मिल रहा है
आरा से ओपी पांडेय की रिपोर्ट