क्या आपको पता है आरा की धरती पर कौन-कौन से संगीतज्ञ आया करते थे!
आरा, 19 जुलाई. एक फ्रेम में कैद पुरानी तस्वीर ने संगीत के एक छात्र की नींद उड़ा दी. दरअसल छात्र को एक दुर्लभ तस्वीर मिली जिसमें संगीत के कई विभूतियों को उसने एक साथ देखा और चौंक गया. इस तस्वीर में महान पखावज वादक ताल शिरोमणि पंडित शत्रुंजय प्रसाद सिंह उर्फ बाबू लल्लन जी के साथ कई महान लोग थे.
आरा से महज 8 किमी की दूरी पर स्थित है जमीरा गाँव. इस गांव को जमीरा इस्टेट के नाम से जाना जाता है. जमींदारों का यह गांव अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए आज भी जाना जाता है. अभी भी यहाँ स्थित हवेली इसके बीते पल के इतिहास को कहते नही थकती. संगीत के महान विभूति पखावज वादक ताल शिरोमणि पंडित शत्रुंजय प्रसाद सिंह उर्फ बाबू लालन जी यहीं के थे. उन्हें पखावज वादक के रूप में हिंदुस्तान भर में जाना जाता था. भोजपुर जो कभी शास्त्रीय संगीत की धरोहर था वह आज भोजपुरी लोकधुन के नाम पर फैले फूहड़ता के कारण विश्व कुख्यात हो गया है. बीते इतिहास के पन्नो में इसके गौरव की बातों को सुनकर यकीन नही होता कि भोजपुर की मिट्टी सचमुच संगीत और कला के लिए इतनी समृद्ध थी! इतिहास के बीते पलों का गवाह एक फ़ोटो फ्रेम है जो आज तबला वादक सुरजकान्त पांडेय को मिला. सूरज इस फोटो के बारे में बताते हैं कि यह दुर्लभ फ़ोटो आरा जमीरा के राजा महान पखावज वादक ताल शिरोमणि पंडित शत्रुंजय प्रसाद सिंह उर्फ बाबू लालन जी का है जिसमें उनके साथ बैठे हुए बाये से पंडित अनोखेलाल मिश्रा, उस्ताद अल्लारखा खान साहब,पंडित केशोब बनर्जी, बाबू लालन जी, पंडित गोपाल मिश्रा, उस्ताद करामतउल्ला खान साहब, और पंडित समता प्रसाद उर्फ गुदई महराज. साथ ही खड़े हुए लोगों बाये से–पंडित कन्हाई दत्त जी, पंडित महराज बनर्जी जी,पंडित ज्ञानप्रकाश घोष, पंडित श्यामलाल बोस…!
संगीत के दिग्गजों को एक साथ एक फ्रेम में देखने के बाद सूरज कहते हैं कि बहुत गर्व से सर ऊचा हो गया. ऐसे महान व्यक्ति के जन्म-भूमि और कर्म-भूमि आरा में हमारा जन्म हुआ. धन्य हैं आरा की धरती जो ऐसे महान ताल शिरोमणि को जन्म दिया.
लेकिन अगले ही क्षण दुःखी मन से कहते हैं कि कभी-कभी ये भी बात मन को कचोटती है कि आज हम हर जगह पंडित गुदई महराज, उस्ताद अल्लहरखा खा साहब,पंडित ज्ञानप्रकाश घोष, करामतउल्ला खा साहब और अन्य लोगो के बारे में सुनते हैं देखते हैं और पढ़ते भी हैं मगर शत्रुंजय प्रसाद उर्फ बाबू लल्लन के बारे में कही कुछ भी नही देखने और पढ़ने को नही मिलता हैं.ये बहुत दुःखद है. सुरजकान्त बतलाते कि आज ये फोटो फ्रेम बहुत ही भाग्य से उन्हें प्राप्त हुआ. जिसे देखने बाद तो मन बहुत खुश हुआ है पर इस मिट्टी में जन्मे बाबू लल्लन जी के बारे में उनके इतिहास को नही पढ़ना सुनना मन में कई
सवाल भी पैदा कर रहे है. आखिर क्यों नही अभी तक संगीत के इस महान विभूति के बारे में किसी ने कुछ नही लिखा ?
आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट