भोजपुरी आन्दोलन को दबाने के लिए गिरफ्तार किए गए 5 कलाकार, आज कोर्ट में पेशी

रँगजुलुस निकालने दौरान RPF ने कलाकरों को किया गिरफ्तार,
स्टेशन पर घंटों हंगामा,3 घण्टे हिरासत में रखने के बाद पुलिस ने छोड़ा

आरा, 26 जून. 24 दिन से भोजपुरी पेंटिंग की अस्मिता के लिए शांतिपूर्ण आन्दोलन कर रहे कलाकारों में से 5 कलाकारों को शुक्रवार को रेल प्रशासन ने गिरफ्तार कर लगभग 3 घण्टे तक अपने कस्टडी में रखा. बाद में कलाकारों को रेल प्रशासन ने छोड़ दिया. भोजपुरी संरक्षण मोर्चा ने शुक्रवार अपने निर्धारित समय से 25वें दिन गीत-गायन के जरिये अपना विरोध प्रदर्शन किया और फिर रेलवे प्लेटफार्म पर रँगजुलुस के रूप में प्रदर्शन करने लगे. प्लेटफार्म नम्बर एक से शूरु हुआ यह रंग जुलूस जैसे ही प्लेटफार्म नम्बर तीन पर पहुँचा कि रेलवे पुलिस फोर्स ने आन्दोलनकारी 5 कलाकारों को गिरफ्तार कर लिया.




कलाकारों के गिरफ्तारी के बाद यह खबर जंगल मे आग की तरह सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल गयी. सोशल मीडिया पर भोजपुरी भाषा से जुड़े देश विदेश में रहने वालों ने इस घटना को कायराना और बेहद शर्मनाक बताया. रेल प्रशासन द्वारा किये गए इस गिरफ्तारी से भोजपुरिया क्षेत्र के लोग आक्रोशित हो गए. कलाकारों के गिरफ्तारी के बाद ऐसा हो सकता है कि यह आंदोलन प्रदेश में भी शामिल हो जाये. लोगों में आक्रोश इस बात का ही कि उनके जायज मांग को भी सरकार नही सुन रही है. शांति तरीके से आन्दोलन के बाद भी गिरफ्तारी सरकार के तानाशाही रवैये का प्रमाण है.

कलाकारों को पुलिस ने रँगजुलुस निकालने के दौरान ऐसे पकड़ा और धक्का-मुक्की किया जैसे वे किसी अपराधी को पकड़ रहे हों. कलाकारों ने अपनी गिरफ्तारी देते हुए उनसे बार बार आग्रह किया कि उन्हें छुआ न जाये लेकिन बावजूद इसके कलाकारों के हाथ पैर पकड़ कर उन्हें पुलिस टांग कर अपने चैंबर में ले आयी.

कलाकारों की गिरफ्तारी की चहुँ ओर निंदा,
रेल प्रशासन द्वारा कलाकारों की गिरफ्तारी की जहां सभी ओर से निंदा किया जा रहा है वही दूसरी ओर इस प्रशासनिक रवैये से लोग आक्रोशित हैं और हो सकता है कि इसका प्रतिशोध जगह-जगह आन्दोलन के रूप में देखने को मिले.

भोजपुरिया जन मोर्चा के विनोद सिंह ने कहा कि सरकार भोजपुरी अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रही है. डॉ कुमार शीलभद्र ने कहा कि दमन से विद्रोही पैदा होते हैं. हमें बाध्य नहीं किया जाए कि हम अपने अधिकार के लिए कठोर कदम उठाने पर मजबूर हो जाये. रंगकर्मी मनोज कुमार सिंह ने कहा कि यह चित्रकला हमें पूर्वजों से विरासत में मिली है. प्रत्येक व्यक्ति अपनी सामर्थ्य के अनुसार इसकी रक्षा का प्रयास करें। रंगकर्मी रतन देवा ने कहा कि लिखित आश्वासन या कार्यादेश के बाद ही यह आंदोलन समाप्त होगा. रंगकर्मी अशोक मानव ने कहा कि यह स्थानीय संस्कृति की रक्षा के साथ साथ स्थानीय कलाकारों की रोटी की रक्षा की भी लड़ाई है.

सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक द्विवेदी ने कहा कि रेलवे परिसर में भोजपुरी पेंटिंग के सम्मान के लिए संघर्षरत 5 कलाकारो को रेल प्रशासन द्वारा गिरफ्तार करने की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है. भोजपुरिया लोगों को रेलवे पुलिस ने ललकारने का काम किया गया है. इस गिरफ्तारी के बाद अब आन्दोलन को और उग्र किया जाएगा जिसकी जिम्मेवारी सरकार और रेल प्रशासन की होगी. समाजसेवी समीर श्रीवास्तव ने कहा कि 5 कलाकारो को रेल प्रशासन द्वारा गिरफ्तार कर रेल प्रशासन ने अच्छा नहीं किया है. अगर प्रशासन जल्द से जल्द उन्हें नहीं छोड़ती है तो उग्र आंदोलन करने के लिए हम सभी साथी बाध्य हो जायेगे. इसकी जिम्ममेदारी प्रशासन की होगी.

उधर इस आंदोलन को समर्थन करने वाली समाजवादी लोक परिषद पार्टी ने भी भोजपुर के 5 कलाकार साथियों के गिरफ्तार किए जाने की घोर निंदा की और कहा कि पिछले 24 दिनों से “भोजपुरी संरक्षण मोर्चा” के कलाकारों की भोजपुरी पेंटिंग को सम्मान दिलाने की मुहिम में आज 25वें दिन रेल प्रशासन द्वारा 5 कलाकारों की गिरफ्तारी बेहद शर्मनाक है. कला-संस्कृति की परंपराएँ किसी समाज-सभ्यता के अस्तित्व का गवाह होतीं हैं. उसके संवाहकों (कलाकारों) पर आघात अर्थात अस्तित्व पर विनाशकारी प्रहार. प्रशासन अपराधियों से अधिक कलाकारों को ख़तरा समझता है,इससे ज्यादा गौरव वाली बात और क्या होगी…

समाजवादी लोक परिषद पार्टी भोजपुरी अस्तित्व के संरक्षण के हर आंदोलन में सदैव भागीदार है और रहेगा. प्रशासन इन कलाकारों को अविलंब रिहा करे, यही हमारी माँग है.

जुलूस के कार्यक्रम में कमल कुमार राय, संजय कुमार सिंह, किशन सिंह, मनोज श्रीवास्तव, घनश्याम पाठक, सुरेश सिंह, रूपा कुमारी, निराला कुमार, पूर्व पार्षद डॉ शशि सक्सेना, कमलेश नाथ पांडेय, नागेंद्र कुमार प्रमुख थे.

कलाकारों ने कहा कि उन्होंने मोर्चा के बैनर के तहत अपने कार्यक्रम के बारे में पहले से GM और DRM तक इसकी सूचना स्टेशन प्रबंधक के माध्यम से भेजा था लेकिन इस सूचना की कोई भी जानकारी RPF को नही थी जिसके कारण उनलोगों ने कलाकारों के प्रदर्शन के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया. कलाकारों की गिरफ्तारी के बाद जितना सोशल मीडिया पर लोग सक्रिय थे उससे ज्यादा RPF कार्यालय के बाहर गिरफ्तार कलाकारों की रिहाई के किये लोग नारे लगाने लगे. जो भी भोजपुरी पेंटिंग की बात सुनता वह कलाकारों के संग खड़ा हो जाता. हालांकि हंगामे को देखते हुए रेल प्रशासन ने गिरफ्तार लोगों को अपने कस्टडी में 3 घण्टे तक रखने के बाद रिहा कर दिया. जिन्हें आज रेलवे कोर्ट में पेश किया जाएगा.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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