आरा. खुशियों के आगमन से घर मे चार चांद लग जाता है और ये खुशियां अगर दुगुनी हो जाये तो मन के साथ पूरे घर में फुलझड़ी फूटने लगती है. ऐसी ही खुशियों की डबल डोज से भोजपुर का एक आंगन जगमग है जहाँ एक ही आंगन की बेटी और बहू ने एक ही दिन मेडिकल में अव्वल आ बिहार का अपना परचम लहराया है. अव्वल आने वाली डॉ श्रुति शर्मा ने पीडियाट्रिक में MD तो डॉ सपना राय ने ग्योनोलॉजिस्ट में MD की मानक उपाधि को प्राप्त किया है.
दोनों डॉक्टर एक ही घर की बहू और बेटियां हैं. जी हाँ सुनकर आश्चर्य जरूर लग रहा होगा लेकिन ये सच्चाई है. गोला मोहल्ला की निवासी डॉ श्रुति शर्मा, सुधीर कुमार की बेटी हैं और डॉ सपना राय उनकी बहू हैं. सुधीर कुमार LIC में DO हैं. एक साथ खुशियों के इस डबल डोज से वे ही नही पूरा परिवार गदगद है. इस खबर की चर्चा पड़ोसियो को मिली तो जैसे पूरा मुहल्ला झूमने लगा. वार्ड नं. 21 के अन्तर्गत आने वाले इस वार्ड के वार्ड-पार्षद व अधिवक्ता अमित कुमार गुप्ता उर्फ बंटी ने परिवार को बधाई दिया और इस खुशी को सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया फिर क्या था पूरा शहर इस खबर से गदगद हो गया. देर रात सोशल मीडिया पर खुशियों की बधाई देने का तांता जो चला तो लगा जैसे रात ही खुशियों की दिवाली मन गयी.
डॉ श्रुति को एक एक भाई है जो उनसे बड़े हैं. बड़े भाई डॉक्टर लोकेश कुमार हैं जो अभी हाल ही में डुमरांव अनुमंडल में इसी महीने से कायर्रत हैं. इसके पूर्व वे पारस हॉस्पिटल में कार्यरत थे. वे एक सर्जन हैं. डॉ श्रुति शर्मा NMCH में कायर्रत थीं और उनकी भाभी यानि डॉ सपना राय PMCH में. भोजपुर से कई डॉक्टर मेडिकल क्षेत्र में हुए लेकिन शिशु रोग विशेषज्ञ के रूप में भोजपुर की बेटी का परचम लहराना आने वाले भविष्य का सुखद आगाज है.
डॉ श्रुति ने DAV आरा से 10+2 करने के बाद कोटा जाकर पढ़ाई किया और फिर मेडिकल कम्प्लीट करने के बाद NMCH जॉइन किया है. वे बचपन से ही किताबों के इर्द-गिर्द ही सिमटी रही. पिता से भी जब पटना नाउ ने उनकी रुचि के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि अमूमन लड़कियां कढाई-सिलाई,खेल,डांस या थियेटर से रुचि रखती हैं लेकिन उनकी बेटी ऐसी नही थी शुरू से ही उसे जैसे डॉक्टर बनने का जुनून सवार था सो पढ़ाई या फिर दूसरी तरह की किताबों की दुनिया में ही मशगूल रहती थी. पिता सुधीर कुमार ने बताया कि उन्होंने कभी अपने बेटे-बेटी में कोई फर्क महसूस नहीं किया और श्रुति तो बचपन से ही पढ़ने में अपने साथियों से ज्यादा तेज थी और पढ़ाई के अतिरिक्त ज्यादा कुछ ध्यान नहीं देती थी.
वैसे तो पूरा जिला ही इस खुशी का उत्सव परिवार संग मना रहा है पर पिता सुधीर कुमार बेटी और बहू की इस सफलता का श्रेय अपनी पत्नी को देते हैं. वे कहते हैं कि वर्तमान का समय नारी सशक्तीकरण का है और ऐसे में नारियों के आगे रहने पर ही समाज को नई दिशा और विकास का नवीन मार्ग प्रशस्त होगा. यही कारण है कि आप के बड़े बेटे की शादी के बाद बहु को भी उन्होंने उसकी इच्छा से पढ़ाई करने दिया. ज्यादातर घरों में सास बहुओ के बाहर जाने पर सख्ती बरतती हैं लेकिन यहाँ यानि डॉक्टर सपना के लिए भी उनकी सास माँ जैसी ही थी. तभी तो बेटी के साथ बहु को भी वे सारे अधिकार प्राप्त थे जो होने चाहिए. लड़का और लड़कियों में भेद समझने वाले अभिभावकों से सुधीर कुमार ने अपील किया कि वे इस भेद को मिटा दें, अपने बच्चियों पर भरोसा करें और आगे बढ़ने दें फिर देखिए सपनों की उड़ान को आपके आंगन से ही पंख मिलेगा.
आरा से ओ पी पांडेय व रवि प्रकाश सुुरज रिपोर्ट