संभावना स्कूल कर रहा है पिछले 5 सालों से यह पहल
आरा. भाई-बहन के अनूठे प्यार को कलाईयों में बंधने वाली रेशम की डोरियाँ एक अनोखी चमक दे जाती हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं रेशमी डोरी से कई रंगों में छँटा बिखेरनी वाली राखी की. रक्षाबंधन का त्योहार भाईयो के खास होता है क्योंकि उन्हें इंतजार रहता है बहनों के इस रक्षासूत्र का सालों से जो न सिर्फ उनकी रक्षा करता है बल्कि उनके रिश्ते की मजबूती को भी दर्शाता है. बाजार में उपलब्ध ये राखियां खास तब हो जाती हैं जब इसे बहने अपने हाथों से इसे भाईयों के लिए बनाती हैं. राखियों को हम अपने हरम तो जरूर बांध लेते हैं लेकिन वे भाई बहन के इस प्यार से मरहूम रह जाते हैं जो सरहदों पर हमारी हिफाजत के लिए खड़े रहते हैं. सीमा पर तैनात ऐसे ही वीर जवानों को उनके कलाईयों के लिए भेजती हैं राखियाँ,भोजपुर जिले की बहने,जिसमें उनके असीम प्रेम के साथ हुनर और कल्पनाशीलता का मिश्रण रहता है पिछले 4-5 सालों से लगातार भारत चीन सीमा पर राखियाँ भेजने वाली ये बहनें कोई और नही बल्कि संभावना आवासीय स्कूल की छात्रायें, शिक्षिकाएं और विद्यालय की कर्मचारी हैं.
शहर के शुभ नारायण नगर मझौंवा स्थित संभावना आवासीय उच्च विद्यालय आरा के छात्राओं, शिक्षिकाओं एवं महिला कर्मचारियों द्वारा हस्त निर्मित राखियों को देश की सीमा पर तैनात सैनिक भाइयों तथा कोरोना वारियर्स के लिए इस बार भी भेजा गया.
बताते चलें कि हर वर्ष रक्षाबंधन के अवसर पर विद्यालय में “राखी मेकिंग वर्कशॉप” का आयोजन किया जाता है. इस वर्कशॉप से तैयार राखियों को सीमा पर तैनात सैनिक भाइयों को स्कूल भेज देता है. हलांकि कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार “राखी मेकिंग वर्कशॉप” का आयोजन विद्यालय में नहीं हो पाया, लेकिन विद्यालय की छात्राओं, शिक्षिकाओं तथा महिला कर्मचारियों ने देश के प्रति अपने जज्बे को दर्शाते हुए अपनी क्रिएटिविटी को जीवित रखा. अपने सैनिक भाइयों के लिए उन्होंने घर में रहकर ही राखियों का निर्माण किया तथा समय रहते विद्यालय प्रबंधन को भेज दिया.
मंगलवार को हस्तनिर्मित इन राखियों को भारत-चीन सीमा पर तैनात सैनिक भाइयों के लिए भेजा दिया गया. शिक्षा का मूल मंत्र भी यही होता है. स्कूल में सीखी गयी शिक्षा घर पर या दैनिक जीवन मे ही उपयोग में न आये तो किस काम की?
विद्यालय की प्राचार्या डॉ. अर्चना सिंह ने कहा की परिस्थिति चाहे कितनी भी विपरीत हो, बहनें अपने भाइयों को रक्षाबंधन के अवसर पर राखी बांधना या भेजना नहीं भूलती. उन्होंने बताया कि विद्यालय की छात्राओं, शिक्षिका एवं महिला कर्मियों द्वारा हस्तनिर्मित 221 राशियों को पूरी तरह सेनेटइज कर भारत-चीन सीमा पर तैनात सैनिक भाइयों के लिए भेजा दिया गया.
भाइयों तक हर साल राखी के बहाने ही सही, स्कूल में चलने वाला यह राखी का वर्कशॉप कितनों के हाथों में हुनर की कल्पना दे गया. हस्तकला का ये हुनर जीवन भर कल्पनाशीलता के साथ रिश्तों को भी निभाने में अहम भूमिका का निर्वहन करेगा. रिश्ते वही जो मधुर हों और शिक्षा वही जो हुनर विकसित करे. रक्षाबन्धन में अभी समय है और अगर आप चाहती हैं कि अपने भाइयों को अपने प्यार की मजबूत डोर में बाँधे तो अपनी कल्पनाशीलता को जगाइए और खुद से सजाइये रिश्ते की इस डोर को. फिर देखिए भाई-बहन का यह प्यार रिश्तों के मिठास में कैसी चाशनी घोलता है. वैसे भी कोरोना काल है तो बाहर के समान पर नही खुद के हुनर पर ज्यादा भरोसा ही परिवार के प्यारा होगा.
आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट