शराबबंदी कानून पर बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने शराब पीने और उसकी बिक्री पर प्रतिबंध संबंधी बिहार सरकार के कानून को दरकिनार करने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने जिन शराब निर्माताओं की याचिका पर प्रतिबंध कानून को दरकिनार किया था, सुप्रीम कोर्ट ने उन शराब निर्माताओं समेत सभी प्रतिवादियों से जवाब मांगा है. इन प्रतिवादियों की याचिका के आधार पर ही हाईकोर्ट ने बिहार के प्रतिबंध कानून को अवैध और असंवैधानिक करार दिया था. मामले की सुनवाई अब 8 सप्ताह बाद होगी.
बता दें कि बिहार सरकार ने 30 सितंबर के पटना हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. बिहार सरकार की याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के शराबबंदी कानून को रद्द करने से बिहार सरकार की शराबबंदी की मुहिम को झटका लगा. हाईकोर्ट ने पॉलिसी को रद्द करते हुए यह नहीं देखा कि संविधान का आर्टिकल 47 राज्यों को नीति निर्देशक तत्व के तहत ऐसी पॉलिसी बनाने का अधिकार देता है. खुद सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने कई आदेशों में कहा है कि राज्य सरकार शराबबंदी को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून जनहित में है और इसे समाज के बड़े तबके खासतौर पर महिलाओं ने सराहा है क्योंकि शराब की वजह से उनकी घर की आमदनी जाती रही और कर्ज हो गया. बिहार में महागठबंधन की सरकार ने 1 अप्रैल से देश में निर्मित शराब का निर्माण, व्यापार, बिक्री और सेवन प्रतिबंधित किया था. लेकिन बाद में उसने राज्य में सभी प्रकार की शराब प्रतिबंधित कर दी थी और इनमें विदेशी शराब भी शामिल थी.