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आरा,27 अप्रैल. “विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा” उक्त पंक्तियाँ तिरंगे के सम्मान में लिखी गयी हैं. तिरंगे को ऊंचाइयों पर रखने का यह संकल्प उसके लिए यह सम्मान को दर्शाता है और जब ऊंचाइयों पर यह लहराता है तो हवाएं भी अपने शान में इठलाती हैं. इसे देखकर हर देश वासी का मस्तक शान से भर जाता है. तिरंगे की इस शान के लिए देश का हर नागरिक अपने प्राणों की बाजी तक लगा देता है. देश के सीमाओं पर इसी तिरंगे की हिफाजत के लिए सैनिक अपने जान की बाजी तक लगा देते हैं. लेकिन दुःख इस बात का है कि देश की आन बान और शान, तिरंगे को आरा में रेलवे वारा अपमानित किया जा रहा है. 100 फीट की ऊंचाइयों पर स्टेशन परिसर में लहराता यह तिरंगा हवाओं के साथ जंग करता फट गया है लेकिन रेलवे अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक का ध्यान देश के इस शान पर नही गया है. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर ट्रेनों के आवागमन पर रोक के बाद रेलवे परिसरों को सील कर दिया गया है जो लगभग एक महीने से बन्द है. लेकिन मालगाड़ियों का परिचालन और रेलवे की सुरक्षा को लेकर सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की ड्यूटी लगातार जारी है. सवाल यह उठता है क्या किसी भी कर्मचारी, अधिकारी, जीआरपी या आरपीएफ के जवानों को स्टेशन परिसर में लहराता तिरंगा नही दिखा?
2019 में रेलवे परिसर में लगाया गया था तिरंगा
बताते चलें कि आरा स्टेशन पर 100 फीट की ऊंचाई पर फहरता यह तिरंगा 6 फीट लंबा एवं 6 फीट चौड़े चबूतरे पर पाइप के सहारे टिका है जिसे 17 नवम्बर 2019 को आरा के सांसद सह केंद्रीय उर्जा राज्यमंत्री आर के सिंह ने लगावाया था. इस तिरंगे के लिए खास लाइटिंग की भी व्यवस्था की गई थी ताकि रात में भी इसे आसानी से देखा जा सके.
100 फीट के झंडे के उद्घाटन करते ऊर्जा राज्यमंत्री व अन्य (फ़ाइल फ़ोटो)
उद्घाटन के दिन केंद्रीय उर्जा राज्यमंत्री के साथ दानापुर के डीआरएम रंजन प्रकाश ठाकुर, पावर ग्रिड कारपोरेशन के जीएम एसके जयसवाल सहित कई अधिकारी भी मौजूद थे.
क्या कहता है कानून
फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 (2पार्ट-2, सेक्शन 1-22 (xiii): का क्लॉज़ बताता है कि अगर झंडा फटा पुरानी अवस्था में है तो किसी निजी जगह पर इसे निस्तारित करना चाहिए. तिरंगे की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए इसे दफनाना या कोई और तरीका अपनाया जा सकता है.फटे झंडे को जला कर भी उसे निस्तारित किया जा सकता है. उसे दफना भी सकते हैं, लेकिन मिट्टी हट जाने से वह दोबारा ऊपर आ सकता है जिससे मुश्किल बढ़ सकती है. झंडा हवा से इधर-उधर उड़ कर जा सकता है और लोगों के पैरों के नीचे पड़ सकता है.
100 फ़ीट की ऊंचाई पर लहराता यह विशाल तिरंगा पांच महीने में ही फट गया. फटा हुआ झंडा फहराना झंडे का अपमान है. न तो इस झंडे को लेकर जिला प्रशासन और न ही रेलवे संवेदनशील दिख रहा है. तिरंगे के फटने का वजह तेज हवा है या फिर घटिया कपड़ा का प्रयोग हो सकता है जो जाँच का विषय है. लेकिन सवाल यह है कि झंडे का इसतरह फ़टे अवस्था में रेलवे परिसर में फहरते रहना क्या उचित है? अगर नही तो तिरंगे के इस अपमान के लिए कौन दोषी है और क्या करवाई होनी चाहिए?
क्या कहते हैं अधिकारी ?
इस मामले को ले जब पटना नाउ ने दानापुर डिवीजन के DRM के PRO से बात की तो उन्होंने कहा कि आपके माध्यम से यह जानकारी मिली है. अतिरिक्त तिरंगा विभाग के पास रखा रहता है. उसे तुरंत बदल दिया जाएगा. अब देखना यह होगा कि रेलवे देश की शान तिरंगे को कितना जल्दी बदलता है.
आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट