सावधान! घर लौट रहे परदेसी, बिगड़ेगा पारिवारिक स्वास्थ्य

By om prakash pandey Apr 5, 2020

अपने गाँव के लिए दिल्ली से ठेला से ही निकल पड़े

आरा, 4 मार्च. कोरोना के संकट के बीच लोगो में डर और खौफ का माहौल व्याप्त हो गया है. दो वक्त की रोटी की जुगाड़ में अपने घरों से दूर मेहनत-मजदूरी करने वाले अब अपने घरों जल्द से जल्द लौटने की बेकरारी में हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत वैसे लोगों को है जो दिनभर की दिहाड़ी कर कंस्ट्रक्शन साइट जैसे जगहों पर ही अपना गुजर बसर करते हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो अपने ठेले से फल, सब्जियां या अन्य सामग्री विभिन्न जगहों पर पहुँचा अपना भरण पोषण करते हैं. कोरोना संकट के बीच देश मे चल रहे लॉक डाउन के बीच पटना नाउ ने की लाइव रिपोर्टिंग जिले की वर्तमान हालात जानने के लिए.




आरा से जब NH 30 की ओर हमने रुख किया तो कौरा गाँव के पास एक माल से भरे ट्रक के ऊपर लगभग 3 दर्जन लोग मिलें जो दिल्ली से आ रहे थे और इन्हें कटिहार जाना था. कुछ दूर आगे बढ़ने पर इसाढ़ी के पास कुछ ठेलेवाले नजर आए जो अपना समान ठेले पर लाद दिल्ली व गुड़गांव से चल दिये थे. लगभग 1 दर्जन ठेले वाले 8 दिन पहले दिल्ली से निकले थे जो आज यहाँ पहुँचे. ठेले पर सब्जी और फलों से अपनी रोजी रोटी चलाने वाले विजेंद्र प्रसाद ने कहा कि बीच-बीच मे बहुत से भले लोग खाना खिला रहे थे अन्यथा यहाँ तक पहुँचना मुश्किल था. सभी ठेलेवाले बिहार के ही रहने वाले हैं. ये खगड़िया और सहरसा जिले के हैं. मुश्किल की इस घड़ी में जब कुछ नही मिला तो दो वक्त की रोटी देने वाले ठेले को ही अपने साथ लेकर चल पड़े अपने घर की ओर कि जहाँ रहेंगे ये ठेला इनके दो वक्त के रोटी का सहारा तो बन जायेगा. जगदीशपुर जब हमारी टीम पहुँची तो एक बूढ़ा परदेसी माथे पर समान उठाये पैदल चलता दिखा पूछने पर उन्होंने बताया कि वे ठाणे से ही पैदल आ रहे हैं. 12 दिन पैदल चले थे. रास्ते मे कई लोगों ने कुछ दूरी तक का सफर आसान किया लेकिन पैर ही सहारा बना जो इस बुढापे में भी इतनी दूरी घर पहुंचने के लक्ष्य के साथ ऊर्जावान बन सक्रिय है. अपने घर पहुँचने को आतुर ये श्रमजीवी परदेसी आज भी जीवन की जंग को अपने जज्बे से लड़ते हुए जीत की ओर अग्रसर दिखे. कोरोना का खतरा तो है लेकिन भय के बीच भी विजय की आशा आंखों में लिए अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए यह जंग बिहारियों की कड़ी मेहनत को जरूर डिफाइन करता है. वे अपने घरों में पहुँच शांति जरूर महसूस करेंगे लेकिन सावधान! इनके आने से परिवार के लोगों को यह संक्रामक बीमारी हो सकती है अतः इमोशन या लाड़-प्यार में इन्हें बिना नजरअंदाज किये स्वास्थ्य सेंटर या अस्पतालों में भेजें और हो सके तो इन्हें आइसोलेट करें.

आरा से ओ पी पांडेयसत्य प्रकाश सिंह की रिपोर्ट

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