पटना (ब्यूरो रिपोर्ट) | आइंस्टाइन के सिद्धांत को चुनौती देने वाले महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का निधन आज सुबह पटना में हो गया. वे अपने परिजनों के संग पटना के कुल्हरिया कंपलेक्स में रहते थे. 74 साल की ज़िंदगी में 44 साल तक वो मानसिक बीमारी सिजेफ्रेनिया से पीड़ित रहे.
पिछले एक पखवारे पूर्व बीमार पड़ने पर उन्हें पीएमसीएच में भर्ती करना पड़ा थे. बिहार के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री तक उन्हें देखने पीएमसीएच गए थे.
कहते हैं शुरुआती सालों में अगर गणितज्ञ की सरकारी उपेक्षा नहीं हुई होती तो आज वशिष्ठ नारायण सिंह का नाम दुनिया के महानतम गणितज्ञों में सबसे ऊपर होता. डॉ वशिष्ठ बचपन से ही बहुत होनहार रहे उनके बारे में जिसने भी जाना हैरत में पड़ गया. छठी क्लास में नेतरहाट के एक स्कूल में कदम रखा, तो फिर पलट कर नहीं देखा एक गरीब घर का लड़का हर क्लास में कामयाबी की नई इबारत लिख रहा था. वे पटना साइंस कॉलेज में पढ़ रहे थे कि तभी किस्मत चमकी और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर उन पर पड़ी जिसके बाद वशिष्ठ नारायण 1965 में अमेरिका चले गए और वहीं से 1969 में उन्होंने Ph.D.की.
वशिष्ठ नारायण ने ‘साइकिल वेक्टर स्पेस थ्योरी पर शोध किया. वशिष्ठ नारायण ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले में एसिसटेंड प्रोफेसर की नौकरी मिली. उन्हें नासा में भी काम करने का मौका मिला, यहां भी वशिष्ठ नारायण की काबिलयत ने लोगों को हैरान कर दिया. बताया जाता है कि अपोलो की लॉन्चिंग के वक्त अचानक कम्यूपटर्स से काम करना बंद कर दिया, तो वशिष्ठ नारायण ने कैलकुलेशन शुरू कर दिया, जिसे बाद में सही माना गया.
वशिष्ठ नारायण सिंह ने आंइस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती दी थी. उनके बारे में मशहूर है कि नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक था.
1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए. नासा में भी उन्होंने काम किया. भारत लौटने के बाद आईआईटी कानपुर, आईआईटी बंबई और आईएसआई कोलकाता में अपनी सेवा दी.
मुख्यमंत्री ने शोक व्यक्त किया
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्ति की है. मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि स्व0 वशिष्ठ नारायण सिंह ने बर्कले के कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय से 1969 में गणित में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. उन्होने वाशिंगटन में गणित के प्रोफेसर के पद पर काम किया। 1971 में स्व० वशिष्ठ नारायण सिंह भारत वापस लौट आये. उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर और भारतीय सांख्यकीय संस्थान, कलकत्ता में अध्यापन का कार्य किया. वे भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के विजिटिंग प्रोफेसर भी थे. उन्होंने ‘साइकिल वेक्टर स्पेस थ्योरी‘ पर शोध किया था.
उन्होंने पूरे विश्व में भारत एवं बिहार का नाम रौशन किया है. स्व0 वशिष्ठ नारायण सिंह का निधन बिहार एवं देश के लिए अपूरणीय क्षति है. मुख्यमंत्री ने स्व0 वशिष्ठ नारायण सिंह के प्रति अपनोंनो को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है.