गुप्तेश्वर पांडेय, DGP या देवदूत ?
आरा, 16 सितंबर. बिहार के DGP गुतेश्वर पांडेय ने जब से कमान सम्भाला है पूरे प्रदेश में उनकी जोरों की चर्चा है. साधारण से दिखने वाले DGP का व्यक्तित्व असाधारण है. सादा जीवन और ऊँचे विचार वाली कहावत उनके व्यक्तित्व पर लागू होती है. शायद यही वजह है कि बिना ताम-झाम और लाव-लश्कर के ही वे कहीं भी पुलिस की सिस्टम का हाल लेने पहुँच जा रहे हैं. ऐसे में ड्यूटी से नदारथ और निकम्मे अधिकारियों पर गाज तो गिर ही रही है. उनके इस औचक निरीक्षण के तरीके से सभी थानों से लेकर मुख्यालयों में हड़कंप है, जिसकी वजह से पेंडिंग कामों को दुरुस्त करने में विभाग के लोग लग गए हैं. उनके इन कार्यो को देखते हुए प्रशंसको की भारी भीड़ खड़ी हो गयी है और उन्हें देवदूत का नाम तक दे दिया है. उनके कार्यो से प्रभावित हो आरा के 45 वार्ड के पूर्व वार्ड पार्षद व वर्तमान में क्रीड़ा भारती के जिलाध्यक्ष अमरेंद्र चौबे ने सोशल मीडिया पर DGP गुप्तेश्वर पांडेय का फोटो डालते हुए उनके 14 सितम्बर को नेपाल बॉर्डर के पास स्थित थाने की निरीक्षण की तस्वीर डाल उनके बारे में लिखा है…
“बिहार के DGP sir 14 सितम्बर-19 की रात में 1.30 बजे पटना से 250 km की दूरी 7 घंटे में तय कर बेतिया ज़िले और नेपाल की सीमा पर स्थित इनरवा थाना पहुँच गए और बेतिया के किसी पदाधिकारी को इसकी भनक तक नहीं मिली.थाना का निरीक्षण कर २ बजे के आस पास निकल भी गए. आगे बेतिया के किस कोने में पहुँचेंगे इसकी कोई जानकारी नहीं. उनके साथ उनके कई सुरक्षा कर्मी भी साथ-साथ आगे-पीछे गाड़ी में थे, लेकिन किसी गाड़ी में कोई स्टार फ़्लैग या लाइट नहीं थी. शायद आज रात भर बेतिया ज़िले के दूर दराज़ में जंगल में अवस्थित सारे थानों के सूचक निरीक्षण का प्रोग्राम है. इनरवा थाने में उनके निरीक्षण की एक दो तस्वीरें बहुत मुश्किल से मिली है .
असाधारण काम करनेवाले देवदूत ही होते हैं. यह सामान्य बात हो ही नहीं सकता, एक व्यक्ति सुबह ससमय कार्यालय पहुंचकर शाम तक पेपर वर्क करे और प्रत्येक रात सैकड़ों किलोमीटर दूर चलकर जनमानस के दुख-दर्द को जानने किसी थाना परिसर में पहुँच कर वहाँ के आम आदमी के कठिनाई को दूर करने उपस्थित हो जाए. बक्सर(शाहाबाद)की धरती धन्य है जो ऐसे लाल को जन्म दी.
गर्व होना चाहिए बिहार के आवाम को कि हमें ऐसे बिहार पुलिस महानिदेशक मिले हैं. पूर्व के डीजीपी का कार्य काल देख लिया जाये ऑफिस से आवास आवास से ऑफिस यही पहले डीजीपी का कार्यकाल हुआ करता था
इतिहास में पहले डीजीपी हैं जो बिहार के एक-एक आदमी की सुरक्षा के लिए इतने गंभीर और चिंतित रहते हैं. अगर पूरा पुलिस महकमा इनकी ईमानदारी कर्मठता, संघर्ष, परिश्रम, अथक मेहनत को फॉलो करें तो वह दिन दूर नही जब किसी आपराधिक घटना को अंजाम देने से पहले अपराधी सौ बार सोचेंगे. तमाम बिहार वासियों की तरफ से डीजीपी सर को कोटि कोटि साधुवाद.
DGP के कार्यो की सराहना करते हुए अमरेंद्र चौबे ने लिखा है कि अगर सभी पुलिकर्मियों में यही जोश और ईमानदारी आ जाये तो घटनाएं करने के पहले अपराधियों को सोचना पड़ेगा. उन्होंने बिहार वासियों की तरफ से DGP को साधुवाद समर्पित किया है..
ओ पी पांडेय की रिपोर्ट